दरगाह में गुलाब-केवड़ा से लगाए कुल के छींटे:आस्ताना की बाहरी दीवारें धोने की मची जायरीनों की होड़, दुआ के लिए उठे हाथ
दरगाह में गुलाब-केवड़ा से लगाए कुल के छींटे:आस्ताना की बाहरी दीवारें धोने की मची जायरीनों की होड़, दुआ के लिए उठे हाथ

अजमेर : ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स की अंतिम शाही महफिल व ख्वाजा साहब की मजार का अंतिम शाही गुस्ल होने के कारण बुधवार रात ही जायरीन ने आस्ताना की दीवारों को गुलाब व केवड़ा जल से धोकर कुल के छींटे लगाने की रस्म पूरी कर ली। इस दौरान पानी से भीग रहे अकीदतमंद पर तेज सर्दी का असर भी बेअसर हो गया। जबकि गुरुवार को छठी के कुल की रस्म के साथ उर्स संपन्न हो जाएगा।
उर्स में बुधवार देर शाम के बाद जायरीनों ने फूल व चादर के अलावा काफी अधिक मात्रा में गुलाब व केवड़ा जल सहित इत्र आदि सुगंधित द्रव्यों की खरीदारी करना शुरू कर दिया। ईशा की नमाज से पहले ही अकीदतमंद आस्ताना के बाहर चारों तरफ एकत्रित हो गए और आस्ताना में खिदमत शुरू होते ही अकीदतमंद आस्ताना की दीवारों को गुलाब व केवड़ा जल सहित इत्र से धोना शुरू कर दिया।

इस दौरान लोग पानी से तरबतर हो गए, लेकिन तेज सर्दी के बाद भी वह अपनी हाजिरी देते रहे। उनकी आस्था पर सर्दी का असर भी बेअसर नजर आया। 2 घंटे से ज्यादा समय तक यह कार्यक्रम चला। इसके बाद संपूर्ण परिसर की सफाई कर पानी को साफ किया।
आहाता-ए-नूर और पायंती दरवाजे आदि में अंतिम महफिल के अनुसार कव्वालियां गूंजने लगी। खादिमों ने बताया कि अधिकांश लोग आस्ताना के दीवारों को धोने से बहे पानी को बोतलों में भरकर तबरुक के रूप में लेकर जाते हैं।



