वोट देने से 30 मिनट पहले बुजुर्ग की मौत:होम वोटिंग के लिए आई थी टीम, बेटा बोला-घर से वोट डालने के लिए उत्साहित थे
वोट देने से 30 मिनट पहले बुजुर्ग की मौत:होम वोटिंग के लिए आई थी टीम, बेटा बोला-घर से वोट डालने के लिए उत्साहित थे

भिवाड़ी (अलवर) : अलवर में वोट डलवाने के लिए निर्वाचन विभाग की टीम के पहुंचने से आधे घंटे पहले ही 95 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। जिसके बाद निर्वाचन विभाग की टीम को बिना वोट डलवाए ही लौटना पड़ा। मामला भिवाड़ी के टपूकड़ा के खोरीकला गांव का है। बता दें कि, निर्वाचन विभाग ने मंगलवार से वोट फ्रॉम होम की सुविधा के तहत मतदान शुरू किया है। जिसमें 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों और दिव्यांगों के घर-घर जाकर वोट डलवाए जा रहे है।
5 सदस्यों की टीम पहुंची थी, पहुंचने से आधे घंटे पहले बुजुर्ग की मौत
सेक्टर मजिस्ट्रेट कपिल देव चौरडिया ने बताया कि वोट फ्रॉम होम की सुविधा के तहत 5 सदस्यों की पोलिंग टीम मंगलवार दोपहर 1.30 बजे भिवाड़ी के खोहरी कला गांव पहुंची। यहां उनको मुंशी सिंह (95) पुत्र बहादुर सिंह का वोट डलवाना था। लेकिन वहां पहुंचकर पता चला कि मुंशी सिंह की मौत हो गई है। घरवालों ने बताया कि अभी आधे घंटे पहले ही उनकी मौत हुई है। बुजुर्ग की मौत के कारण उन्हें बिना मतदान करवाएं ही वापस लौटना पड़ा।
बीएलओ बलबीर सिंह ने बताया की मुंशी सिंह का वोट सेक्टर 8 टपूकड़ा में भाग संख्या 95 और उनका वोटर लिस्ट में क्रमांक संख्या 572 थी। अभियान के तहत बुजुर्ग मुंशी सिंह का वोट डलवाने गई टीम में पीआरओ राजेश मीणा, पीओ 1 अंकित शर्मा, माइक्रो ऑब्जर्वर रामानंद बैरवा, सेक्टर मजिस्ट्रेट कपिल देव चोरड़िया शामिल थे।

पिता नहीं डाल पाए आखिरी वोट-बेटा ज्ञान सिंह
मुंशी सिंह के बेटे ज्ञान सिंह ने बताया कि सोमवार की रात उनके पिता मुंशी सिंह को ठंड के कारण सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही थी। सुबह तबीयत ठीक थी। अचानक ही उनकी मौत हो गई। ज्ञान सिंह ने बताया कि अधिसूचना जारी होने के साथ ही उन्होंने उनके पिता का रजिस्ट्रेशन करवाया था। उनके पिता भी वोट डालने के लिए उत्साहित थे। निर्वाचन विभाग के द्वारा पहली बार घर बैठे वोट डलवाने की योजना से काफी खुश नजर आ रहे थे। वो कहते थे कि उन्हें लाइन में नहीं लगना पड़ेगा और घर बैठे ही उनका वोट भी डल जाएगा। लेकिन उनके पिता की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। वह अपना आखिरी वोट डालने से वंचित रह गए।
ज्ञान सिंह ने बताया कि जब वोट डलवाने के लिए पोलिंग पार्टी उनके घर आई तो उससे करीब आधे घंटे पहले ही उनके पिता की मौत हो चुकी थी। घर के बच्चे रो रहे थे। पोलिंग पार्टी ने आते ही उनसे घर में हो रहे मातम का कारण पूछा तो उन्होंने अपने पिता की मौत होना बताया। इस पर पोलिंग पार्टी ने एक ऐप्लीकेशन लिखी और उस पर उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह के साइन करवा लिए। इसके बाद पोलिंग पार्टी वहां से चली गई। पोलिंग पार्टी करीब 10 से 15 मिनट में ही यह सब प्रक्रिया पूरी कर उनके घर से चली गई थी।

मुंशी सिंह के 3 बेटों और एक बेटी की हो चुकी मौत
ज्ञान सिंह ने बताया कि वो कुल 9 भाई-बहन है। जिनमें से तीन भाइयों और एक बहन की मौत हो चुकी है। उनके सबसे बड़ा भाई महेंद्र सिंह( 59) है, उनसे छोटे भाई राम सिंह की 55 साल की उम्र में मौत हो गई। तीसरे नंबर के भाई भगवान सिंह की 52 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी। उसके बाद खुद ज्ञान सिंह (51) है। उनसे छोटे भाई श्याम सिंह की 36 साल की उम्र में मौत हो गई। सबसे छोटा बेटा धन्ना सिंह (32) है। मुंशी सिंह के तीन लड़कियां हैं, जिनमें से इंद्रोबाई सबसे बड़ी है। उनसे छोटी भगवानों बाई की मौत हो चुकी है। वही सबसे छोटी लड़की ज्ञानोबाई है।
राजस्थान में 17.32 लाख बुजुर्ग (80+) और दिव्यांग वोटर्स
निर्वाचन आयोग के मुताबिक पूरे राजस्थान में 80 प्लस उम्र और दिव्यांग (40 फीसदी से ज्यादा) वोटर्स की कुल संख्या 17 लाख 32 हजार 391 है। इनमें से करीब 3.7 फीसदी ने ‘वोट फ्रॉम होम’ की सुविधा चुनी है।
एक पोलिंग टीम में 5 सदस्य
बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग के लिए एक टीम में 5 सदस्य पीठासीन अधिकारी, पोलिंग ऑफिसर (पीओ), माइक्रो ऑब्जर्वर, कैमरा मैन और सिक्योरिटी गार्ड शामिल हैं। एक पोलिंग पार्टी को एक दिन में 15 से 20 वोट कास्ट करवाने का टारगेट दिया है।
2 चरण में होम वोटिंग
पोलिंग पार्टियां पहले चरण में 14 से 19 नवंबर के बीच इन मतदाताओं के घर जाएंगी। वहां उनको बैलेट पेपर देगी। वोट डालने के बाद मौके पर ही बैलेट पेपर मत पेटी में डाले जाएंगे। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी। अगर पहले चरण में कोई वोटर घर पर नहीं मिलता है तो उसके यहां टीम दूसरे राउंड में 20 या 21 नवंबर को जाएगी। इस दौरान भी अगर वोटर नहीं मिलता है तो फिर उस वोटर का वोट निरस्त माना जाएगा।
इसलिए दिया अलग-अलग दिन का विकल्प
पहले वोट फ्रॉम होम की सुविधा की शुरुआत के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे 15 नवंबर कर दिया। निर्वाचन विभाग के सीईओ के मुताबिक अब जिन जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में होम वोटर्स की संख्या ज्यादा है, उनमें 14 से वोटिंग शुरू करने के निर्देश दिए हैं। ताकि सभी वोटर्स के घर पोलिंग पार्टियां पहुंचकर वोट कास्ट करवा सकें। जिन विधानसभा क्षेत्रों में होम वोटर्स की संख्या कम है, वहां वोटिंग की सुविधा 15 नवंबर से शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
पोलिंग पार्टियां लिस्ट के अनुसार वोटर के घर पहुंचती हैं। वहां वोटर की पहचान के लिए मौके पर बीएलओ पहुंचता है। बीएलओ की जांच के बाद पोलिंग पार्टी मतदाता का वोटर आईडी कार्ड या दूसरे दस्तावेज चेक करती है। घर में सुविधाजनक स्थान पर वोटिंग का कंपार्टमेंट बनाया जाता है। इसके बाद वोटिंग लिस्ट में नाम सर्च करके वोटर के नाम के आगे मार्क करके उसे बैलेट पेपर और एक डिक्लेरेशन सर्टिफिकेट दिया जाता है। इस सर्टिफिकेट में वोटर का नाम लिखकर उससे हस्ताक्षर करवाए जाते हैं या अंगूठा लगवाया जाता है। वोटर को वोट करने के लिए 5 मिनट का समय दिया जाता है। बैलेट पेपर पर वोटर को पैन से टिक करवाया जा रहा है। इससे पहले वोटर को पूरी प्रक्रिया समझा रहे हैं। वोट देने के बाद वोटर से डिक्लेरेशन सर्टिफिकेट और बैलेट पेपर लेकर एक लिफाफे में बंद करके मत पेटी में डाला जाता है।