[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

हल्द्वानी: कहीं रेलवे भूमि पर कब्जा तो कहीं स्टांप पेपर के जरिए बेच दी गई जमीन, शहर में अतिक्रमण बन गई चुनौती


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
उत्तराखंडटॉप न्यूज़ब्रेकिंग न्यूज़राज्य

हल्द्वानी: कहीं रेलवे भूमि पर कब्जा तो कहीं स्टांप पेपर के जरिए बेच दी गई जमीन, शहर में अतिक्रमण बन गई चुनौती

उत्तराखंड : उत्तराखंड का हल्द्वानी शहर गुरुवार को हिंसा की चपेट में आ गया। दरअसल, प्रशासन की टीम यहां अतिक्रमण हटाने गई थी जिसका लोगों ने विरोध किया। अतिक्रमणकारियों का विरोध उग्र रहा और इन्होंने पुलिस और प्रशासन को निशाना बनाया। इस हिंसा में करीब 100 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जबकि फायरिंग में चार लोगों के मारे जाने की खबर है।

हल्द्वानी में यह पहली बार नहीं है जब अवैध अतिक्रमण पर बवाल हुआ है। इससे पहले रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का मामला सुर्खियों में रहा था। मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक भी पहुंचा था। आइये जानते हैं कि आखिर हल्द्वानी में अभी क्या हुआ है? इससे पहले अतिक्रमण का मामला क्या था? यहां अवैध कब्जा कैसे प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है? 

हल्द्वानी में अभी क्या हुआ है?
उत्तराखंड में हिंसा की घटना हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में हुई है। दरअसल, गुरुवार शाम चार बजे पुलिस सुरक्षा में नगर निगम की टीम मलिक के बगीचो में बने अवैध मदरसे और धर्मस्थल को ढहाने के लिए पहुंची। जेसीबी जैसे ही अवैध धर्मस्थल की ओर बढ़ी स्थानीय लोग भड़क गए और पथराव कर दिया। पुलिस और निगम की टीम तीन ओर से घिर गई। पथराव के बीच लोगों ने पुलिस की जीप समेत कई वाहनों को फूंक दिया और आग लगा दी। पथराव से सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह समेत 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया, लेकिन छतों से हो रहे पथराव के बीच पुलिसकर्मियों के लिए मुश्किल हो रही थी। पुलिस अंदर न आ पाए, इसके लिए उपद्रवियों ने गलियों के आगे टायर जलाकर रास्ता रोक दिया। पुलिस उपद्रवियों से निपट रही थी तभी दूसरी ओर कुछ लोगों ने बनभूलपुरा थाना फूंक दिया। पुलिस और निगम की टीम वहां से किसी तरह निकाली।

आंसू गैस के गोले दागने और लाठी बार्ज के बाद भी जब हालात काबू में नहीं आए, तो प्रशासन ने उपद्रवियों को देखते ही पैर में गोली मारने के आदेश दिए हैं। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। स्कूल और बाजार बंद हैं।

Haldwani Violence Inside Story from Government Land Occupied to Stamp Paper Land Scam
बनभूलपुरा गफूर बस्ती में अतिक्रमण का मामला – फोटो : HALDWANI
इससे पहले अतिक्रमण का मामला क्या था?
पिछले साल जनवरी में बनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेलवे की जमीन पर ‘अतिक्रमण’ का मामला सुर्खियों में रहा था। तब सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक मानवीय मामला करार देते हुए हजारों परिवारों को उनकी जमीन से बेदखल करने पर रोक लगा थी। हल्द्वानी के जिस इलाके में अतिक्रमण है, वह करीब  2.19 किमी लंबी रेलवे लाइन का क्षेत्र है। रेल अधिकारियों के मुताबिक रेल लाइन से 400 फीट से लेकर 820 फीट चौड़ाई तक अतिक्रमण है। रेलवे करीब 78 एकड़ जमीन पर कब्जे का दावा कर रहा है। बनभूलपुरा इलाके में बुलडोजर चलना था। हालांकि, इससे पहले लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और कोर्ट ने बेदखली पर रोक लगा दी। कोर्ट ने बहस के दौरान कहा था कि यह एक मानवीय मामला है। इस मामले में कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है।

पिछले साल जनवरी से ही बनभूलपुरा गफूर बस्ती में अतिक्रमण हटाने पर कोर्ट का स्टे है। दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी के लिए सरकारी वकीलों को निर्देश दिया था। इस मामले के सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं होने की वजह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सरकार के सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी करने वाले वकीलों से नाराजगी भी जताई थी। मुख्यमंत्री ने इस मामले में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से भी बात की थी और इस पर रेलवे से प्रभावी पैरवी की अपील की थी। Haldwani Violence Inside Story from Government Land Occupied to Stamp Paper Land Scam

उत्तराखंड नैनीताल हाईकोर्ट
स्टांप पेपर के जरिये जमीन बेचे जाने का भी मामला 
पिछले साल ही हल्द्वानी में रेलवे, वन विभाग और राजस्व की जमीन को सौ और पांच सौ रुपये के स्टांप पेपर के जरिये बेचे जाने का मामला सामने आया था। दिसंबर 2023 में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, वन विभाग और रेलवे को मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे।

दरअसल, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दावा किया गया था कि हल्द्वानी की गफूर बस्ती में रेलवे की जमीन, गौलापार गोजाजाली स्थित वन विभाग और राजस्व की जमीन को भू-माफिया की ओर से सौ और पांच सौ रुपये के स्टांप पेपर पर बेच दिया गया है। जिन लोगों को यह जमीन बेची गई है वे उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं। वे लोग रोजगार के लिए यहां आए थे और कुछ ही समय बाद सीएससी सेंटर में इनके वोटर आईडी तक बन गए। याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि इस मामले की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से की जाए।

Related Articles