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चार महीने में तैयार होगी प्रोजेक्ट की डीपीआर : हथिनीकुंड बैराज से झुंझुनूं को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिलने की उम्मीद बंधी, भूमि का जल स्तर बढ़ेगा, अनेक जगह मनाई खुशियां


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चार महीने में तैयार होगी प्रोजेक्ट की डीपीआर : हथिनीकुंड बैराज से झुंझुनूं को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिलने की उम्मीद बंधी, भूमि का जल स्तर बढ़ेगा, अनेक जगह मनाई खुशियां

चार महीने में तैयार होगी प्रोजेक्ट की डीपीआर : हथिनीकुंड बैराज से झुंझुनूं को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिलने की उम्मीद बंधी, भूमि का जल स्तर बढ़ेगा, अनेक जगह मनाई खुशियां

तीन दशकों से चली आ रही मांग : अंडरग्राउंड पाइप लाइन के जरिए पहुंचेगा पानी

झुंझुनूं. तीन दशक से चली आ रही जिले के लोगों की पेयजल और सिंचाई की मांग पूरी होने की उम्मीद बंधी है। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से झुंझुनूं जिले के लोगों को पेयजल ही नहीं बल्कि सिंचाई के लिए भी पानी मिलेगा। राजस्थान और हरियाणा के बीच डीपीआर बनाने को लेकर सहमति बनी है। चार महीने में प्रोजेक्ट की डीपीआर बनेगी ओर इसके बाद अंडरग्राउंड पाइपलाइन के जरिए झुंझुनूं जिले में यमुना का पानी पहुंचेगा। पानी पहुंचने से जिले में पेयजल किल्लत तो दूर होगी ही, साथ ही सिंचाई के लिए पानी मिलने से जिले में हरित क्रांति को पंख लग सकेंगे। बताया जा रहा है कि राजस्थान और हरियाणा संयुक्त रूप से डीपीआर तैयार करेंगे। अंडरग्राउंड पाइपलाइन के जरिए जुलाई से अक्टूबर के बीच प्रदेश के झुंझुनूं, सीकर, चूरू समेत अन्य जिलों के लिए 577 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

फ्लैश बैक : क्या है यमुना जल समझौता

1994 में पांच राज्यों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों राजस्थान से भैंरोसिंह शेखावत, हरियाणा से भजनलाल, यूपी से मुलायसिंह यादव, हिमाचल प्रदेश से वीरभद्रसिंह ओर दिल्ली से मदनलाल खुराना ने यमुना जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते में तीन जिले झुंझुनूं, चूरू और भरतपुर को 1.19 बिलयिन क्यूबिक मीटर पानी देना तय किया गया था। इसकी पालना में 1995 में अपर यमुना रिवर बोर्ड का गठन किया गया। राजस्थान के अलावा बाकी सभी प्रदेशों से यमुना गुजरती है। इसलिए बाकी राज्यों को पानी समझौते के अनुसार मिलने लगा। परंतु झुंझुनूं और चूरू को हरियाणा की अनापत्ति के बगैर पानी मिलना सम्भव नहीं था। सन 2001 में हरियाणा के मुख्यमंत्री और राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री के बीच हुई बैठक में हरियाणा के अधिकारियों ने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि राजस्थान को हरियाणा की नहरों से पानी नहीं दिया जा सकेगा। चूंकि झुंझुनूं और चूरू जिले में पानी हरियाणा की नहर से ही आ सकता था। इसलिए राजस्थान सरकार ने हरियाणा में लोहारू तक बनी नहर को इस कार्य के लिए लेने तथा हरियाणा में नहरों के निर्माण एवं रखरखाव की जिम्मेदारी राजस्थान द्वारा लेने सम्बन्धी एमओयू का प्रारूप हरियाणा को 14 फरवरी 2003 को भिजवाया गया।

हरियाणा ने इस समझौते पर हरियाणा के हितों की अनदेखी होने का कारण बता हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इस मुद्दे को हरियाणा राज्य ने अपर यमुना रिव्यू कमेटी में ले लिया। कमेटी की 12 अप्रेल 2006 को हुई बैठक में चार राज्यों के अधिकारियों की एम्पावर्ड कमेटी बनाने का निर्णय किया गया और फिर कमेटी ने 29 दिसंबर 2007 को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए निर्णय किया कि समझौते में हरियाणा के हितों की अनदेखी नहीं हुई है। ताजेवाला हेड पर पर्याप्त पानी उपलब्ध है। लेकिन पानी को ताजेवाला हेड से हरियाणा होते हुए राजस्थान कैसे ले जाया जाए, इसपर सहमति नहीं बन पाई। कमेटी ने माना कि वेस्टर्न जमुना कैनाल की ही मरम्मत कर पानी ले जाने लायक बनाया जा सकता है। मरम्मत और नए निर्माण का जो भी खर्च आएगा वो राजस्थान देने को तैयार है। मगर हरियाणा इनमें से किसी भी उपाय पर राज़ी नहीं हुआ तथा हर बैठक में नए-नए मुद्दे उठा कर मामले को उलझाया जाता रहा और यह आज तक जारी है।

21 नवंबर 2017 में लगी हाइकोर्ट में याचिका

झुंझुनूं में गम्भीर जल संकट की स्थिति को देखते हुए 21 नवंबर 2017 को 1994 के यमुना जल समझौते को लागू करने के लिए यशवर्धन सिंह बनाम सरकार जनहित याचिका दायर की गई। 14 दिसंबर 2017 को हाइकोर्ट की ओर से सरकार को नोटिस जारी कर पूछा गया कि समझौता होने के 24 साल बाद भी झुंझुनूं और चूरू क्यों नहीं मिला। सरकार को इस नोटिस का जवाब एक महीने के भीतर देना था, परंतु जवाब नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने सरकार को जवाब नहीं देने पर सख्त रुख़ अपनाया और सरकार को फटकार लगाते हुए 20 फरवरी 2018 तक जवाब देने का अंतिम मौक़ा दिया। हाइकोर्ट की सख्ती के कारण पूर्व केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने 15 फरवरी 2018 को यमुना जल समझौते के मुद्दे पर बैठक बुलाई। ये बैठक तीन साल बाद बुलाई गई थी । बैठक में 2007 की एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा की ये आपत्ति ख़ारिज की गई कि राजस्थान को देने के लिए ताजेवाला हेड पर पर्याप्त पानी नहीं है। राजस्थान सरकार ने दोबारा हरियाणा को एमओयू भेजा। इसमें भूमिगत पाइप लाइन के माध्यम से ताजेवाला हेड से राजस्थान की सीमा तक पानी लाने की सहमति मांगी गई।

इस एमओयू का हश्र भी पिछले एमओयू जैसा ही हो रहा है। इस नए एमओयू के भेजे जाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकऱी की अध्यक्षता में 2 महत्वपूर्ण बैठकें हुई। मगर हरियाणा ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं किए। हरियाणा जब तक अपने क्षेत्र में काम करने और अस्थाई भूमि अधिग्रहण कर पाइप डालने की इजाज़त नहीं देता तब तक राजस्थान अपने हिस्से के पानी को किसी भी तरह प्राप्त नहीं कर सकता। इसी बैठक में राजस्थान की हरियाणा के ताजेवाला हेड से पाइप लाइन से पानी लाने सम्बंधी मांग की 20000 करोड़ की राशि को केंद्रीय बजट से देने की मांग को भी ख़ारिज किया गया और राजस्थान को ख़र्चे की राशि का इंतज़ाम ख़ुद करने को कहा गया। यानि राजस्थान को ना ही तो हरियाणा से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर मिले और ना ही केंद्र सरकार से पैसा। हरियाणा से समझौते के सवाल पर राजस्थान सरकार कोर्ट को भी कोई संतोषजनक जवाब नही दे पाई । इसलिए राजस्थान हाइकोर्ट भी राजस्थान की सीमा से बाहर जाकर हरियाणा को समझौते के लिए बाध्य नही कर सकता। 5 जनवरी 2019 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने 24 जनवरी तक सरकार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।

धरातल पर उतरने तक जारी रहेगा संघर्ष

1994 का यमुना जल समझौता लागू होना चाहिए। हाइकोर्र्ट के आदेशों की पालना में राज्य सरकार की ओर से सन 2019 में ही 31000 करोड़ की डीपीआर बनवा कर केंद्रीय जल आयोग को भिजवा दी गई थी। यह हमारी पहली जीत थी। आज हरियाणा के साथ हुआ समझौता इस दिशा में सकारात्मक कदम है। हमारी मांग है कि 1994 के मूल समझौते के तहत राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र को अपने हक़ का पूरा पानी मिले। समझौता धरातल पर उतरने तक यमुना जल संघर्ष समिति संघर्ष करती रहेगी।

यशवर्धनसिंह शेखावत, याचिकाकर्ता व संयोजक यमुना जल संघर्ष समिति (झुंझुनूं)

30 साल से अटके हुए 1994 के यमुना जल के मसले का आज हल हुआ है। यमुना जल हमारा हक आंदोलन समिति मुख्यमंत्री व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत का आभार व्यक्त करती है। फैसले का अध्ययन कर रहे हैं और शेखावाटी की जनता के मुताबिक फैसला हो, इसका ख्याल रखा जाएगा।

एडवोकेट सहीराम चौधरी, संयोजक यमुना जल हमारा हक आंदोलन शेखावाटी

लंबे समय से युवाओं ने जनसंकल्प अभियान चलाया। आंदोलन और जन जागरण चलाकर अधिकारियों राजनेताओं को ज्ञापन दिए और धरना दिया गया। शेखावाटी के तीनों जिलों को पानी मिले इसके लिए समझौता हुआ है। इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि नहर की मांग को पूरी हो। जब तक पानी नहीं मिलेगा तब तक हमारा जन संकल्प अभियान जारी रहेगा।

भरत बेनीवाल, संयोजक शेखावाटी जल क्रांति सेना

पुरानी डीपीआर को ही मिले मंजूरी: कुल्हरी

यमुना जल महासंघर्ष समिति के पदाधिकारी फूलचंद बर्बर व रामचंद्र कुलहरि का कहना है कि राजस्थान तथा हरियाणा के बीच हुए एमओयू के अनुसार झुंझुनूं व चुरू जिले की राजगढ तहसील को 6 पाइपलाइन के जरिए पीने व सिंचाई का 1.19 क्यूबिक मीटर पानी मिलना था। आज बनी सहमति के अनुसार सिर्फ पीने के लिए तीन पाइपलाइन से ही पानी मिलेगा। तीस वर्षों से सिंचाई के पानी के लिए बाट देख रहे किसानों की आशाओं पर पानी फेर दिया है। यमुना जल महासंघर्ष समिति नई डीपीआर की बजाए पुरानी डीपीआर की स्वीकृति के लिए संघर्ष करेगी।

एमओयू होने तक जारी रहेगा संघर्ष

यमुना जल के लिए आंदोलन कर रहे संगठन एमओयू होने तक संघर्ष जारी रखेंगे। संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि जिस दिन जिले को पानी मिलने का एमओयू हो जाएगा। आंदोलन को समाप्त कर दिया जाएगा। जिले में यमुना जल की मांग को लेकर तीन दशक से आंदोलन चल रहा है।

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