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नागौर : 250 घरों का गांव, बिना कोचिंग 24 युवा बने PTI:यहां गुटखे-सिगरेट और शराब की दुकानें नहीं, मॉडर्न लाइब्रेरी है


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नागौर : 250 घरों का गांव, बिना कोचिंग 24 युवा बने PTI:यहां गुटखे-सिगरेट और शराब की दुकानें नहीं, मॉडर्न लाइब्रेरी है

देश और दुनिया में सोमवार को दीवाली मनाई जाएगी, लेकिन राजस्थान के एक गांव में दीपोत्सव की खुशियां दो दिन पहले ही पहुंच गई। ये है नागौर जिले का डूकिया गांव।

नागौर :  250 घरों की आबादी वाले इस गांव के 2 लड़कियों सहित 24 युवाओं ने PTI एग्जाम में सफलता हासिल की है, वो भी बिना किसी कोचिंग के। राजस्थान सबोर्डिनेट एंड मिनिस्टीरियल सर्विसेज सिलेक्शन बोर्ड द्वारा हाल में फिजिकल एजुकेशनल टीचर एग्जाम का रिजल्ट जारी किया गया। अब ये सभी 24 युवा डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन के बाद शारीरिक शिक्षक (PTI) बन जाएंगे।

जहां कुल घर ही 250 हों, वहां 24 का एक साथ सिलेक्शन होना चौंकाने वाला था। ऐसे में दैनिक भास्कर टीम डूकिया गांव पहुंची और गांव के लोगों और युवाओं से बात कर उनका सक्सेस मंत्र जाना।

गांव के लोगों ने बताया कि सिर्फ पढ़ाई नहीं खेल में भी यहां के युवा आगे हैं। हाल ही में हुए ग्रामीण ओलिंपिक में यहां की टीम जिला लेवल पर दूसरे स्थान पर रही थी। वॉलीबॉल में गांव की टीम कई वर्षों से चैंपियन है। गांव की सबसे खास बात ये है कि गांव में गुटखे-सिगरेट और शराब की एक भी दुकान नहीं है।

जयपुर से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर नागौर जिले का डूकिया गांव। सुबह जब हम इस गांव में पहुंचे तो बीच चौक में कई लोग जमा थे और एक दूसरे काे बधाइयां और मिठाइयां बांट रहे थे। पीटीआई एग्जाम में सफल अधिकतर युवा यहां मौजूद थे। वहीं कुछ पूर्व चयनित और ग्रामीण भी उन्हें बधाइयां देने गांव के चौक में पहुंचे।

सफल युवाओं में से एक नरेंद्र कमेडिया ने हमें बताया कि उनके अलावा राजूराम रोज, महेंद्र रोज, अशोक रोज, महिपाल रोज, राकेश रोज, सुनील रोज, सुशील रोज, इन्द्रराज कमेडिया, सीताराम कमेडिया, बलदेव रोज, अनिल रोज, रामस्वरूप रोज, मनीष खदाव, राजेश शर्मा, दीनाराम भंवरिया, राजूराम सोनेल, प्रेम रोज, सुमित्रा रोज, मंजू खालिया, राकेश रोज, सेवाराम रोज, पूराराम रोज व सुनील पंवार को सफलता मिली है। गांव से कुल 43 जनों ने ये परीक्षा दी थी।

एजुकेशन कम स्पोट्‌र्स फ्रेंडली माहौल से मिली सफलता

गांव से टॉप करने वाले युवा इन्द्रराज ने बताया कि उनके गांव में एजुकेशन कम स्पोट्‌र्स फ्रेंडली माहौल है। बचपन से ही सभी को अधिक से अधिक स्पोट्‌र्स के लिए मोटिवेशन दिया जाता है। गांव से पहले भी कई स्टेट और नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर हो चुके है।

बुजुर्ग भी सपोर्ट करते है। पूरे गांव में आपको एक भी गुटखा-सुपारी या शराब की दूकान नहीं मिलेगी। यहां पूरी तरह से नशा बैन है। ऐसे में हर बच्चे को पढ़ाई के साथ-साथ स्पोट्‌र्स के लिए भी बेहतर माहौल मिला है। पूर्व में सफल हुए लोग युवाओं को गाइड भी करते है तो मोटिवेट भी करते है। यहीं कारण है कि एक साथ इतने पीटीआई बने हैं।

युवा चलाते हैं मॉडर्न लाइब्रेरी

महेंद्र रोज ने हमें बताया, हम सभी ने बिना कोचिंग ये सफलता हासिल की है। यहां गांवों में शहरों की तरह लाइब्रेरी नहीं थी तो सभी ने आपस में बात की और तय हुआ कि गांव में एक मॉडर्न लाइब्रेरी होनी चाहिए। महेंद्र ने बताया कि लाइब्रेरी के लिए एक ने जगह दी तो दूसरे ने लाइट कल व्यवस्था की। किसी ने पानी की व्यवस्था कर दी तो किसी और ने फर्नीचर और किताबों की। थोड़े ही दिनों में वो एक मॉडर्न लाइब्रेरी बन गई।

38 साल के किसान भी हुए सफल

गांव के किसान भी PTI बनने जा रहे हैं। 38 साल के किसान राजेश ने बताया कि वो इससे पहले तक खेतीबाड़ी करते थे। उनके गांव में वाटर लेवल बढ़िया है। मौजूदा दौर में जब हर और पानी की कमी है तब भी उनके गांव में महज 25-30 फीट पर बढ़िया और मीठा पानी है। किसानी के बीच ही दो महीने पहले पीटीआई भर्ती परीक्षा की तैयारी शुरू की। राजेश इसका श्रेय अपनी किसानी के अनुभव को देते हैं। कहते हैं खेती से जो डिसिप्लिन सीखा वो पढ़ाई में काम आया।

खेलों के प्रति शुरुआत से रुझान

सरकारी स्कूल के पीटीआई दीनाराम इनाणिया ने बताया, वो साल 1999 से यहां पोस्टेड है। साल दर साल उन्होंने यहां के बच्चों में खेलों के लिए एक जबरदस्त जूनून देखा है। आस-पड़ोस में होने वाले कॉम्पिटिशन में बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूल और कॉन्वेंट स्कूल के बच्चे भी इनके सामने पस्त होते हैं।

गाँव की खासियत, यहाँ नालियां नहीं

पीटीआई भर्ती परीक्षा के लिए जिला लेवल के स्पोट्‌र्स क्वालीफाई सर्टिफिकेट की भी जरूरत होती है। इसके चलते उनका शुरू से ही ये प्रयास रहता है कि गांव का हर एक बच्चा स्पोट्‌र्स में पार्टिसिपेट करे। कुछ साल पहले यहां से तीन युवाओं का पीटीआई भर्ती में सलेक्शन हुआ था। उसके बाद तो यहां लगभग हर युवा ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी। इसी जुनून से इन्हें सफलता मिली है।

गांव की ये भी खासियत: 25 फीट नीचे ही पानी

पास के क्षेत्रों में 500 फीट से नीचे पानी नहीं मिल रहा, लेकिन डूकिया में मात्र 25 से 35 फीट नीचे ही ओपन वेल में हर समय पानी चलता है। इस गांव में सालों से अच्छी परंपरा चली आ रही है। गांव में कहीं भी नालियां नहीं हैं। हर घर के आंगन या बाहर जमीन में गड्ढ़े खोदे हुए हैं, जिससे घरेलू उपयोग में खर्च होने वाला पानी गड्‌ढ़ों के जरिए भूगर्भ में चला जाता है।

सभी घरों के आंगन या बाहर जमीन में करीब दस फीट गहरे और सात फीट चौड़े गड्ढ़े बनाए हुए हैं। इनमें घर से निकलने वाले पानी का पाइप डालकर इन गड्ढ़ों को बंद किया है।

 

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