‘पति को आवाज लगाई, इतने में भरभराकर गिरने लगे पत्थर’:पत्नी बोली- देखते ही देखते पूरी बिल्डिंग नीचे गिर गई; मकान मालिक को मिलेगा नोटिस
'पति को आवाज लगाई, इतने में भरभराकर गिरने लगे पत्थर':पत्नी बोली- देखते ही देखते पूरी बिल्डिंग नीचे गिर गई; मकान मालिक को मिलेगा नोटिस

कोटा : कोटा में मंगलवार को तीन मंजिला मकान गिर गया था। मकान की चौकीदारी करने वाले दंपती में से पति की मौत हो गई थी। पत्नी किसी तरह भागकर बाहर आई थी। पति के अंदर फंसने पर वह चिल्लाने लगी और बेहोश गई। उसे एमबीएस हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन पति की मौत की खबर नहीं दी गई। रात को पति के चल बसने का पता लगते ही वह चिल्ला उठी और रोने लगी।
महिला ने रोते हुए कहा-‘हमारा बाहर का गेट बहुत टाइट हो रहा था, दो तीन दिन से गेट नहीं खुल रहा था।उसका थोड़ा सीमेंट खोदा था। उस समय कुछ पता नहीं लगा। मैं बाहर आ गई। मकान के पीछे की तरफ काम चल रहा था। वहां मौजूद महिला ने बताया कि मकान के ऊपर से पत्थर गिर रहे है। महिला के कहने पर मैंने ऊपर देखा, तो लगा कहीं बिल्डिंग गिर ना जाए।
मैं तुरंत अपने पति से कहने अंदर गई। गेट के पास पहुंचकर आवाज लगाई और कहा मकान से पत्थर गिर रहे है, बाहर आ जाओ। ये बात बताते समय संतोष की आंख भर गई। उसने आगे कहा- पति से इतना कहा कि पत्थर गिर रहे है बाहर आ जाओ।
इतने में तो मकान से झड़-झड़ करके पत्थर गिरने लगे। मुझे निकलने का रास्ता नहीं मिला। में सोच भी नहीं सकी किधर भागू। देखते ही देखते पूरी बिल्डिंग नीचे गिर गई। साइड के प्लॉट पर एक दो दिन से ही काम चालू हुआ था। जेसीबी मशीन से नींव खोदी जा रही थी। मकान के दोनों साइड में पानी भी भरा हुआ था।’

15 साल से कोटा में रह रहे थे दंपती
अनंतपुरा इलाके में ये तीन मंजिला मकान मकान महेंद्र सिसोदिया का था। जगदीश शर्मा (48) और उनकी पत्नी संतोष (45) मकान की चौकीदारी करते थे। वह मूलरूप से पकराना, पनवाड़, खानपुर जिला झालावाड़ के रहने वाले थे और 15 साल से कोटा में रह रहे थे। जगदीश के 7-8 साल से लकवा था। उनके हाथ पैर कम ही काम करते थे। मकान गिरने पर पहुंची रेस्कयू टीम ने 20 मिनट की मशक्कत के बाद जगदीश को मलबे से बाहर निकाला था। कॉलोनी के लोगों ने बताया कि संतोष चिल्लाते हुए सड़क पर आ गई और बेहोश होकर नीचे गिर गई थी, जिसे एंबुलेंस की मदद से हॉस्पिटल ले जाया गया था।
मलबे में दबा था चौकीदार
निगम के फायर ऑफिसर राकेश व्यास ने बताया कि विधायक कार्यालय से सूचना मिली थी। जिसके बाद रेस्कयू टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे। मौके पर मौजूद लोगों ने एक व्यक्ति के दबे होने की जानकारी दी थी। मलबा हटाने के दौरान एक व्यक्ति का हाथ नजर आ रहा था। व्यक्ति स्लैब के नीचे दबा हुआ था। व्यक्ति को बाहर निकालकर हॉस्पिटल लेकर गए लेकिन जान बच नहीं पाई। ये व्यक्ति चौकीदारी करने वाला जगदीश था।

आस-पास के मकानों को करवाया खाली
फायर ऑफिसर ने बताया कि ये करीब 25 साल पुराना मकान था। प्रथमदृष्ट्या सामने आया है कि मकान के पास वाले मकान में काम चल रहा था। उसकी वजह से मकान में इफेक्ट आया और बिल्डिंग कोलैप्स हो गई। इस मकान में कॉलम नहीं था। निगम की टीम दोपहर साढ़े तीन बजे से रात साढ़े 7 बजे तक रेस्कयू में लगी रही। वहीं मकान के पास वाले मकानों को भी खाली करवाया गया है। लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया है।

मकान गिरने का कारण स्पष्ट नहीं
डीएसपी हर्षराज खरेड़ा ने बताया कि मकान मालिक यहां नहीं रहते। पति-पत्नी चौकीदारी करते थे और मकान में रहते थे। मकान गिरते समय पत्नी दौड़कर बाहर निकल गई थी। पति मलबे दम गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मकान गिरने का कारण स्पष्ट नहीं है। फिलहाल दो बात सामने आई है-
– पास के मकान की नींव खुदाई का काम चल रहा था।
-ये मकान पुराना था, कमजोर होने के कारण गिरा हो। ये जांच का विषय है। इसकी सभी पहलुओं पर जांच करेंगे।आखिर क्या कारण रहा।
वहीं कलेक्टर डॉ. गोस्वामी का कहना है कि अभी हादसे के कारण स्पष्ट नहीं हैं। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

परिजनों ने मांगा मुआवजा
सोनू धाकड़, पार्षद जिस वक्त मकान गिरा, मैं पीछे वाली गली में था। मैंने धूल उड़ते देखी तो भागकर करीब 3 सैकंड में ही पहुंच गया। तब भी मकान के हिस्से गिरते जा रहे थे। जगदीश शर्मा सज्जन व्यक्ति थे। मैं 12-13 साल से इस परिवार को जानता हूं।
मृतक के साले ने कहा कि पास के मकान में काम चलने की वजह से हादसा हुआ है। जगदीश जी 15 साल से यहां चौकीदारी करते थे। प्रशासन को परिजनों को मुआवजा देना चाहिए।
मकान मालिक को मिलेगा नोटिस
मुकेश चौधरी, कार्यवाहक सचिव, यूआईटी ने कहा कि जो भवन हादसे में गिरा है, उसकी निर्माण स्वीकृति नहीं है। मकान मालिक को नोटिस दिया जाएगा।
