मैं द्रव्यवती नदी… पांच वर्ष रूठी रही तकदीर, नई सरकार से आस बदलेगी तस्वीर

जयपुर : मैं द्रव्यवती नदी हूं… पिछली भाजपा सरकार ने मुझे संवारने का काम किया। काम पूरा होता उससे पहले चुनाव आ गए और सत्ता बदल गई। सत्ता क्या बदली… मेरी किस्मत ही रूठ गई। कांग्रेस सरकार के पांच साल कोई काम नहीं हुआ। जो लोग मेरे किनारों पर सैर करने आते थे, वे भी आना बंद हो गए। दुर्गंध और गंदगी से मेरा दम घुटने लगा। सुशीलपुरा पुलिया के पास तो रोज ही सीवर की गंदगी मेरे ऊपर गिरती है। मुझे बहुत दुख होता है… जब मैं सोचती हूं कि मुझे सुंदर बनाने के लिए 1600 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन इस खर्चे का क्या फायदा जब जनता ही मुझसे दूर हो गई।जब मैं अपने अतीत के पन्नों को पलटती हूं तो मुझे सुखद दिन याद आते हैं। मेरे प्रवाह को रोककर बांध बनाए गए थे। उनमें स्वच्छ जल होता था। साल भर नौकाएं चलती थीं। गर्मियों में तो इन बांधों के किनारे मेले जैसा माहौल होता था। लोग साइकिल और बैल गाडिय़ों से सैर करने आते थे। मैं अब भी यही चाहती हूं कि लोग मेरे किनारों पर आएं। घूमें-फिरें और परिवार के साथ पिकनिक मनाएं। बच्चे खूब खेलें। अब नई सरकार से मुझे आस है, उम्मीद है कि मेरे भी दिन बदलेंगे।
मैं द्रव्यवती नदी… पांच वर्ष रूठी रही तकदीर, नई सरकार से आस बदलेगी तस्वीर pic.twitter.com/L6fYecXDHD
— जनमानस शेखावाटी (@Jan_Shekhawati) January 7, 2024
सिर्फ संवारने की है जरूरत
एक-दो जगह को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है। शेष जगह चैनल बनाने का काम पूरा हो चुका है। करीब 1400 करोड़ रुपए जेडीए खर्च कर चुका। दस वर्ष में 200 करोड़ रुपए नदी की देखरेख में खर्च हो गए। इतना सब कुछ होने के बाद भी नदी ऐसी नहीं बन पाई कि लोग इसके किनारे सैर कर सकें।
खास-खास
-1676 करोड़ रुपए का है यह प्रोजेक्ट
-47 किलोमीटर लम्बाई में नदी का सौंदर्यन किया है जेडीए ने
-17 किलोमीटर के हिस्से का दो अक्टूबर, 2018 को हुआ था उद्घाटन
-05 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से सीवर को साफ कर पानी जाता है नदी में
कहां क्या दिक्कत
– एसटीपी की निगरानी नहीं होती। आए दिन बंद होने से सीवर बिना शोधन के ही नदी में गिरता है।
– मानसरोवर, शिप्रापथ पर करतारपुरा नाला नदी में आकर गिरता है। इसकी वजह से नदी में गंदगी होती है।
– निगरानी न होने की वजह से विधानी और गोनेर इलाके में नदी किनारे रेलिंग ही चोरी हो गईं।
– हसनपुरा पुलिया के आस-पास मामला कोर्ट में है। ऐसे में यहां दीवार भी नहीं बन पाई। यहां सीधे ही कचरा नदी में फेंका जाता है।
इनका कोई उपयोग नहीं
– चैनल के दोनों ओर 34.50 किलोमीटर में वॉक वे और साइकिल ट्रैक का निर्माण हो चुका है। दुर्गंध की वजह से न तो कोई टहलने जाता है और न ही कोई साइकिल चलाने पहुंचता है।
– 30 किलोमीटर क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगा गए हैं, लेकिन इनका अब तक सही तरह से उपयोग शुरू नहीं हो पाया है।
अभी ये हो रहा
नदी को साफ करने का काम तेजी से चल रहा है। बहाव क्षेत्र में भरे मलबे को निकाला जा रहा है। सफाई शुरू हुई है।
पार्क भी किए विकसित
– मानसरोवर के शिप्रा पथ पर लैंडस्कैपिंग पार्क विकसित किया गया। दिन भर में चुनिंदा लोग ही यहां पहुंचते हैं।
– बम्बाला पुलिया के पास बॉटनीकल पार्क जेडीए ने तैयार किया। सुबह के समय यहां लोग दिखाई देते हैं।
– पानीपेच स्थित बर्ड पार्क भी बनकर तैयार है, लेकिन यहां जनता की आवाजाही कम है।
नदी के ज्यादातर हिस्से का काम पूरा हो चुका है। एक दो जगह कोर्ट का विवाद है। नदी की सफाई का काम चल रहा है। आगे जो भी दिशा-निर्देश मिलेंगे, उसके अनुरूप काम करेंगे।
– अजय गर्ग, निदेशक, अभियांत्रिकी शाखा, जेडीए