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पाली में गणतंत्र दिवस पर हुआ सम्मान:किसी ने अकेले 20 हजार ऑपरेशन किए तो किसी ने बचाए 500 परिवार


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पाली में गणतंत्र दिवस पर हुआ सम्मान:किसी ने अकेले 20 हजार ऑपरेशन किए तो किसी ने बचाए 500 परिवार

पाली में गणतंत्र दिवस पर हुआ सम्मान:किसी ने अकेले 20 हजार ऑपरेशन किए तो किसी ने बचाए 500 परिवार

पाली : अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले 69 लोगों को 26 जनवरी को पाली के बांगड़ स्टेडियम में आयोजित प्रोग्राम में कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जनमानस शेखावाटी ने सम्मानित होने वाले लोगों से बात की। इसमें बांगड़ हॉस्पिटल के डॉ. शिवचरण मीणा, सखी वन स्टॉप सेंटर प्रभारी देवी बामणिया, बांगड़ हॉस्पिटल के गेस्ट्रो इंचार्ज डॉ. रविंद्र पाल सिंह और राजस्थानी कल्चर को प्रमोट करने वाले मरू श्री गणपत सिंह से विशेष चर्चा की।

डॉ शिवचरण मीणा को 26 जनवरी को सम्मानित करते कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत।
डॉ शिवचरण मीणा को 26 जनवरी को सम्मानित करते कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत।

12 सालों में 20 हजार ऑपरेशन किए

पाली के बांगड़ हॉस्पिटल के गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. शिवचरण मीणा ने पिछले 12 सालों से बांगड़ हॉस्पिटल में कार्यरत हैं। जिले के सबसे बड़े बांगड़ हॉस्पिटल में साल 2012 से लेकर 2018 तक महज एक ही गाइनेकोलॉजिस्ट थे। फिर भी उन्होंने यहां रोजाना 15-20 प्रसव करवाएं हैं। इसके साथ ही उन्होंने सिजेरियन ऑपरेशन बांगड़ हॉस्पिटल में करने शुरू किए। जिससे डिलेवरी के दौरान जोधपुर रेफर होने वाले केस कम हो गए। डॉ. मीणा ने 20 हजार से ज्यादा सिजेरियन और बच्चेदानी के ऑपरेशन किए। उनके इसी काम को देखते हुए केबिनेट मंत्री ने 26 जनवरी को उन्हें सम्मानित किया।

बता दें कि डॉ. मीणा करौली जिले के छोटे से गांव खेड़ला के रहने वाले हैं। 1999 में उन्होंने MBBS में एडमिशन लिया। वर्ष 2006 में डॉक्टर बने और वर्ष 2008 में जालोर हॉस्पिटल में जॉइन किया था। उसके बाद 3 साल जयपुर SMS हॉस्पिटल से गाइने में पीजी की। उसके बाद वर्ष 2012 से पाली के बांगड़ हॉस्पिटल में कार्यरत हैं।

500 से ज्यादा घर टूटने से बचाए
पाली के बांगड़ हॉस्पिटल परिसर में सखी वन स्टॉप सेंटर बना हुआ है। यहां की प्रभारी देवी बामणिया को भी कैबिनेट मंत्री कुमावत ने सम्मानित किया। वे पिछले करीब 5 साल से इस सेंटर में सेवाएं दे रही हैं। इस दौरान सेंटर में महिला उत्पीड़न के 500 से ज्यादा केस उनके सामने आए। जिसमें से ज्यादातर पति-पत्नी में मनमुटाव के थे और वे तलाक लेना चाहते थे। लेकिन बामणिया ने उसने कई बार काउंसिलिंग की। जिसका नतीजा यह रहा कि पति-पत्नी वापस एक हुए और उनका घर टूटने से बचाया। उनके इसी काम को देखते 26 जनवरी को कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने उन्हें सम्मानित किया। बता दे कि पाली निवासी देवी बामणिया ने LLB और काउंसिलिंग में डिप्लोमा कर रखा है।

डॉ रविन्द्रपाल को 26 जनवरी को सम्मानित करते केबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत।
डॉ रविन्द्रपाल को 26 जनवरी को सम्मानित करते केबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत।

डॉ रविन्द्रपाल : बांगड़ हॉस्पिटल के पहले गैस्ट्रोलॉजी
पाली के बांगड़ हास्पिटल में कार्यरत डॉ रविन्द्रपाल सिंह बांगड़ हॉस्पिटल के पहले गैस्ट्रोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने जयपुर जाकर गैस्ट्रोलॉजी में पीजी किया फिर वापस बांगड़ हॉस्पिटल आकर जॉइन किया। उनके आने के बाद पेट के रोगों से पीड़ित अधिकतर मरीजों को बड़े शहर जाने से निजात मिल गई है। इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सा स्तर में बेहतरीन काम किया। इसके चलते उन्हें कैबिनेट मंत्री कुमावत ने सम्मानित किया।
बता दें कि डॉ रविन्द्रपाल पाली जिले के मारवाड़ तहसील के बाली (मांडा) गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 2007 में MBBS किया था। और वर्ष 2008 में डॉक्टर बने। 2012 से 2015 तक जयपुर के SMS हॉस्पिटल से एमडी किया। वर्ष 2016 में बांगड़ हॉस्पिटल में आए थे। यहां वे वर्ष 2019 तक रहे। फिर सर्विस में रहते हुए PHD लेवल का गैस् में 2 साल का कोर्स करने के लिए करेला चले गए थे। वापस वर्ष 2022 में बांगड़ हॉस्पिटल में ज्वाइंन किया। वे बांगड़ हास्पिटल में अब गैस्ट्रोलॉजी है।

गणपत सिंह राजपुरोहित को 26 जनवरी को सम्मानित करते कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत।
गणपत सिंह राजपुरोहित को 26 जनवरी को सम्मानित करते कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत।

राजस्थानी कल्चर को बढ़ाने का कर रहे काम
पाली निवासी गणपत सिंह राजुपरोहित अपनी लंबी दाढ़ी और राजस्थानी विशेषूभा में ज्यादातर रहते हैं। ऐसे में वे लोगों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं और लोग उनके साथ फोटो, सेल्फी भी लेते हैं। उन्होंने बताया कि वे वर्ष 2023 में मरूश्री, और मिस्टर डेजर्ट भी रहे हैं। राजस्थानी कल्चर को प्रमोट करते हैं। वे मूल रूप से आऊवा गांव के रहने वाले हैं और पाली के राजेन्द्र नगर में रहते है। उनका आइसक्रीम का बिजनेस भी है। वर्ष 2001 से उन्होंने राजस्थानी कल्चर को प्रमोट करने का काम शुरू किया। इसको लेकर उन्होंने पाली बियर्ड ग्रुप भी बनाया।

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