RUHS हॉस्पिटल में करोड़ों खर्च कर बनाए ऑपरेशन थियेटर बंद:5 में से 1 नियमित चल रहा, डॉक्टर्स-नर्सिंग स्टाफ की कमी से नहीं हो रही सर्जरी
RUHS हॉस्पिटल में करोड़ों खर्च कर बनाए ऑपरेशन थियेटर बंद:5 में से 1 नियमित चल रहा, डॉक्टर्स-नर्सिंग स्टाफ की कमी से नहीं हो रही सर्जरी

जयपुर : जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में स्टाफ की कमी और नियुक्ति नहीं होने की वजह से ऑपरेशन थियेटर बंद पड़े हैं। करोड़ों रुपए के अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर सिर्फ इसलिए काम में नहीं आ रहे हैं, क्योंकि आरयूएचएस अस्पताल के पास डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ ही नहीं है। आरयूएचएस में 5 ऑपरेशन थियेटर हैं, जिसमें से महज 3 ही चल रहे हैं। इन तीन में भी केवल एक ही ऑपरेशन थियेटर नियमित रूप से चल रहा है और अन्य दो में सप्ताह में एक-दो दिन ही सर्जरी होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि यहां जल्दी से जल्दी स्टाफ की नियुक्ति हो, ताकि लोगों का इलाज शुरू किया जा सके।
राज्य सरकार ने 700 करोड़ खर्च कर आरयूएचएस अस्पताल का निर्माण किया। पूर्व में यह अस्पताल पीपीपी मोड में देने तक की नौबत आ गई थी, लेकिन कोविड के बाद सरकार ने इसे चलाने का निर्णय किया। यहां सुविधाएं विकसित की गई, लेकिन काम की गति काफी धीमी होने की वजह से यहां अभी भी ऑपरेशन थियेटर शुरू नहीं हो सके हैं। आरयूएचएस में आर्थो, गायनी, ईएनटी मरीजों के लिए भी अलग से ऑपरेशन थियेटर है, लेकिन स्टाफ की कमी से ये बंद हैं। केवल इमरजेंसी और जनरल सर्जरी के मरीजों के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। हाल ही में सुपर स्पेशिलटी के सीनियर डॉक्टर्स ने पेंशन स्कीम के तहत आरयूएचएस में जॉइन किया था।
रोजाना 20 मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर करना पड़ रहा
700 बेड के अस्पताल में फिलहाल 800 तक ही ओपीडी है। 100 से भी कम आईपीडी है। यदि यहां सभी सुविधाएं मिलने लगें तो मालवीय नगर, सांगानेर, प्रताप नगर, जगतपुरा, सीतापुरा, शिवदासपुरा, चाकसू क्षेत्र के करीब 4 लाख लोगों को सीधा फायदा मिल सकता है। अब जबकि निजी अस्पतालों ने चिरंजीवी में इलाज बंद कर दिया है तो सरकारी अस्पतालों की महत्ता बढ़ गई है और लोग यहां आ रहे हैं, लेकिन अभी यहां सभी सुविधाएं नहीं मिलने से उन्हें रेफर ही किया जाता है। आरयूएचएस अस्पताल से रोजाना करीब 20 मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ रहा है।
कोशिश जारी, लेकिन स्टाफ की पूर्ति जरूरी
आरयूएचएस अस्पताल प्रशासन की ओर से अस्पताल को बेहतर बनाने और मरीजों के लिए सुविधाएं देने की हर संभव कोशिश की जाती है, लेकिन स्टाफ की कमी से परेशानी बनी हुई है। हालांकि भर्ती प्रक्रिया जारी है, लेकिन जब तक यहां पर्याप्त स्टाफ नहीं होगा, तब तक मरीजों को परेशान होना ही पड़ेगा।