[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्रों ने किया सर्वे, खुलासा:16 से कम की लड़की और 25 साल से कम उम्र के युवकों से जन्मी संतान होती है रोगी


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
उदयपुरटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्रों ने किया सर्वे, खुलासा:16 से कम की लड़की और 25 साल से कम उम्र के युवकों से जन्मी संतान होती है रोगी

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्रों ने किया सर्वे, खुलासा:16 से कम की लड़की और 25 साल से कम उम्र के युवकों से जन्मी संतान होती है रोगी

उदयपुर : देश में बालिग होने के साथ मतदान के लिए सही उम्र 18 साल मानी गई है, जबकि शादी के लिए लड़की की उम्र 18 और लड़के की 21 साल तय है। दूसरी ओर, आयुर्वेद की सुश्रुत संहिता में आचार्य सुश्रुत ने सैकड़ों साल पहले विवाह के योग्य लड़की की उम्र 16 साल से ज्यादा और युवक की 25 साल से ऊपर बताई थी। ये भी बताया था कि इससे कम उम्र में शादी होने पर संतान रोगी, कमजोर और अल्पायु होती है। इसी आयुर्वेद विज्ञान को ध्यान में रखकर पंडित मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय के 150 पीजी स्कॉलर्स ने अध्ययन किया। साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले कुल 1500 लोगों पर किए गए इस अध्ययन में सामने आया कि 1065 यानी 71 फीसदी लोगों का विवाह समय पर हुआ और 1249 (83.2 प्रतिशत) लोगों के संतान सही समय पर हुई।

सर्वे में एक खास बात और सामने आई कि 1320 यानी 88 प्रतिशत बुजुर्गों और उनके बड़े भाइयों के बीच उम्र का अंतराल पांच से छह वर्ष का था। आयुर्वेद विज्ञान और आचार्य सुश्रुत के अनुसार दो संतानों के बीच का अंतर 6 साल और इससे अधिक होता है तो ऐसी संतानें अल्पायु होती हैं। सर्वे में 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में 593 यानी 39.53 फीसदी लोग ऐसे सामने आए, जो कि कफज प्रकृति यानी धीर-गंभीर, सुगठित शरीर और शांत प्रवृत्ति के थे, जबकि 528 (35 फीसदी) बुजुर्ग ऐसे थे जो कि पल-पल में निर्णय बदलते थे। उनके विचारों में भी विषमताएं पाई गई। कुल 1132 लोग ऐसे मिले जो अति साहस वाले कार्य नहीं कर खुद की शक्ति के अनुरूप कार्य करने वाले मिले। ऐसे ही 72% यानी 1094 व्यक्ति इस उम्र में आध्यात्मिक और 1200 लोग ऐसे थे, जो उनके बड़ों की आज्ञा का पालन करने वाले थे। एक खास बात और सामने आई कि 1249 लोगों के भीतर हीमोग्लोबिन सामान्य था। जैसा कि आचार्य सुश्रुत ने रक्त को जीवन की संज्ञा दी है।

वर्तमान में लाइफ स्टाइल के बीच 30 से अधिक उम्र के लोगों में शुगर जैसी बीमारियां जन्म ले रही हैं। दूसरी ओर, सर्वे में सामने आया कि 60 से अधिक उम्र वाले 1500 लोगों में 1326 बुजुर्ग आज भी मीठा खाने पर जोर देते हैं। यानी मधुर रस प्रधान आहार लेते हैं। 1168 लोग ऐसे हैं, जो नियमित दही का सेवन करते हैं। अष्टांग हृदय संहिता में लिखा है कि श्वेत दही की मलाई का सेवन उम्र बढ़ाने वाला होता है। सर्वे में 1349 लोग शुद्ध शाकाहारी मिले। भले ही इससे पहले वे मांसाहारी रहे हों, लेकिन उम्र के साथ उन्होंने मांसाहार को त्याग दिया। 1070 लोग ऐसे मिले जो कि दूध, घी, हरड़, गिलोय, ब्राह्मी, वचा, शतावरी और शंखपुष्पी का उपयोग करते हैं। 1263 लोग ऐसे थे जो उम्र के साथ दूध का सेवन नियमित करते हैं। 1203 व्यक्ति ऐसे हैं, जो सामान्य दिनचर्या और ऋतुचर्या के नियमों का पालन करते हैं। 1469 व्यक्ति ऐसे मिले जिनमें नियमित स्नान करने की आदत रही है। 1275 यानी 85 फीसदी ऐसे लोग मिले, जिनमें व्यायाम करने के साथ चुस्त रहने की आदत है। 1336 लोग ऐसे थे जिनके आहार में किसी न किसी तरह गाय के घी का उपयोग होता है।

आयुर्वेद के विपरीत भी हुआ खुलासा

आयुर्वेद में चाय के सेवन का कोई जिक्र नहीं है। दूध-चाय और शक्कर के मिश्रण को आयु घटाने के साथ गैस बनाने का बड़ा कारण माना जाता है। सर्वे में चौंकाने वाली बात भी सामने आई। सामने आया कि 793 व्यक्ति ऐसे थे जो दिन में एक से दो बार चाय पीते हैं, जबकि 175 व्यक्ति ऐसे मिले, जिन्हें चार और इससे ज्यादा बार चाय पीने की आदत थी।

सर्वे रिपोर्ट का प्रकाशन भी किया गया : प्राचार्य डॉ. महेश दीक्षित

पंडित मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय के प्राचार्य डॉ. महेश दीक्षित का कहना है कि 60 की उम्र को वरिष्ठ नागरिक की दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए सर्वे में एक तय उम्र पार करने वाले लोगों को शामिल किया गया था। सर्वे में 150 से ज्यादा स्नातकोत्तर कक्षाओं के स्कॉलर थे। इनमें 138 राजस्थान के सभी जिलों से रहने वाले थे, जबकि 12 ऐसे थे जो राज्य के बाहर के थे। सभी जगहों से मिले सर्वे की एक रिपोर्ट तैयार कर निरोगी जीवन स्वास्थ्य की ओर एक कदम शीर्षक से प्रकाशन भी किया गया है।

Related Articles