Explainer: बिना चुनाव लड़े कैसे मंत्री बन गए सुरेंद्र पाल सिंह? इसे लेकर क्या कहता है नियम?
Surendra Pal Singh TT Becomes Minister: भाजपा नेता सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को बिना चुनाव लड़े मंत्री पद की शपथ दिलाए जाने को लेकर कांग्रेस आक्रामक है। जानिए इसे लेकर नियम क्या है।

Surendra Pal Singh TT Becomes Minister : राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में कुल 22 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। इन नेताओं में एक नाम सुरेंद्र पाल सिंह टीटी का भी शामिल है जिन्होंने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पद की शपथ ग्रहण की। इसमें खास बात यह है कि सुरेंद्र पाल विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले ही मंत्री बन गए हैं।
दरअसल, हालिया विधानसभा चुनाव प्रदेश की 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर हुए थे। श्री करणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन होने की वजह से यहां मतदान नहीं हुआ था। इस सीट के लिए अब पांच जनवरी को चुनाव होगा और भाजपा ने सुरेंद्र पाल को यहां से उम्मीदवार बनाया है।
श्रीकरणपुर में 5 जनवरी को होने वाले मतदान की आचार संहिता के प्रभावी होने के बावजूद वहां से भाजपा प्रत्याशी को मंत्री बनाना आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन एवं वहां के मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास है। चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेकर अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए।
इस तरह के…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 30, 2023
कांग्रेस ने बताया आचार संहिता का उल्लंघन
सुरेंद्र पाल को मंत्री पद की शपथ दिलाए जाने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे लेकर कहा है कि भाजपा ने चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए उन्हें शपथ दिलाई है। कांग्रेस इसे लेकर चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग करेगी।
#WATCH राजस्थान में दिल्ली से पर्ची आ ही गई और आज राजस्थान में 22 मंत्रियों ने शपथ ली है…सुरेंद्र पाल टीटी जो श्रीकरणपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां 5 जनवरी को चुनाव होने हैं। उनको मंत्री पद की शपथ दिलाकर श्रीकरणपुर के मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है। भाजपा न… pic.twitter.com/2WJJJk4fBG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 30, 2023
भाजपा ने इसलिए खेला है यह मास्टर स्ट्रोक
दरअसल, भाजपा के इस दांव से श्री करणपुर सीट से सुरेंद्र पाल के जीतने के आसार मजबूत हो गए हैं। कहा जा रहा है कि अगर मंत्री पद पर बैठा एक नेता चुनाव लड़ने उतरेगा तो जनता का भरोसा उसमें बढ़ेगा। इसके साथ ही कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट के भाजपा के खेमे में आने की संभावना भी बढ़ेगी।
इसे लेकर क्या कहता है संविधान का नियम
संविधान के आर्टिकल 164(4) के प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति बिना निर्वाचित हुए छह महीने तक मंत्री पद पर रह सकता है। नियमानुसार मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल किसी भी व्यक्ति को मंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं। लेकिन इसके छह माह के अंदर उसका विधानमंडल में निर्वाचित होना जरूरी है।
श्री करणपुर सीट का ऐसा है चुनावी कार्यक्रम
इस विधानसभा सीट पर पांच जनवरी को मतदान होगा। इसके बाद आठ जनवरी को मतगणना की जाएगी। भाजपा ने यहां से सुरेंद्र पाल सिंह को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक कुन्नर के बेटे रूपिंदर सिंह चुनावी मैदान में उतरेंगे। इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.40 लाख मतदाता हैं।