भजनलाल सरकार को बड़ा झटका, जानिए श्रीकरणपुर में मंत्री को उतारने के बाद भी क्यों हारी भाजपा
Karanpur By Election Result: राजस्थान की भाजपा सरकार को सत्ता में आने के साथ ही पहला बड़ा झटका करणपुर विधानसभा सीट पर हार के रूप में मिला है। सरकार के कृषि मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी चुनाव हार गए हैं।
Karanpur By Election Result: विधानसभा चुनाव हराकर कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता से बेदखल करने वाली जनता ने पहले ही उपचुनाव में सत्ताधारी दल भाजपा को हरा दिया। इतना ही नहीं चुनाव से पहले ही मंत्री बना दिए गए प्रत्याशी को हराकर जनता ने यह बता दिया कि राजस्थान का सियासी मिजाज कुछ अलग है।
कांग्रेस के नेता गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के बाद श्रीकरणपुर विधानसभा में उपचुनाव हुए। यहां कांग्रेस ने गुरदीप कुन्नर के पुत्र रूपिंडर सिंह कुन्नर को प्रत्याशी बनाया था। वहीं चुनाव में मतदान से पहले ही भाजपा ने यहां अपने प्रत्याशी सुरेंद्र पाल टीटी को राजस्थान की सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री का चार्ज दे दिया था। बीजेपी को उम्मीद थी कि प्रत्याशी को मंत्री बनाए जाने से मतदाताओं में मैसेज जाएगा कि टीटी जीते तो क्षेत्र का अच्छे से विकास हो सकेगा लेकिन इसके ठीक उल्टे टीटी चुनाव हार गए।
हालांकि इससे पहले भी टीटी 2018 में इसी सीट से गुरदीप कुन्नर के सामने चुनाव हारे थे। तब भी वे तत्कालीन वसुंधरा सरकार में स्किल डवलपमेंट मंत्री थे। हालांकि भाजपा विकास के मुद्दे को लेकर इस चुनाव में उतरी थी। यहां सिख और जाट वोटरों की तादाद काफी ज्यादा है और इलाका पंजाब से सटा हुआ है इसलिए वहां के मुद्दे भी चुनावों पर असर डालते हैं।
हालांकि यह ऐसा नहीं है कि टीटी मंत्री बनने के चलते चुनाव हारे। मंत्री बनाए जाने से तो उनके हार का मार्जिन कम ही हुआ है। यदि उन्हें मंत्री नहीं बनाया जाता तो शायद हार का अंतर और ज्यादा होता।
किसान आंदोलन
भौगोलिक रूप से वैसे तो यह इलाका राजस्थान में आता है लेकिन यहां का रहन-सहन और रीति-रिवाज पूरी तरह पंजाबी हैं। यानी वहां के मुद्दे यहां सीधे असर डालते हैं। किसान आंदोलन को लेकर यहां सरदारों के साथ सेंटिमेंट जुड़े हुए थे जो बीजेपी के खिलाफ थे।
दायमा का बयान
विधानसभा चुनावों के दौरान अलवर में बीजेपी नेता संदीप दायमा का विवादित बयान भी इस हार के लिए बड़ी वजह है। उन्होंने तिजारा में हुई सभा के दौरान मस्जिद और गुरुद्वारों को तोड़ने की बात कह दी थी। इसके बाद बीजेपी ने उन पर एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता तो दिखा दिया लेकिन ये पब्लिक सेंटिमेंट के लिए काफी नहीं था।
आप प्रत्याशी का कांग्रेस को समर्थन
इस सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी पृथुपाल सिंह का कांग्रेस के पक्ष में चला जाना भाजपा को भारी पड़ा। यहां मुकाबला टीटी, कुन्नर और पृथुपाल सिंह के बीच था लेकिन ऐन मौके पर पृथुपाल सिंह ने चुनाव से हाथ खींच लिए और उनके वोट कांग्रेस की तरफ चले गए।
सहानुभूति फेक्टर
कांग्रेस को यहां ग्रामीण क्षेत्रों से काफी वोट मिले हैं। जिस इलाके से कुन्नर जीतकर आए हैं, वहां महिलाएं काफी आगे रहती हैं। कुन्नर की मां प्रचार में काफी सक्रिय रहीं और उन्होंने झोली फैलाकर अपने बेटे के लिए वोट मांगे। इसका सीधा फायदा कुन्नर को मिला।
बड़े चेहरे की कमी
पूरे उपचुनाव में भाजपा के पास यहां प्रचार करने के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं था। विधानसभा चुनाव हार चुके राजेंद्र राठौड़ ने जरूर यहां कुछ ताकत लगाई लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई प्रभावशाली चेहरा प्रचार में नहीं जुटा।
उपचुनाव में हमेशा भारी पड़ा संवेदना का कार्ड
श्री करणपुर विधानसभा उपचुनाव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वोट ड्राइव करने में अब भी सबसे बड़ा फैक्टर संवेदना है। यह एक मुद्दा बाकी सभी मुद्दों पर भारी रहा है। चाहे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद देश में कांग्रेस के ऐतिहासिक बहुमत की बात हो या कोई छोटा उपचुनाव हो। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक तरफा मात देकर प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई बीजेपी इसी लहर की चपेट में आकर श्रीकरणपुर उपचुनाव हार गई। जबकी बीजेपी ने यहां से अपने प्रत्याशी सुरेंद्र पाल टीटी को चुनाव जीतने से पहले ही मंत्री बना दिया था। किसान आंदोलन की नाराजगी देखते हुए टीटी को कृषि मंत्री भी बनाया गया, लेकिन फिर भी नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं आये।
कांग्रेस का संवेदना परिवारवाद वाला कॉम्बो कार्ड लगातार चल ही रहा है। करणपुर में जहां गुरमीत कुन्नर की जगह उनके बेटे रुपिंदर को टिकट दिया वो जीते। वहीं, पिछली गहलोत सरकार में सुजानगढ़ में मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल, वल्लभनगर से गजेंद्र शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत, सहाड़ा से कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी और सरदारशहर से भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा और बीजेपी में राजसमंद से किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति किरण माहेश्वरी उपचुनाव में अपनी सीटें निकाल कर लाए।