नाबालिग से अश्लील हरकत के मामले में नपेंगे थानाधिकारी, लटकी गिरफ्तारी की तलवार
सीकर. राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ थाना इलाके में 13 वर्षीय बालिका से छेड़छाड़ के मामले में तत्कालीन दांता चौकी प्रभारी एसआई रमेश मीणा पर पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
सीकर : राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ थाना इलाके में 13 वर्षीय बालिका से छेड़छाड़ के मामले में तत्कालीन दांता चौकी प्रभारी एसआई रमेश मीणा पर पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। विशिष्ट न्यायाधीश पोक्सो क्रम-2 अशोक चौधरी ने इस मामले में तत्कालीन एसआई दांता चौकी प्रभारी रमेशचंद मीणा व दो अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। जबकि कोर्ट ने पहले पुलिस की ओर से पेश एफआर पर प्रशंज्ञान लेते हुए जमानत वारंट से तलब किया था, लेकिन आरोपी तारीख पर उपस्थिति नहीं हुए। ऐसे में अब गिरफ्तारी वारंट जारी कर आरोपियों को 16 नवंबर को तलब किया है। लोक अभियोजक किशोर कुमार सैनी ने बताया कि मामला वर्ष 2018 का है। दांता क्षेत्र की महिला ने न्यायालय में पेश इस्तगासे के आधार पर थाने में मामला दर्ज करवाया था कि दांता चौकी प्रभारी रमेशचंद मीणा, दांता निवासी देवीप्रसाद पौद्दार, बलदेवदास महाजन और इकबार चौबदार उसके घर आए। यह चारों लोग उसकी 13 वर्षीय बेटी को यह कहकर घर से ले गए कि वह उसके माता-पिता से मिलाने जा रहे हैं। आरोपी बालिका को झाड़ली तलाई में लेकर गए। वहां पर बालिका के साथ अश्लील हरकतें की गई। साथ ही बालिका को धमकी दी कि यह जानकारी परिवार के लोगों को देने पर उन्हें झूंठे मुकदमे में फंसाकर उनकी जिदंगी बरबाद कर देंगे। ऐसे में बालिका डर गई। बालिका ने 26, जून 2018 को परिजनों को इसकी जानकारी दी। इस पर बालिका की मां ने थाने में मामला दर्ज करवाया।
इस मामले की जांच पहले एसआई सवाई सिंह और बाद में सीआई हिम्मत सिंह ने की। पुलिस ने मामले की जांच में माना कि किसी मामले में दबाव बनाने के लिए महिला ने अपनी बेटी के अपहरण और अश्लील हरकत करने की झूंठी कहानी रचकर मामला दर्ज करवाया है। बाद में सत्यापन के लिए एसपी के आदेश से यह मामला नीमकाथाना एएसपी के पास भेजा गया। एएसपी ने भी मामले को झूंठ मानकर न्यायालय में एफआर पेश कर दी।
न्यायालय ने एफआर अस्वीकार की
इस मामले में पोक्सो न्यायालय ने पुलिस की ओर से पेश एफआर को अस्वीकार कर दिया। वर्ष 2019 में 8 फरवरी को न्यायालय ने आदेश दिया कि घटना के समय पीडि़ता की उम्र 13 वर्ष की होना पाया गया है। पुलिस के जांच अधिकारी ने अनुसंधान में पोक्सो अधिनियम के मूल उद्देश्यों का ध्यान नहीं रखा। मामले की जांच की दिशा केवल इसी तरफ रखी गई कि प्रकरण में आरोपियों की संलिप्तता का निवारण किस तरह किया जाए। प्रकरण का उचित प्रकार से अनुसंधान नहीं किया गया है। न्यायालय ने पुलिस की ओर से पेश एफआर अदम वकू झूंठ को अस्वीकार कर उचित तरीके से अनुसंधान करवाने के लिए पत्रावली को वापस पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया। साथ ही एक माह में न्यायालय में नतीजा पेश करने के आदेश दिए गए थे। इस पर एएसपी सीकर से मामले की जांच करवाई गई। जांच के बाद बाद पुलिस ने फिर एफआर पेश कर दी। इस पर पीडि़ता ने अपने अधिवक्ता कानपुरी गोस्वामी के माध्यम से आपत्ति याचिका पेश की। पीडि़ता, उसकी मां व तीन अन्य गवाहों के बयान न्यायालय में करवाए गए।
इस मामले में प्रसंज्ञान लेते हुए न्यायालय ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिए जाने का पर्याप्त आधार है। ऐसे में तत्कालीन एसआई रमेशचंद मीणा और इकबाल चौबदार के खिलाफ पोक्सो एक्ट तथा देवीप्रसाद व बलदेव दास के खिलाफ धारा 448,120 बी तहत प्रसंज्ञान लिया जाकर जमानती वारंट से तलब किया था। पीपी किशोर सैनी ने बताया कि इनमें से बलदेवदास की 17 जनवरी को मौत हो गई। अन्य तीनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर 16 नवंबर को तलब किया है।