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पधारो म्हारे मोदी:6वीं बार रिवाज कायम, गहलोत की गारंटी खारिज; तीसरा मोर्चा 15 पर अटका, पिछली बार से 12 सीटें कम


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पधारो म्हारे मोदी:6वीं बार रिवाज कायम, गहलोत की गारंटी खारिज; तीसरा मोर्चा 15 पर अटका, पिछली बार से 12 सीटें कम

पधारो म्हारे मोदी:6वीं बार रिवाज कायम, गहलोत की गारंटी खारिज; तीसरा मोर्चा 15 पर अटका, पिछली बार से 12 सीटें कम

जयपुर : राजस्थान में सोलहवीं विधानसभा के लिए 25 नवंबर को 199 सीटों पर हुए चुनाव का नतीजा सचमुच चौंकाने वाला रहा। 1993 के बाद से छठवीं बार जनता ने सत्ता पलटने का रिवाज कायम रखा और 115 सीटों के साथ भाजपा को सत्ता सौंपी है। भाजपा को जनता ने 42 सीटों का फायदा दिया लेकिन नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां, नरपतसिंह राजवी, रामलाल शर्मा जैसे चेहरों को सदन में नहीं भेजा। जबकि 4 संत और 4 सांसद अब सदन में नजर आएंगे।

आपसी झगड़ों के बीच फ्रीबीज व गारंटियों पर केंद्रित रही कांग्रेस को जनता ने 30 सीटों के नुकसान के साथ 69 पर समेट दिया। अशोक गहलोत, महेन्द्रजीत मालवीय, सुभाष गर्ग, शांति धारीवाल, बृजेंद्र ओला, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, सचिन पायलट तो जीते लेकिन मंत्री प्रतापसिंह, विश्वेंद्र सिंह, परसादीलाल, रमेश मीणा, प्रमोद जैन भाया, बीडी कल्ला, रामलाल जाट, ममता भूपेश, शकुंतला रावत सहित 17 मंत्री व स्पीकर सीपी जोशी, कैंपेन कमेटी के चेयरमैन गोविंदराम मेघवाल तक हार गए।

तीसरा मोर्चा 15 सीटों तक सिमट गया, यानी पिछली बार से 12 सीटें कम। इनमें भी 8 बागी हैं। पहली बार चुनाव मैदान में उतरी भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) को जनता ने 3 सीटें देकर हौसला बढ़ाया जबकि आरएलपी से सिर्फ पार्टी के प्रमुख एवं सोसद हनुमान बेनीवाल ही जीत हासिल कर पाए। बसपा इस बार दो ही सीटें जीती। आरएलडी को एक सीट मिली।

आगे क्या: सीएम कौन/क्यों?

पिछले दो लोकसभा चुनाव से भाजपा पूरी 25 सीटें जीतती रही है। अगले चुनाव में भी यही लक्ष्य रहेगा। सीएम चेहरा उसी के मद्देनजर होगा। हालांकि वसंुधरा राजे, दीया कुमारी, राज्यवर्द्धन राठौड़, बालकनाथ सहित ओम बिरला, अर्जुन मेघवाल, ओम माथुर के नाम चर्चा में हैं।

क्या योजनाएं जारी रहेंगी?

पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा ने कहा था- जन हित की कोई योजना बंद नहीं होगी। हालांकि भाजपा फ्रीबीज के खिलाफ रही है। ऐसे में कुछ योजनाओं की समीक्षा कर सकती है।

10 बड़े सवाल… जिनके जवाब आप जानना चाहते हैं

1. गुर्जर मतदाताओं का रुख क्या रहा?

गुर्जरों की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ी। पिछली बार कांग्रेस के सातों प्रत्याशी जीते थे, इस बार 11 में से सिर्फ 3 जीते। वहीं भाजपा ने 10 टिकट दिए थे उनमें से 5 जीते। एक बसपा से जीता।

2. ध्रुवीकरण के प्रयास कितने सफल रहे?

भाजपा ने एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं उतारा। मुस्लिम बहुल तीन सीटों सहित 4 संतों को टिकट दिए, चारों जीते। कांग्रेस के शाले मोहम्मद सहित 15 मुस्लिम चेहरों में से 5 जीते।

3. गारंटियों का असर कितना रहा?

1993 के चुनाव में अयोध्या प्रकरण को लेकर माहौल के बावजूद कांग्रेस 76 सीटों के साथ विपक्ष में बैठी थी। इस बार 69 सीटें ही मिलीं। यानी जनता ने गहलोत की गारंटियों को खारिज कर दिया।

4. बागियों ने कितना प्रभाव डाला?

कांग्रेस का एक, भाजपा के 7 बागी जीते व 12 सीटों पर नुकसान। सांचौर में देवजी तीसरे नं. पर।

5. एंटी इन्कम्बेंसी कितनी रही?

सरकार में सीएम सहित 26 में से 17 मंत्री हारे। इनमें बीडी कल्ला, परसादी मीणा, रमेश मीणा, विश्वेंद्र, प्रताप सिंह, प्रमोद भाया तक शामिल।

6. फर्स्ट टाइम वोटर का रुझान क्या रहा?

कांग्रेस को पिछली बार के लगभग बराबर 39% और भाजपा को 42% वोट मिले। यानी भाजपा को 2.5% ज्यादा मिले। यह फायदा नए वोटर्स से।

7. अन्य/थर्ड फ्रंट का क्या रहा?

अन्य में बीएपी के 3, बसपा के 2, आरएलपी के 1, आरएलडी का एक सहित 15 प्रत्याशी जीते।

8. जहां मोदी की सभाएं वहां क्या रहा?

पीएम मोदी की सभा और रोड शो वाली 19 जगहों में से 11 सीटें बीजेपी के खाते में गई। पिछले सवा साल में करीब डेढ़ सौ विधानसभाएं कवर की और 95 सीटों पर प्रत्याशी जीते।

9. नतीजों पर मुद्‌दों का क्या असर रहा?

कांग्रेस अपनी योजनाओं को देश-दुनिया में अनोखी बताती रही जबकि जनता के जेहन में कानून-व्यवस्था, महिला अत्याचार, भ्रष्टाचार, पेपर लीक, लाल डायरी, कन्हैया लाल जैसे मुद्दे रहे।

10. जाति/क्षेत्र का रुझान किस ओर रहा?

हाड़ौती, मारवाड़, मेवाड़ सहित ढूंढाड़ के बड़े हिस्से में भाजपा ने ज्यादा सीटें जीतीं। बीकाणा और शेखावाटी में कांग्रेस अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब रही।

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