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जयपुर : उज़्बेकिस्तान में गूंजेगा जयपुर का तबला, जयपुर के होनहार बालक आफरीदी भारती देंगे प्रस्तुति


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जयपुर : उज़्बेकिस्तान में गूंजेगा जयपुर का तबला, जयपुर के होनहार बालक आफरीदी भारती देंगे प्रस्तुति

जयपुर : कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, यही कहावत सार्थक रूप से चरितार्थ कर रहे हैं जयपुर के होनहार बालक आफरीदी भारती। शास्त्रीनगर स्थित टैगोर पब्लिक स्कूल की 9वीं कक्षा में पढऩे वाले 16 वर्षीय आफरीदी भारती पिछले कई सालों से तबला वादन का रियाज कर अपनी घरानेदार विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

जयपुर : कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, यही कहावत सार्थक रूप से चरितार्थ कर रहे हैं जयपुर के होनहार बालक आफरीदी भारती। शास्त्रीनगर स्थित टैगोर पब्लिक स्कूल की 9वीं कक्षा में पढऩे वाले 16 वर्षीय आफरीदी भारती पिछले कई सालों से तबला वादन का रियाज कर अपनी घरानेदार विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उज़्बेकिस्तान में 20 अक्टूबर से आयोजित होने जा रहे इंटरनेशनल म्यूजिक फेस्टिवल में परफॉर्म करने का मौका मिल रहा है। इसकी तैयारी के लिए उन्हें स्कूल ने विशेष तौर पर एक सप्ताह की छुट्टी दी है। आफरीदी ने उज़्बेकिस्तान रवाना होने से पूर्व बताया कि मैं बेसब्री से इंटरनेशनल म्यूजिक फेस्टिवल में परफॉर्मेंस का इंतजार कर रहा हूं। तबला वादन करते हुए करीब 9 साल हो चुके हैं, लेकिन पहली मंचीय प्रस्तुति इंटरनेशनल मंच पर होगी इसका जरा भी अंदाजा नहीं था। मुझे अपने आपको साबित करने के साथ ही जयपुर का नाम भी रोशन करना है। इसके अलावा मुझे अपने दादाजी उस्ताद रफीक मोहम्मद की तालीम पर भी पूरा यकीन है कि जिसकी वजह से मुझे कामयाबी मिलेगी।
पिता और दादा से मिली प्रेरणा
आफरीदी बचपन में अपने पिता रहीस भारती और दादा उस्ताद रफीक मोहम्मद से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने तबला सीखकर अपनी विरासत को संभालने का फैसला किया है। उनके पिता रहीस भारती देश दुनिया में मशहूर धोद बैंड के डायरेक्टर हैं जोकि दुनियाभर में लोक संस्कृति का परचम लहरा रहे हैं। आफरीदी ने बताया कि वह बड़े होकर अपने पिता रहीस भारती की तरह विदेशों में भारतीय संस्कृति का परचम लहराना चाहते हैं और लोक कलाकारों के लिए तरक्की के रास्ते खोलना उनकी पहली प्राथमिकता है।

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