आर्टिकल : एलन भैया ने ‘नीली चिड़िया’ आज़ाद कर दी!
एलन मस्क भैया ट्विटर के मालिक हो गए हैं। वे कंपनी के तौर-तरीक़ों में नए-नए बदलाव कर रहे हैं। आते ही कई अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई से संकेत मिलता है कि अब उस ढर्रे पर काम नहीं चलेगा, जैसा चलता आया है। उम्मीद है कि अब यूजर्स को बेवजह परेशान भी नहीं किया जाएगा। ज़रा-ज़रा सी बात पर कोई ट्वीट नहीं हटाया जाएगा। लंबे-लंबे और उबाऊ क़िस्म के नोटिस नहीं आएँगे।
भारत के कुछ सरकारी दफ़्तरों की कार्यशैली भी ऐसी ही है। जब जाकर देखो, कुर्सी ख़ाली; कुछ पूछो तो कोई सीधे मुँह जवाब नहीं देता; यह पूछो कि अधिकारी महोदय कहाँ गए हैं तो कह दिया जाता है कि अभी लंच रहा है/लंच टाइम है … आज नहीं, परसों आना; सर्वर डाउन है, साहब छुट्टी पर हैं; काउंटर नंबर .. पर जाओ।
कुल मिलाकर, इतने चक्कर कटवाए जाते हैं कि आम आदमी ‘चक्करघिन्नी’ बन जाता है। अगर मेरे शब्दों पर विश्वास न हो तो लोगों से पूछ लीजिए, अख़बार पढ़ लीजिए, सोशल मीडिया पोस्ट देख लीजिए।
ऐसा नहीं है कि सब जगह इसी तरह का माहौल है। बेशक, कुछ कर्मचारी विनम्र और मेहनती होंगे, लेकिन ऐसे कर्मचारियों की भी कोई कमी नहीं है, जो अपनी कार्यशैली से जनता को परेशान करते हैं।
मैं एलन मस्क से आग्रह करूंगा कि उन्होंने जिस तरह ट्विटर को ख़रीदकर इस ‘नीली चिड़िया’ को आज़ाद किया है, उसी तरह हमारे ऐसे सरकारी दफ़्तरों को ख़रीदें या उनमें हिस्सेदारी ले लें, ताकि ये भी पुराने, सुस्त ढर्रे से आज़ाद हो जाएँ। सरकारें तो कुछ करेंगी नहीं। जनता परेशान है, जिसकी किसी को परवाह नहीं।
.. राजीव शर्मा ..
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