छात्राएं बोलीं- वार्डन मैम नालियां साफ करवाती हैं:अधिकारियों ने पूछा तो आंसू रोक नहीं सकीं, कहा- मन करता है पढ़ना छोड़ दें
छात्राएं बोलीं- वार्डन मैम नालियां साफ करवाती हैं:अधिकारियों ने पूछा तो आंसू रोक नहीं सकीं, कहा- मन करता है पढ़ना छोड़ दें

नाथद्वारा (राजसमंद) : ‘हमारे माता-पिता ने हमें यहां पढ़ने भेजा था, लेकिन हम यहां नालियां साफ करते हैं। होस्टल में वॉर्डन मैम खान-बनवाती हैं और स्कूल में प्रिंसिपल नालियों की और डस्टबिन की सफाई करवाती हैं। किसी ने अपने ड्यूटी के हिसाब से काम नहीं किया तो उसे धमकाया जाता है। सबके सामने अपमानित किया जाता है, सजा मिलती है। हम तंग आ चुके हैं, यहां से चले जाना चाहते हैं’
ये दर्द है राजसमंद जिले के नाथद्वारा उपखंड के उपली ओड़न में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूल (केजीबीवी होस्टल) में पढ़ने वाली 14-15 साल की छात्राओं का। महीनों से ये बच्चियां होस्टल और स्कूल स्टाफ की प्रताड़ना झेल रही थीं, लेकिन इनका हाल पूछने अधिकारी स्कूल पहुंचे तो इनका दर्द छलक पड़ा।

गुरुवार शाम करीब 4 बजे होस्टल में व्यवस्थाओं की जांच करने शिक्षा विभाग के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक घनश्याम गौड़ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आवासीय स्कूल की व्यवस्थाओं का इंस्पेक्शन किया। उन्होंने जब वहां पढ़ रही बच्चियों से बात की तो उनसे रहा नहीं गया। बच्चियां उनसे स्कूल और होस्टल में हो रही प्रताड़ना को सुनाने लगी, जिसे सुनकर एडीपीसी गौड़ भी दंग रह गए। वो खुद भावुक हो गए। उन्होंने सभी आरोपी स्टाफ के खिलाफ रिपोर्ट बना कर विभाग को देने का आश्वासन दिया।
सफाई करने के लिए ड्यूटी लगाई, खाना नहीं मिलता
होस्टल में रहकर 11वीं क्लास कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा लीला गरासिया तो आपबीती बताते हुए रोने लगी। उसने बताया- प्रिंसिपल राजकुमारी खटीक और वार्डन प्रीति मैम ने बालिकाओं को कमरा नंबर के हिसाब से अलग-अलग दिन सफाई करने की ड्यूटी लगाई है। सभी से गंदी नालियां और गंदे डस्टबिन साफ करवाए जाते हैं, जो कूड़ा फेंक कर आती हैं उन्हें जलाना भी पड़ता है।
लीला ने बताया कि अलग-अलग दिन अलग-अलग कमरे में रहने वाली छात्राओं को झाड़ू-पोछा और साफ-सफाई करने की ड्यूटी है। समय पर खाना नहीं दिया जाता है। उनसे किचन में ना सिर्फ साफ-सफाई करवाई जाती है। कई बार खाना भी बनवाया जाता है। खराब खाने की शिकायत करने पर प्रिंसिपल और वार्डन मैम उन्हें धमका देती हैं और कहती हैं कि किचन में जाकर अपना खाना खुद बना लो।

अधिकारियों के निरीक्षण से पहले चमकना पड़ता है हॉस्टल
11वीं क्लास में पढ़ने वाली योगिता मीणा ने भी कहा कि, जब भी किसी अधिकारी का होस्टल निरीक्षण का कार्यक्रम बनता है उसके एक दिन पहले उनसे होस्टल की साफ सफाई करवाई जाती है। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान ही उन्हें समय पर अच्छा खाना दिया जाता है, लेकिन रोजाना ऐसा नहीं होता।
बच्ची बोलीं- होस्टल छोड़ने का मन करता है
छात्राओं ने बताया कि परीक्षा नजदीक होने के बावजूद भी उन्हें होस्टल में साफ सफाई और किचन में काम करना पड़ता है। यहां पर इतना परेशान किया जाता है कि होस्टल छोड़ने का मन करता है।
होस्टल में 68 छात्राएं, एक भी गार्ड नहीं
जांच में ये भी पाया गया कि होस्टल की सुरक्षा के लिए कोई गार्ड भी नहीं है। कुछ दिन पहले होस्टल के सभी कर्मचारी शादी समारोह में गेट के बाहर से ताला लगा कर के चले गए थे। ऐसे में दो दिन तक बच्चियां अकेले ही बंद होस्टल में रही थी।

होस्टल की वार्डन प्रीति से जब बात की गई तो उन्हें अपनी गलती का बिल्कुल भी पछतावा नहीं है। उनका कहना है कि लड़कियां अगर शौचालय का इस्तेमाल करती हैं तो उसको साफ भी उन्हें ही करना पड़ेगा। ऐसे ही किचन में खाना बनात है तो सब खाना खाते हैं, रहते हैं तो सफाई करते हैं। काम करने में क्यों दिक्कत है।

स्कूल की प्रिंसिपल राजकुमारी खटीक ने छात्राओं के सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा- इस बारे में मुझे कोई जानकारी ही नहीं है। ये मामला अभी मेरे संज्ञान में आया है। खाना हमेशा बराबर रहता है। कई बार ज्यादा बनता है तो बचा हुआ गायों को डालते हैं। संविदा पर कर्मचारी लगा रखा है वो सफाई का काम करते हैं।
शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई करने के लिए लिखेंगे- एडीपीसी
एडीपीसी घनश्याम गौड ने कहा कि, मैंने बच्चियों और यहां खाना बनाने वालों के बयान लिए हैं। हर 15 दिन में हमारे अधिकारी यहां विजिट करते रहते हैं, लेकिन इस बार बच्चियों ने बताया है कि वह खुद काम करती है। हमने इसकी पूरी जांच की है। अब जांच रिपोर्ट बनाकर शिक्षा अधिकारी को भेजेंगे। इसमें जो दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई करने के लिए शिक्षा अधिकारी को लिखेंगे।