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बेटी भी किसी मायने में कम नहीं होती है बेटों से


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बेटी भी किसी मायने में कम नहीं होती है बेटों से

बेटी भी किसी मायने में कम नहीं होती है बेटों से

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अनिल शर्मा

शिमला : पहले जिस समाज में बेटी होना अभिशाप माना जाता है आज उस समाज में बेटी होने पर खुशियां मनाई जाती हैं उनका कुआं पूजन किया जाता है तथा धूम धाम से प्रीतिभोज समारोह का आयोजन किया जाता है तथा बेटा और बेटी को एक समान माने जाने लगा है। इसी के तहत ग्राम ठाठ वाडी में मैनेजर शिवताज सिंह की सुपुत्री डॉक्टर निकिता की शादी के अवसर पर उनके ग्राम ठाठ वाडी में 11 गांव का प्रति भोज (मेल )का आयोजन किया गया तथा उनकी घोड़ी पर बनोरी निकाली गई । पहले कोई लड़कियों की बनौरी भी नहीं निकलता था तथा लड़की को घोड़ी पर बैठना भी अभिशाप माना जाता था लेकिन शिवताज ने अपनी बेटी की जो डॉक्टर है उसकी बनोरी घोड़ी पर निकाल कर तथा 11 गांव की प्रतिभोज करके समाज को यह संदेश दिया हैं कि बेटा और बेटी एक समान होते हैं उनमें हमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए इसी के लिए उनकी शादी के अवसर पर मेल का भी आयोजन किया हैं।

ठाठवाडी सरपंच डॉक्टर किशोरी लाल यादव ने कहा कि हमें शिवताज़ सिंह मैनेजर से प्रेरणा लेनी चाहिए कि जिस तरह वो अपनी बेटी को बेटा मानकर बेटे की शादी जैसे आयोजन किए हैं वैसे आयोजन हमें भी करने चाहिए तथा हमें भी बेटे और बेटी में फर्क नहीं मानना चाहिए। क्योंकि बेटी बेटों से बढ़कर होती है वह दो परिवारों को सवारने का कार्य करती है शादी से पहले अपने पिता के परिवार को तथा शादी के बाद में अपने पति के परिवार को वह सवारने का कार्य करती है। हमें भी मैनेजर शिवताज जी से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा बेटे व बेटी में फर्क नहीं समझना चाहिए।

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