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फर्जी टीसी से चुनाव लड़ने पर केरिया की पूर्व सरपंच को 6 साल का कठोर कारावास


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फर्जी टीसी से चुनाव लड़ने पर केरिया की पूर्व सरपंच को 6 साल का कठोर कारावास

सांचौर: फर्जी टीसी से चुनाव लड़कर सरपंच बनने के मामले में कोर्ट सांचोर ने सुनाई 6 साल के कठोर कारावास की सजा

सांचौर : जिले के चितलवाना पंचायत समिति के केरिया की पूर्व सरपंच मदुदेवी को फर्जी टीसी से चुनाव लड़ना उस समय महंगा पड़ गया जब एसीजेएम कोर्ट ने 6 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई ।

सांचौर विधानसभा क्षेत्र से एक बड़ी खबर निकाल सामने आया रही है । फर्जी टीसी से चुनाव लड़कर ग्राम पंचायत केरिया की सरपंच बनने के 8 साल पुराने मामले में अति. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सांचोर हरीश कुमार ने केरिया निवासी पूर्व महिला सरपंच मदू देवी को भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 एवं 471 के तहत दोषी मानते हुए कक्रमशः 4, 5, 6 वर्ष के कठोर कारावास के साथ उक्त धाराओं में क्रमशः 1.2 एवं 3 लाख सहित कुल 6 लाख के अर्थदंड दण्डित किया है तथा भादस की धारा 420 में संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया। राज्य सरकार की ओर से पैरवी अभियोजन अधिकारी महेश कुमार डाबी ने की।

‘…न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए’

अति. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सांचोर श्री हरीश कुमार ने अपने आदेश में सजा सुनाते हुए तल्ख टिप्पणी करके कहा कि “अभियुक्ता मदुदेवी द्वारा आठवीं पास एवं नवमी दीर्घकालीन अनुपस्थिति की टी.सी. पेश कर 2016 में सरपंच पद का चुनाव लड़ा एवं सन् 2016 से 2021 तक कार्यकाल पूर्ण किया एवं पद पर आसीन रही। प्रथमदृष्ट्या अभियुक्ता द्वारा सदोष लाभ प्राप्त किया गया एवं कार्यकाल पूर्ण भी किया, जो कि एक गंभीर अपराध है। न्याय होना ही नहीं चाहिए, न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। ऐसे में मात्र महिला होने के आधार पर वह अपने आपराधिक कृत्य से बच नहीं सकती। इस तरह के अपराधियों को परिवीक्षा का लाभ देना न्यायालय की विनम्र राय में किसी भी दशा में विधिसम्मत नहीं माना जा सकता। देश में विधि का शासन (Rule of Law) है जो दिखाई ही नहीं देना चाहिए, बल्कि स्पष्ट रूप से परिलक्षित भी होना चाहिए। पंचायती राज संस्था जो सरकार की आम आदमी एवं ग्रामीण व्यक्ति तक पहुंच के लिए बनाई गई है। श्रीमती मदुदेवी द्वारा कूटरचित टी.सी. के आधार पर प्रथमदृष्ट्या सरपंच का पद प्राप्त किया गया है, अतः न्यायालय की विनम्र राय में यह न्यायालय अभियुक्ता मदुदेवी को परिवीक्षा अधिनियम, 1958 का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं पाता है।

राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अभियोजन अधिकारी महेश कुमार डाबी ने बताया कि प्रार्थी नारणाराम ने वर्ष 2016 में इस्तगासा मदुदेवी एवं अन्य के खिलाफ पेश किया था जहां पुलिस थाना चितलवाना द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट 86 वर्ष 2016 दर्ज कर उक्त में अनुसंधान पूर्ण कर अभियुक्ता मदु देवी के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 भारतीय दंड संहिता में आरोप पत्र प्रस्तुत किया जहां राज्य सरकार की ओर से कुल 4 गवाह परिक्षित करवाए गऐ तथा कुल 14 दस्तावेजात प्रदर्शित करवाए गए जिसपर न्यायालय ने मदु देवी को भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 एवं 471 में दोषी मानते हुए 6 साल के कठोर कारावास एवं 6 लाख के अर्थदंड से दंडित किया है।

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