जानिए, क्या है हिजाब का इतिहास और इस्लाम में इसका महत्व ?
चूंकि अब हिजाब पर कोर्ट का फैसला आ चुका है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इसपर नए सिरे से देश में बहस शुरू होगी. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है. बावजूद इसके हिजाब के विभिन्न पहलुओं को समझना बेहद जरूरी है. तभी कोई इसके पक्ष और विपक्ष में खड़ा हो सकता है.





बुर्का: नकाब का ही अगला स्तर बुर्का है। जहां नकाब में आंखों के अलावा पूरा चेहरा ढका होता है, वहीं बुर्के में आंखें भी ढकी होती है। बुर्के में आंखों के स्थान पर या तो एक खिड़कीनुमा जाली बनी होती है या कपड़ा हल्ला होता है, जिससे आर-पार दिखता है। इसके साथ ही बुर्के में पूरे शरीर पर एक बिना फिटिंग वाला लबादा होता है। यह अक्सर एक ही रंग का होता है, ताकि गैर-मर्द आकर्षित ना हों।
अल-अमीरा: यह दो कपड़ो का सेट होता है। एक कपड़े को टोपी की तरह सिर पर पहना जाता है। जबकि दूसरा कपड़ा थोड़ा बड़ा होता है जिसे सिर पर लपेटकर सीने पर ओढ़ा जाता है।
अबाया: यह वो पोशाक होती है जिसे भारत में बुर्का कहते हैं। जबकि मिडिल ईस्ट में इसे अबाया कहा जाता है। यह एक लंबी ढकी हुई पोशाक होती है जिसे औरतें भीतर पहने किसी भी कपड़े के ऊपर डाल लेती हैं। इसमें सिर के लिए एक स्कार्फ होता है जिसमें सिर्फ बाल ढके होते हैं और चेहरा खुला रहता है।
दुपट्टा: पाकिस्तान और भारत में सलवार-कमीज के साथ महिलाएं सिर ढकने के लिए दुपट्टे का इस्तेमाल करती हैं। दुपट्टा सलवार-कमीज का ही हिस्सा होता है। इसका मुख्य उद्देश्य सिर ढकना होता है। दुपट्टे का इस्तेमाल भारत में मुस्लिम महिलाओं के अलावा हिंदू और सिख महिलाएं भी करती हैं।