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Transfer became headache: गहलोत सरकार ने जाते-जाते फंसाया पेंच, शिक्षकों का तबादला बना सरकार का सिरदर्द


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Transfer became headache: गहलोत सरकार ने जाते-जाते फंसाया पेंच, शिक्षकों का तबादला बना सरकार का सिरदर्द

प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जाते-जाते नई सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द खड़ा कर दिया है। पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों के लिए आवेदन तो ले लिए लेकिन उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया।

Transfer became headache: राजस्थान की पिछली सरकार की कारगुजारियों ने नई भाजपा सरकार के सामने परेशानी खड़ी कर दी है। दरअसल सरकारी कर्मचारियों के सबसे बड़े संवर्ग तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने प्रदेश की नई भजनलाल शर्मा सरकार से उनके तबादले खोले जाने की मांग की है। आने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह नई सरकार के लिए यह एक बेहद चिंताजनक मुद्दा हो सकता है।

तबादलों की मांग को लेकर राजस्थान प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघर्ष समिति के प्रदेश प्रवक्ता नारायण सिंह का कहना है कि कांग्रेस की पिछली सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों को 5 साल तक तबादलों के लिए तरसाती रही और आखिर उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। अब मौजूदा सरकार ने भी यदि समय रहते इस काम को नहीं किया और लोकसभा चुनाव से पहले इसे लेकर कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की तो आगामी लोकसभा चुनाव में शिक्षकों की नाराजगी सामने आ सकती है।

गौरतलब है कि राजस्थान में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर प्रतिबंध है। पिछली कांग्रेस सरकार ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले करने का सियासी वादा करके लगभग 85 हजार शिक्षकों के तबादलों के आवेदन स्वीकर कर लिए थे लेकिन तबादले नहीं किए और सरकार का कार्यकाल पूरा हो गया।

राजस्थान में लगभग 3 लाख सरकारी शिक्षक हैं और उनमें सबसे ज्यादा संख्या तृतीय श्रेणी शिक्षकों की है। इनमें से अधिकतर दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ाई का जिम्मा संभाल रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में काम कर रहे शिक्षकों के तबादले करना हर सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम रहा है। अब वर्तमान सरकार इस संबंध में क्या निर्णय लेती है, यह महत्वपूर्ण है।

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