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कांग्रेस के तत्कालीन एमएलए का इस्तीफा मामला: उच्च न्यायालय में सुनवाई टली


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कांग्रेस के तत्कालीन एमएलए का इस्तीफा मामला: उच्च न्यायालय में सुनवाई टली

कांग्रेस के तत्कालीन एमएलए का इस्तीफा मामला: उच्च न्यायालय में सुनवाई टली

जयपुर : राजस्थान विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर की ओर से कांग्रेस के तत्कालीन 81 एमएलए के 25 सितंबर 2022 को दिए इस्तीफों पर निर्णय नहीं करने और 113 दिन देरी से इन इस्तीफों को अस्वीकार करने को चुनौती देने के मामले में हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई चार सप्ताह टल गई। सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह निर्देश बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ की याचिका पर दिया। राठौड़ की ओर से कहा कि मामले में नए गंभीर तथ्य उजागर हुए हैं, इसमें बहस के लिए समय चाहिए।

गौरतलब है कि राठौड़ ने इस मामले में शांति धारीवाल, महेश जोशी, रफीक खान, महेन्द्र चौधरी, रामलाल जाट व संयम लोढ़ा को भी पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र पेश किया था ताकि पता चल सके कि 81 एमएलए ने किसके दबाब में विधानसभा स्पीकर को इस्तीफे सौंपे थे। इसके अलावा अदालत से 81 एमएलए की ओर से 25 सितंबर 2022 से वेतन-भत्तों के तौर पर प्राप्त किए करीब 18 करोड़ रुपए के संबंध में भी उचित आदेश देने का आग्रह किया है।

इसके अलावा यह भी आग्रह किया है कि स्पीकर के समक्ष पेंडिंग इस्तीफों को तय करने की अवधि के लिए हाईकोर्ट दिशा-निर्देश तय करे ताकि भविष्य में कोई भी विधानसभा स्पीकर अपने वैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग नहीं कर सके।

तत्कालीन एमएलए ने किसी बाहरी दवाब में दिए थे इस्तीफे: राठौड़

राजेन्द्र राठौड़ ने बताया कि स्पीकर के जवाब व दस्तावेजों से साबित हो गया है कि निर्वाचित 81 एमएलए ने किसी बाहरी दबाब में 25 सितंबर 2022 को इस्तीफे दिए थे, लेकिन तीन महीने बाद यह तथ्य स्वीकार करते हुए कि उनके त्याग पत्र स्वैच्छिक नहीं थे, उन्होंने विधानसभा स्पीकर के समक्ष इस्तीफे वापस लेने का प्रार्थना पत्र लगा दिया। इस खुलासे से केस की प्रकृति पूरी तरह से बदल गई है। इस मामले में कई संवैधानिक बिन्दु तय होने हैं और उन्हें संवैधानिक विषय विशेषज्ञों से भी चर्चा करनी है। राहुल गांधी को अब इन 81 एमएलए को न्याय दिलवाने के लिए न्याय यात्रा निकालनी चाहिए।

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