ख्वाजा साहब का 812वां उर्स : छठी में हुई मुल्क में अमन-चैन व खुशहाली की दुआ:तोप के गोलों से दी सलामी, कुल की रस्म अदा, जुमे की नमाज आज
ख्वाजा साहब का 812वां उर्स : छठी में हुई मुल्क में अमन-चैन व खुशहाली की दुआ:तोप के गोलों से दी सलामी, कुल की रस्म अदा, जुमे की नमाज आज

अजमेर : ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 812वें उर्स के कुल की रस्म गुरुवार को अदा की गई। तोप के गोलों की सलामी और शादियानों के बीच अदा की गई रस्म में 1.5 लाख से अधिक जायरीन ने शिरकत की। फातिहा के बाद मुल्क व सूबे में अमन व खुशहाली की दुआ की गई।
गुलाबजल और केवड़े से कुल के छींटे देने की होड़ और सूफियाना कव्वालियों पर झूमते अकीदतमंद के बीच हजारों हाथ दुआ में उठे। किसी की आंखों से आंसू छलके तो कोई इबादत करता दिखा। यह दृश्य गुरुवार को ख्वाजा साहब के 812वें उर्स में छोटे कुल की रस्म के दौरान देखने को मिला।
कुल की रस्म में शामिल होने के लिए जायरीन सुबह 7 बजे से दरगाह पहुंचने शुरू हो गए। कुल की रस्म के बाद जायरीन के लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया। दरगाह परिसर खचाखच भर गया। देहली गेट से निजाम गेट, नला बाजार-अंदरकोट और आस-पास की गलियों में भी जायरीन का सैलाब नजर आया। धक्का-मुक्की के बीच लोग चादरें लाते और जियारत करते दिखे। इधर, जुमे की नमाज शुक्रवार को अदा की जाएगी। बड़े कुल की फातिहा 21 को होगी। कुल और छठी की फातिहा को देखते हुए दरगाह में जायरीन फज्र की नमाज के बाद से ही जुटना शुरू हो गए थे। अहाता ए नूर, शाहजहांनी मस्जिद का सेहन, जन्नती दरवाजा के सामने वाला दालान और महफिल खाना के सामने वाले दालान में जायरीन ही जायरीन नहीं आ रहे थे।
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 812वें उर्स में गुुरुवार को कुल की रस्म अदा की गई। इसमें अकीदतमंद का सैलाब उमड़ा। रस्म के दौरान जायरीन में गुलाबजल और केवड़े से कुल के छींटे देने की होड़ मची। वहीं छठी की दुआ में जायरीन का जुनून देखने को मिला। दरगाह परिसर खचाखच भरने के बाद दरगाह परिसर स्थित भवनों की छतों पर जायरीन चढ़ गए। दरगाह क्षेत्र के कई मकान और होटलों की छत पर भी लोग नजर आए। सूफियाना कलामों के बीच हजारों जायरीन ने मुल्क में खुशहाली व शांति की दुआ मांगी। दुआ के दौरान दरगाह परिसर में मोबाइल द्वारा पैनोरमा से लिया गया विहंगम नजारा।
अपराह्न 4 बजे बाद ही हो सकी जायरीन की जियारत
कुल और छठी की फातिहा को देखते हुए सुबह 8 बजे से ही आस्ताना शरीफ में जायरीन की आवक रोक दी गई। केवल खुद्दाम ए ख्वाजा ही अंदर जा सके। खुद्दाम ए ख्वाजा ने जियारत की और दुआगो ने उनकी दस्तारबंदी की। आस्ताना शरीफ की खिदमत आम दिनों की तरह दिन में हुई। दोपहर की खिदमत के बाद आस्ताना शरीफ अपराह्न 4 बजे खुला और अकीदतमंद ने जियारत की।
जायरीन के लौटने का सिलसिला शुरूः
कुल की रस्म के बाद बड़ी संख्या में जायरीन के लौटने का सिलसिला शुरू हो गया। कायड़ विश्रामस्थली से भी बसें रवाना होने लगीं। रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैंड पर भी लौटने वालों की तादाद ज्यादा नजर आई।जायरीन की एक बड़ी संख्या कायड़ विश्राम स्थली पर ठहरी थी। छठी की फातिहा के बाद यहां से आधी से ज्यादा बसें रवाना हो चुकी थीं। उर्स में 1000 बसें यहां पर आई थीं, जिसमें 565 वापस लौट चुकी थी।
विश्रामस्थली पर सुबह छठी की फातेहा मौलाना जाकिर शम्सी ने लगाई, फातेहा में बड़ी संख्या में जायरीन ने हिस्सा लिया। नाजिम लियाकत अली आफाकी द्वारा उर्स के सफ़ल आयोजन पर जिला प्रशासन को बधाई दी गई। उन्होंने कहा कि यह सभी के साझा प्रयासों का नतीजा है कि कड़ी चुनौतियों के बावजूद उर्स का सफल और कुशल आयोजन हुआ।
बड़ा कुल 21 कोः
अब दरगाह क्षेत्र में ठहरे जायरीन उर्स के दौरान जुमे की नमाज शुक्रवार को अदा करेंगे। बड़े कुल की फातिहा रविवार को होगी। खुद्दामे ख्वाजा बड़े कुल की रस्म अदा कराएंगे।
अंजुमन ने पेश की चादर
अंजुमन की ओर से मखमली चादर का जुलूस निकाला गया। जुलूस अंजुमन कार्यालय से अहाता-ए-नूर पहुंचा। वहां सूफियाना कलाम के बीच चादर पेश की गई।गरीब नवाज के उर्स के मौके पर खादिमों की संस्था अंजुमन सैयदजादगान की ओर से गुरुवार को शान औ शौकत के साथ चादर पेश की गई। अंजुमन सदर सैयद गुलाम किबरिया चिश्ती सहित विभिन्न पदाधिकारी शामिल हुए। दरगाह के अहाता ए नूर में सुबह 9 बजे से महफिल शुरू हुई। अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती, उपाध्यक्ष सैयद कलीमुद्दीन चिश्ती, कन्वीनर सैयद हसन हाशमी, सहसचिव सैयद तारिक चिश्ती, सैयद गफ्फार काजमी सहित विभिन्न पदाधिकारी और खुद्दाम मौजूद थे।
शाही कव्वाल असरार हुसैन की पार्टी के कव्वालों ने कलाम पेश किए। बाद में खुद्दाम ने आस्ताना शरीफ पहुंच कर यह चादर गरीब नवाज की मजार पर पेश की। फूलों का नजराना भी पेश किया गया। अंजुमन सदर गुलाम किबरिया चिश्ती ने मुल्क में अमन व खुशहाली के लिए दुआ की। खुद्दाम ए ख्वाजा ने छठी की रस्म भी अदा कराई। इस मौके पर दरगाह परिसर जायरीन से भरा हुआ था।
खादिमों ने की दस्तारबंदी
आस्ताना शरीफ सुबह 9 बजे कुल की रस्म के लिए आम जायरीन के लिए बंद कर दिया गया। खादिम ही आस्ताना में रहे। उन्होंने एक-दूसरे की दस्तारबंदी कर उर्स की मुबारकबाद दी। खादिमों की ओर से आस्ताना शरीफ में फरियाद पढ़ी गई। मुल्क में अमन-चैन की दुआ हुई।
महफिल में गूंजा रंग और बधावा
महफिलखाने में कुल की महफिल शुरू हुई। इसमें शाही चौकी के कव्वालों ने रंग और बधावा पढ़ा। आज रंग है री मां…, मेरे ख्वाजा मोईनुद्दीन के दर… ख्वाजा ए ख्वाजगां मोईनुद्दीन… जैसे कलामों पर लोग झूमने को मजबूर हो गए। दरगाह दीवान को खिलत पहनाकर दस्तारबंदी की गई।

कुल की रस्म में पढ़ी फातेहा
परम्परानुसार दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन परिवार के साथ महफिलखाने से जन्नती दरवाजा होकर आस्ताना शरीफ में गए। वहां कुल की रस्म हुई। फातेहा और देश में अमन-चैन, भाईचारे की दुआ की गई। रस्म के दौरान दीवान की आंखें छलछला गईं। इस दौरान कलंदर नाचते-गाते महफिलखाने पहुंच गए। उन्होंने दीवान की गद्दी पर कब्जा जमाया। दागोल की रस्म अदा करने के दौरान उन्होंने हैरतअंगेज कारनामे दिखाए।
बदलेगा खिदमत का समय
कुल की रस्म के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया। देशभर से आए सज्जादानशीन, धर्म प्रमुखों और मौरूसी अमले की दस्तारबंदी की गई। इसके साथ ही जायरीन के लौटने का सिलसिला तेज हो गया। उर्स सम्पन्न होने के साथ ही आस्ताना में रोजाना होने वाली खिदमत का समय भी बदल जाएगा।
जुमे की नमाज आज
शुक्रवार को जुमे की नमाज होगी। जुमे की नमाज शुक्रवार को होगी। उर्स में दूरदराज से आए जायरीन शामिल होंगे। दरगाह परिसर, दरगाह बाजार, नला बाजार, लंगरखाना गली, धानमंडी, देहली गेट और दरगाह के आस-पास विभिन्न गलियों में और मकानों की छतों पर जायरीन नमाज पढ़ेंगे। दरगाह परिसर स्थित शाहजहांनी मस्जिद सहित परिसर और आस-पास की गलियों-मकानों में लोग नमाज अदा करेंगे। कायड़ विश्राम स्थली में भी डोम बनाया गया है।
बड़े कुल की रस्म 21 को
रजब माह की नौ तारीख यानी 21 जनवरी को बड़े कुल की रस्म होगी। समूची दरगाह की गुलाबजल-पानी और केवड़े से धुलाई की जाएगी। इसी दिन बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया उर्स का झंडा उतारा जाएगा।
महफिल में गूंजा-हरियाला बन्ना आया ख्वाजा बन्ना आया
परंपरा के अनुसार रजब की छह तारीख को देखते हुए दरगाह के महफिल खाना में कुरानख्वानी हुई। सुबह 11 बजे से कुल की महफिल शुरू हुई। दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन की सदारत में हुई इस महफिल में शाही कव्वाल असरार हुसैन की पार्टी और अन्य कव्वालों ने सूफियाना कलाम पेश किए। गरीब नवाज की शान में मनकबत के नजराने पेश किए गए। हरियाला बन्ना आया ख्वाजा बन्ना आया…ख्वाजा उस्मां का लाल मोइनुद्दीन सहित विभिन्न कलाम पेश किए गए।
दोपहर 12:45 बजे फातिहा शुरू हुई। फातिहा के खत्म होते ही दरगाह के शाहजहांनी गेट से शादियाने बजाए जाने लगे। इधर, बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे जा रहे थे। दोपहर 1 बजे दरगाह दीवान जन्नती दरवाजे से होते हुए आस्ताना शरीफ में कुल की रस्म के लिए दाखिल हुए। उनके दाखिल होते ही जन्नती दरवाजा मामूल कर दिया गया। कुल की फातिहा के बाद आशिकान ए ख्वाजा ने एक दूसरे को उर्स की मुबारकबाद दी। जन्नती दरवाजा बंद: आशिकान ए ख्वाजा ने दी मुबारकबाद
उर्स के दौरान दरगाह में हुई छठी की रस्म
आहता-ए-नूर में रही बदइंतजामी, महिला की तबीयत बिगड़ी
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 812वें उर्स के दौरान छठी की रस्म में गुरुवार को आहता-ए-नूर परिसर में बदइंतजामियां नजर आईं। जायरीन की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अंजुमन के वॉलेंटियर्स को मशक्कत करनी पड़ी। पुलिसकर्मी साइड में खड़े नजर आए। छठी की रस्म के लिए सुबह 7 बजे से ही दरगाह में जायरीन की भीड़ जुटी। आहता-ए-नूर के आस-पास जायरीन सर्वाधिक डटे रहे। कई बार धक्का-मुक्की जैसे हालात बने। अंजुमन के वॉलेंटियर्स को भीड़ को नियंत्रित करने में खासी दिक्कतें हुई। कई बार जायरीन रस्सों के भीतर भी एक-दूसरे को धकियाते रहे। वॉलेंटियर्स हाथों से जायरीन को रोकते और काबू करते दिखे। दरगाह में ज्यादा भीड़ होने से शाहजहांनी मस्जिद के बाहर एक बुजुर्ग महिला की तबीयत बिगड़ गई। वह कुछ देर बेसुध हो गई। दरगाह कमेटी और अंजुमन के कर्मचारियों ने महिला को संभाला। उसे उपचार के लिए जवाहरलाल नेहरू अस्पताल भिजवाया गया।

साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल है धार्मिक नगरी, सूफियाना कलाम और गुलाब के फूलों की महक
धार्मिक नगरी जहां वर्षभर साम्प्रदायिक सौहार्द का नूर बरसता है। जहां हर धर्म सम्प्रदाय के लोग न सिर्फ अमन-चैन से रहते हैं, बल्कि एक-दूसरे के तीज-त्योहार में भागीदारी निभाते हैं। यहां से सौहार्द व खुशहाली का यह संदेश दुनियाभर में पहुंचता है।
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 812वें सालाना उर्स में पारम्परिक रसूमात और धार्मिक कार्यक्रम हुए। सदियों पुरानी परम्पराओं से जायरीन भी रूबरू हुए। रजब का चांद दिखने पर 12 जनवरी से उर्स की शुरुआत हुई। छह दिन तक महफिल खाने में उर्स की महफिल हुई। इसमें दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने मजार शरीफ पर गुस्ल की रस्म अदा की। छोटे कुल की रस्म के बाद जन्नती दरवाजा बंद किया गया। खिदमत करने वाले कई खुद्दाम ने पारंपरिक छोटी ’गद्दी ’ भी स्थापित की। छह दिन चले उर्स में करीब 1.50 लाख जायरीन ने 25 हजार से ज्यादा मखमली चादरें और गुलाब के फूल पेश किए। पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राज्यपाल कलराज मिश्र, राजस्थान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री सहित कई अति विशिष्ट लोगों ने चादरें पेश की। पाकिस्तान से 230 जायरीन का जत्था भी पहुंचा। छोटी और बड़ी देग में मीठा दलिया बतौर तबर्रुक बांटा गया। शाही कव्वाल और दूरदराज के कलाकारों ने गरीब नवाज की दरगाह में कलाम पेश किए। कायड़ विश्राम स्थली में बंगाली, बिहारी, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी, संथाली भाषा बोलने वाले जायरीन पहुंचे। स्टील के बर्तन, सजावटी खिलौने, मोती-माला, अंगूठी, इस्लामिक सजावट के सामान, पैंट-शर्ट, दुपट्टे, सलवार-सूट और अन्य सामान की दुकानें सजीं। दरगाह में कॉलेज-यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले युवाओं ने बतौर वॉलेंटियर सेवाएं दीं।








01 लाख जायरीन छठी की रस्म में हुए शामिल50 हजार लोग कायड विश्राम स्थली में ठहरे
996 बसें कायड़ विश्राम स्थली में अब तक पहुंचीं
800 कलंदरों का पैदल जत्था आया
21 जनवरी को होगी बड़े कुल की रस्म
देखे तस्वीरे :






