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दीया-प्रेमचंद की नियुक्ति रद्द करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका:तर्क-डिप्टी सीएम पद का संविधान में प्रावधान नहीं, शपथ को दी गई चुनौती


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दीया-प्रेमचंद की नियुक्ति रद्द करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका:तर्क-डिप्टी सीएम पद का संविधान में प्रावधान नहीं, शपथ को दी गई चुनौती

दीया-प्रेमचंद की नियुक्ति रद्द करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका:तर्क-डिप्टी सीएम पद का संविधान में प्रावधान नहीं, शपथ को दी गई चुनौती

जयपुर : राजस्थान में डिप्टी सीएम पद पर दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा की शपथ को शनिवार को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि डिप्टी सीएम पद का संविधान में प्रावधान नहीं इसलिए यह नियुक्ति रद्द की जाए। याचिका एडवोकेट ओमप्रकाश सोलंकी ने दायर की है।

डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के बाद कार्यभार संभालने के दौरान दीया कुमारी ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के बाद कार्यभार संभालने के दौरान दीया कुमारी ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।

हाई​कोर्ट अब इस मामले में सुनवाई की तारीख तय करेगा। याचिका दायर करने वाले एडवोकेट ओम प्रकाश सोलंकी ने कहा- संविधान में डिप्टी सीएम पद का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने डिप्टी सीएम के नाम शपथ ली है। यह कानूनी तौर पर गलत है। हाईकोर्ट में इसे लेकर याचिका पेश की गई है।

डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने कार्यभार संभालने से पहले तिलक लगवाया था।
डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने कार्यभार संभालने से पहले तिलक लगवाया था।

जब डिप्टी सीएम पद संविधान में है ही नहीं तो इसकी शपथ कैसे ली?
याचिका दायर करने वाले वकील ने तर्क दिया- डिप्टी सीएम मंत्री ही होता है, केवल राजनीतिक पोस्ट है। दोनों ने मंत्री की जगह डिप्टी सीएम की शपथ ली है, जब डिप्टी सीएम का पद संविधान में है ही नहीं तो आप शपथ ​कैसे ले सकते हैं। दोनों की नियुक्ति को रद्द किया जाना चाहिए।

राजस्थान में अब तक डिप्टी सीएम बने नेता कैबिनेट मंत्री की शपथ लेते रहे हैं
राजस्थान में पहले भी डिप्टी सीएम बनते रहे हैं। भैरोंसिंह शेखावत सरकार में हरिशंकर भाभड़ा डिप्टी सीएम बने थे। अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में 2002 में कमला बेनीवाल और बनवारीलाल बैरवा डिप्टी सीएम बने थे। 2018 में सचिन पायलट डिप्टी सीएम बनाए गए थे। इन सब नेताओं ने डिप्टी सीएम की जगह कैबिनेट मंत्री की ही शपथ ली थी। हालांकि इस बार राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम बने नेताओं ने कैबिनेट मंत्री की जगह डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी।

सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति
डिप्टी सीएम के पद की शपथ को लेकर पहले भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई हैं। डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति को सुप्रीम कोर्ट 1990 में खारिज कर चुका है। कर्नाटक, पंजाब-हरियाणा, बॉम्बे हाईकोर्ट में भी डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति जताते हुए नियुक्ति अवैध घोषित करने की याचिकाएं दायर हुईं, सब जगह याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए साफ कर दिया था कि डिप्टी सीएम को भी संविधान के आर्टिकल 164(3) के तहत शपथ दिलाई जाती है, डिप्टी सीएम की शपथ लेना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है।

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