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प्लाज्मा चोरी कर प्राइवेट अस्पताल को बेच रहा था आरोपी:7 महीने से ब्लड बैंक में नहीं हुई स्टॉक की जांच, सरकार ने एक और कमेटी बनाई


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प्लाज्मा चोरी कर प्राइवेट अस्पताल को बेच रहा था आरोपी:7 महीने से ब्लड बैंक में नहीं हुई स्टॉक की जांच, सरकार ने एक और कमेटी बनाई

जेके लोन अस्पताल में प्लाज्मा चोरी का मामला:7 महीने से प्लाज्मा स्टॉक की जांच नहीं; आरोपी कृष्ण सहाय प्लाज्मा चोरी कर निजी अस्पताल को बेच रहा था

जयपुर : जेके लोन अस्पताल के ब्लड बैंक में स्टोर होने वाले प्लाज्मा के स्टॉक की पिछले 7 महीने से जांच ही नहीं की गई। इसी का फायदा उठाते हुए लैब टेक्नीशियन कृष्णसहाय कटारिया हर महीने लाखों रुपए का प्लाज्मा चुराकर निजी अस्पताल को बेच रहा था। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने जेएलएन मार्ग स्थित एक निजी अस्पताल को प्लाज्मा बेचा है।

दूसरी ओर, मामले में उच्चस्तरीय जांच के लिए सरकार ने सोमवार को जांच कमेटी गठित कर दी है। यह कमेटी प्लाज्मा कब से और किसे बेचा जा रहा था, कौन-कौन इसमें शामिल है सहित अन्य सभी बिंदुओं की जांच करेगी।

हालांकि, एक दिन पहले ही सरकार की ओर से कमेटी बनाई गई थी, लेकिन वह एसएमएस मेडिकल कॉलेज स्तर की ही थी। रिपोर्ट की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सरकार ने एक और कमेटी बनानी पड़ी। वहीं जेके लोन की ओर से एफआईआर कराने में देरी से कृष्णसहाय को भागने का मौका मिल गया। सोमवार को एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन वह पकड़ा नहीं जा सका। उसके घर सहित कई जगहों पर दबिश दी गई।

कृष्ण सहाय - Dainik Bhaskar
आरोपी कृष्ण सहाय

एक लीटर प्लाज्मा 3900 रुपए का, टेंडर से अस्पताल निजी कंपनियों को बेचते हैं
चोरी किया गया प्लाज्मा मरीजों के काम नहीं आता। इस प्लाज्मा से प्रोटीन बनाया जाता है और अस्पताल टेंडर के जरिए कंपनियों को बेचता है। ये कंपनियां प्रोसेस कर इस प्लाज्मा से प्रोटीन बनाती हैं और काफी महंगे दामों में बेचती है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में एक लीटर प्लाज्मा 3900 रुपए में बेचा जाता है। डॉक्टर्स की मानें तो एसएमएस मेडिकल कॉलेज से ही हर साल करीब चार करोड़ रुपए का प्लाज्मा बेचा जाता है।

लैब से चोरी होती रही, ब्लड बैंक इंचार्ज ने बताया नहीं
अक्टूबर महीने में आचार संहिता लगने के बाद से ही जेके लोन अस्पताल के ब्लड बैंक में प्लाज्मा के स्टॉक की जानकारी नहीं ली गई। हर समय स्टॉक में हजारों लीटर प्लाज्मा होता है लेकिन ब्लड बैंक इंचार्ज सत्येन्द्र सिंह ने इसकी कभी गणना ही नहीं की। यहां तक कि कृष्ण सहाय कटारिया की ओर से चोरी की बात कबूलने के 24 घंटे बाद तक भी सतेन्द्र सिंह ने अस्पताल प्रशासन को इसकी सूचना नहीं दी। ऐसे में उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सरकार ने फिलहाल सत्येन्द्र को जेके लोन अस्पताल से हटाया तो गया, लेकिन एसएमएस ब्लड बैंक में ही लगाया गया है।

16 लोगों का स्टाफ, कैमरे, फिर भी किसी को पता नहीं चला
जिस जगह ब्लड बैंक है और प्लाज्मा चोरी हुआ है, उस जगह कैमरे लगे हैं और 16 लोगों का स्टाफ है। ब्लड बैंक में हमेशा 3 से 4 लोगों का स्टाफ मौजूद रहता है। ऐसे में अकेले कृष्णसहाय कटारिया की ओर से प्लाज्मा चोरी कर बेचना संभव नहीं है। तय है कि अस्पताल का और भी स्टाफ इसमें शामिल है। अब जब तक कृष्णसहाय फरार है तब तक अन्य स्टाफ का भी इसमें संलिप्तता का पता लगाना काफी मुश्किल होगा।

यह कमेटी देगी तीन दिन में रिपोर्ट
एसीएस शुभ्रा सिंह के निर्देश पर मुख्यालय से गठित की गई कमेटी में अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील कुमार परमार, उप वित्तीय सलाहकार सुरेश चंद जैन, अतिरिक्त निदेशक एड्स डॉ. केसरी सिंह, औषधि नियंत्रक प्रथम डॉ. अजय फाटक हैं। यह कमेटी ब्लड बैंक के स्टॉक का सत्यापन एवं ऑडिट करेगी। साथ ही सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट देगी।

एसीएस शुभ्रा सिंह ने बताया- प्रदेश के ब्लड बैंकों में अनियमितताओं की आशंका को देखते हुए उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई थी। प्लाज्मा चोरी के मामले में हर स्तर पर जांच होगी। सभी ब्लड बैंकों को एक सॉफ्टवेयर से जोड़ने के भी निर्देश दिए हैं ताकि इनका रियल टाइम ऑनलाइन असेसमेंट हो सके। जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा ने कहा- हमनें एफआईआर दर्ज करा दी है और हर दिशा में जांच की जा रही है। कृष्णसहाय के अलावा अन्य किसी ने भी गड़बड़ी की है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

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