मोरारका कॉलेज में साकार हुई राजस्थानी संस्कृति
मोरारका कॉलेज में साकार हुई राजस्थानी संस्कृति

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : शनिवार को राजस्थान दिवस पर कई आयोजन किए गए। राजकीय राधेश्याम मोरारका पीजी महाविद्यालय में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से लोक नृत्यों की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिला पर्यावरण सुधार समिति झुंझुनूं की ओर से आयोजित हुई इस प्रतियोगिता में झुंझुनूं जिला मुख्यालय के अलावा चिड़ावा, नवलगढ़, सूरजगढ़, खेतड़ी समेत अन्य जगहों से डेढ दर्जन के करीब स्कूलों और कॉलेजों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लेकर घूमर, चिरमी, कालबेलिया, कच्छी घोड़ी और लहरियों आदि की थीम पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। जिससे राजस्थानी संस्कृति साकार हुई। पर्यावरण सुधार समिति के सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि सभी प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक देवेंद्र चौधरी थे। जबकि एसीबी के एएसपी इस्माइल खान, महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक संजय कुमार, कॉलेज प्रिंसिपल प्रो. सुरेंद्र न्यौला, डॉ. मनोज कुलहार समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। इस मौके पर पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक देवेंद्र चौधरी ने उपस्थित जनों को स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदान करने की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम में स्वीप कार्यक्रम के आईकॉन गायक जाकिर अब्बासी, शक्ति सदन झुंझुनूं की अधीक्षक भंवरी देवी, अभिषेक मुरारका, चंद्रप्रकाश जालान, कॉलेज की प्रोफेसर मंजू चौधरी, संजीव, डॉ. मानसिंह आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन आरजे इमरान ने किया। सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि समूह नृत्य प्रतियोगिता में राकेश पीजी कॉलेज पिलानी की पायल एंड ग्रुप, चावो वीरो बालिका पीजी कॉलेज बगड़ की ममता कुमावत एंड ग्रुप तथा आरकेजेके बरासिया पीजी कॉलेज सूरजगढ़ की कोमल एंड ग्रुप ने क्रमश: पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसी तरह एकल नृत्य प्रतियोगिता में आरकेजेके बरासिया कॉलेज सूरजगढ़ की ऋतिका, श्रीराधेश्याम आर मोरारका कॉलेज झुंझुनूं की हेमलता व आरकेजे बरासिया कॉलेज सूरजगढ़ की नमृता संयुक्त रूप से तथा राजकीय कन्या महाविद्यालय झुंझुनूं की अमनदीन ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी विजेताओं को प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान की परंपरागत लोक प्राचीन संस्कृति को नई पीढी से रूबरू करवाने के लिए लगातार इस तरह के कार्यक्रम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किए जा रहे है।