अदालत ने जोड़ा 3 साल से टूटा रिश्ता:जज बोले- लोक अदालत में किसी की हार-जीत नहीं होती; 26 हजार मामलों की सुनवाई हो रही
अदालत ने जोड़ा 3 साल से टूटा रिश्ता:जज बोले- लोक अदालत में किसी की हार-जीत नहीं होती; 26 हजार मामलों की सुनवाई हो रही

सीकर : साल की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन सीकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट परिसर में किया गया। लोक अदालत में सिविल प्रकरण, धारा 138 एनए एक्ट, धन वसूली, एमएसीटी एक्ट, श्रम व नियोजन, फैमिली मैटर, भूमि अधिग्रहण, मजदूरी, भत्ते और पेंशन भत्तों से संबंधित प्रकरणों का निपटारा किया गया।
लोक अदालत में फैमिली कोर्ट की बेंच ने 2 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी के तलाक के प्रकरण का निस्तारण किया। विशिष्ट न्यायाधीश एमएसीटी बेंच व समझौता पीठासीन अधिकारी रेखा राठौड़ ने बताया कि सीकर जिले के रहने वाले एक जोड़े में तलाक का मामला पिछले 3 वर्षों से फैमिली कोर्ट में चल रहा था। पति-पत्नी, मन-मुटाव के कारण 3 वर्षों से अलग-अलग रह रहे थे। महिला के एक बेटा भी है।

तलाक लेने आए जोड़े की काउंसिलिंग करवाई
मामला लोक अदालत में आने के बाद दोनों पक्षों के वकीलों ने जोड़े की काउंसिलिंग कराई और समझाइश की। जिसके बाद विवाहित जोड़ा एक साथ रहने के लिए राजी हो गया। दोनों ने एक दूसरे को कोर्ट में माला पहनाई और मिठाई खिलाई। विवाहित जोड़ा एक बार फिर से अपने जीवन की नई शुरुआत करने के लिए खुशी-खुशी घर चला गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव धर्मराज मीणा ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत सीकर जिले में सुनवाई लिए लोक अदालत के 18 बेंच बनाए गए हैं। 5 बेंच सीकर जिला मुख्यालय में है और 13 बेंच जिले की अन्य कोर्ट में है। सीकर जिले में सुनवाई के लिए लोक अदालत ने साढ़े सात हजार प्रकरण चिह्नित किए हैं। जिसमें साढ़े अठारह हजार प्री-लिटिगेशन के मामले हैं। आज लोक अदालत में लगभग 26 हजार मामलों की सुनवाई जिले की लोक अदालतों में हो रही है।

लोक अदालत में तुरंत निपटारा
धर्मराज मीणा ने बताया कि सबसे ज्यादा लोगों को लाभ प्री-लिटिगेशन बेंच से मिलता है। प्री-लिटिगेशन बेंच में सबसे ज्यादा वही मामले आते हैं जो कोर्ट में लंबित नहीं है। फैमिली कोर्ट के मामलों में भी लोगों को काफी फायदा मिलता है। आज फैमिली कोर्ट के तीन मामलों का निपटारा किया गया है। मामलों का निपटारा होने के बाद विवाहित जोड़े एक-दूसरे के साथ घर जाने को राजी हुए।
धर्मराज मीणा ने कहा कि लोक अदालत में आमजन को सस्ता, सुलभ न्याय मिलता है और इसके लिए कोई अपील नहीं करनी पड़ती। लोक अदालत में प्रकरण आने के बाद तुरंत प्रकरण का निपटारा होता है। लोक अदालत में आए केस में न तो किसी की जीत होती है और न ही किसी की हार। किसी के प्रति द्वेष भावना भी नहीं रहती।
