बार-बार बेहोश हो रहा था व्यक्ति, बीमारी निकली नस की:शहर के सुविरा हॉस्पिटल में हुआ अनोखा केस, मरीज हाथ से भारी काम करते ही हो जाता बेहोश
बार-बार बेहोश हो रहा था व्यक्ति, बीमारी निकली नस की:शहर के सुविरा हॉस्पिटल में हुआ अनोखा केस, मरीज हाथ से भारी काम करते ही हो जाता बेहोश

जयपुर : 52 साल के मनोज सिंह (परिवर्तित नाम) बार-बार बेहोश हो रहे थे। एक बार छोटा ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ लेकिन उससे अपने आप ठीक हो गए। उन्होंने कई जगह परामर्श लिया, फिर भी बीमारी पकड़ में नहीं आ रही थी। अंत में उन्हें मानसरोवर स्थित सुविरा हॉस्पिटल में राहत मिली। यहां जब डॉक्टर्स ने मरीज की जांच की तो वे भी हैरान हो गए। मरीज के हृदय से बाएं हाथ की तरफ जाने वाली नस ब्लॉक होने के कारण अपने आप दूसरे रास्ते से हाथ की ओर रक्तप्रवाह होने लगा था जिसके कारण दिमाग में खून की कमी से वह बार बार बेहोश हो रहे थे। उन्हें सबक्लेवियन स्टील नामक एक दुर्लभ बीमारी थी जिसका इलाज हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रूद्रदेव पांडेय ने किया। डॉ. रूद्रदेव पांडेय ने बताया कि मरीज के बाएं हाथ से थोड़ा भी भारी काम कर लेने से वह बेहोश हो जाते थे।

जब वे हॉस्पिटल आए तो हमने पाया कि उनके बाएं हाथ की पल्स बहुत कम आ रही थी। ऐसे में आर्टिरियल डॉप्लर और सीटी स्कैन टेस्ट किया। इसमें सामने आया कि हार्ट से बाएं हाथ की ओर जाने वाली नस पूरी तरह ब्लॉक हो चुकी थी। केस में रोचक बात यह रही कि दिमाग की पिछली तरफ खून पहुंचाने वाली वर्टीब्रल आर्टरी में से अपने आप एक बायपास बन गया था जो दिमाग के हिस्से का खून हाथ में पहुंचा रहा था। मरीज जब भी कुछ भारी काम करते थे तो हाथ में रक्तप्रवाह बढ़ने से दिमाग में खून की कमी हो जाती थी और मरीज बेहोश हो जाते थे। समस्या का पता लगने के बाद इंटरवेंशन के जरिए ही इसका इलाज करने का निर्णय लिया गया। डॉ. रूद्रदेव ने जानकारी दी कि जांघ की बड़ी नस के जरिए कैथेटर की मदद से बैलून एक्सपेंडल स्टेंट इंप्लांट करके ब्लॉकेज खोल दिया गया। मरीज की समस्या तुरंत ठीक हो गई और उन्हें प्रोसीजर के एक दिन बाद ही डिस्चार्ज भी कर दिया गया। डॉ. रूद्रदेव पांडेय ने बताया कि सबक्लेवियन स्टील समस्या बहुत दुर्लभ होती है। भारत में सिर्फ 0.6 से 6.4 प्रतिशत मामले ही सामने आते हैं।