हरियाणा – गुरुग्राम : मस्जिद में घुसकर नमाज़ पढ़ रहे लोगों से मारपीट, गांव से निकालने की धमकी – प्रेस रिव्यू
हरियाणा के गुरुग्राम में एक बार फिर नमाज़ को लेकर विवाद सामने आया है. गुरुग्राम के एक गांव में नमाज़ के दौरान कुछ लोग हथियारों के साथ मस्जिद में घुसे और वहां नमाज़ अदा कर रहे मुसलमानों को प्रताड़ित किया.
हरियाणा – गुरुग्राम : अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिंदू’ के मुताबिक, हथियारों से लैश भीड़ मस्जिद में घुसी और हॉल में नमाज़ अदा कर रहे लोगों के साथ मारपीट की. इसके साथ ही उन्होंने उनके परिवार को गांव से बाहर निकालने की धमकी भी दी. इस मामले में भोरा कलां गांव में रहने वाले सूबेदार नज़र मोहम्मद ने एफ़आईआर दर्ज कराई है. गांव में चार मुस्लिम परिवार रहते हैं.
नज़र मोहम्मद ने बताया कि घटना बुधवार रात की है लेकिन गुरुवार तक इसमें किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई. उन्होंने बताया कि विवाद की शुरुआत बुधवार सुबह से हुई जब राजेश चौहान उर्फ बाबू, अनिल भदोरिया और संजय व्यास की अगुवाई में करीब 200 लोगों की भीड़ मस्जिद में घुसी थी और नमाज़ियों को धमकाया था.
नजर मोहम्मद कहते हैं, ”रात में जब हम मस्जिद के नमाज़ हॉल में थे तो कम से कम 12 लोग फिर से मस्जिद में घुसे. उन्होंने नमाज़ियों के साथ मारपीट की. उनमें से कई लोगों को चोटें आई हैं. उन लोगों ने नमाज़ हॉल बंद कर दिया. उन्होंने हमें जान से मारने की धमकी दी.”
अख़बार को एक अन्य पीड़ित ने बताया कि उन पर तब हमला हुआ जब वो दो अन्य बुज़ुर्गों के साथ नमाज़ पढ़ रहे थे.
उन्होंने कहा कि युवाओं का समूह मस्जिद में घुसा और वहां मौजूद लोगों से मारपीट की. उन लोगों ने नारेबाज़ी की और सभी को मस्जिद से बाहर कर दिया. पुलिस के मुताबिक, जब तक वो घटनास्थल पर पहुंचे, मस्जिद में हंगामा करने वाले लोग वहां से भाग चुके थे.
मानेसर के डिप्टी कमिश्नर मनबीर सिंह ने द हिंदू को बताया कि मस्जिद से एक मोबाइल फ़ोन बरामद हुआ है जो भीड़ में से ही किसी का है.
उन्होंने बताया कि इस मामले में धार्मिक भावनाएं भड़काने, दंगा भड़काने की कोशिश, आपराधिक धमकी और गैरकानूनी रूप से जमा होना, इन सब मामलों में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में तीन लोगों को नामजद किया गया है और जांच की जा रही है. हालांकि नजर मोहम्मद का कहना है कि गुरुवार देर शाम इस मामले में गांव के बुजुर्गों के दखल के बाद समझौता हो गया. उन्होंने कहा कि यह समझौता बिना किसी तरह के दबाव में हुआ है.
वो कहते हैं, ”हमें लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा था. जब हमला हुआ तो हमने शिकायत करने का फैसला लिया. अब जब गांव के बड़े-बुजुर्गों ने माफी मांगी है और आगे से ऐसा ना होने देने का वादा किया है तो हमने इस मामले को आगे न खींचने का फैसला लिया.”