ट्राईजेमिनल न्यूरोलजिया : आत्महत्या तक करवा सकता है चेहरे का दर्द
ट्राईजेमिनल न्यूरोलजिया बीमारी में मरीज को जो चेहरे पर दर्द होता है वह सबसे ज्यादा पीड़ादायक और असहनीय होता है। बीमारी के ज्यादातर मरीज 50 से 70 वर्ष के बीच देखने को मिलती हैं, लेकिन यह बीमारी बच्चों-युवाओं में भी हो सकती है।
लक्षण दिखने पर ना करें इलाज में देरी
जयपुर। यूं तो सिर और चेहरे में कई तरह के दर्द होते हैं, लेकिन एक दर्द ऐसा भी होता है जिसके आने पर व्यक्ति बेहोश तक हो जाता है या आत्महत्या तक कर सकता है। यह एक गंभीर न्यूरो डिजीज है जिसे ट्राईजेमिनल न्यूरोलजिया कहते हैं। प्रत्येक वर्ष सात अक्टूबर को इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रिय ट्राईजेमिनल न्यूरोलजिया जागरूक दिवस मनाया जाता है। अब इसका इलाज बेहतर हो गया है, लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण इलाज में होने वाली देरी कई बार मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है। सीनियर स्पाइन व दर्द रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार शर्मा हमें इस बीमारी की जानकारी दे रहे हैं।
किसी भी उम्र में हो सकती है बीमारी
चेहरे पर होता है दर्द का अनुभव
बीमारी में ट्राइजेमिनल नाड़ी के पास से गुजरने वाली खून की धमनी कभी-कभी लूप का आकार ले लेती है। इस धमनी में होने वाली धड़कन से बार-बार नस को चोट लगने के कारण ये बिजली की तरह अचानक तीव्र गति से चेहरे पर दर्द करती है, जिससे मरीज बेहोश भी हो जाता है। अगर इस बीमारी का सही निदान करना है तो यह जरूरी है कि मरीज डॉक्टर को रोग के लक्षणों की सही जानकारी दे। लक्षणों की विस्तृत जानकारी हासिल करने के बाद ब्रेन एमआरआई की जांच की जाती है। इस बीमारी का इलाज पहले कुछ दवा से किया जाता है, लेकिन अगर बीमारी कंट्रोल नहीं हो तो नवीनतम तकनीक जैसे ट्राइजेमिनल रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन तकनीक, पेरक्यूटनेयस बैलून कम्प्रेशन, नर्व इंटरवेंशन से बिना सर्जरी के भी इस गंभीर बीमारी का इलाज हो सकता है।