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वह मनरेगा कार्यकर्ता जिसने 20 चुनाव लड़े और असफल रहा; अब फिर चुनावी अखाड़े में उतरा


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वह मनरेगा कार्यकर्ता जिसने 20 चुनाव लड़े और असफल रहा; अब फिर चुनावी अखाड़े में उतरा

Rajasthan Assembly Election 2023: सत्तर साल के दिहाड़ी मजदूर ने पंचायत से लेकर लोकसभा तक हर चुनाव लड़ा है। लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर उसी जुनून और उत्साह के साथ तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इस महीने के अंत में ही विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है।

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 25 नवंबर को मतदान होना है। राजस्थान में नामांकन की प्रकिया पूरी हो चुकी है। नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 9 नवंबर है। आज 200 सीटों के नामांकन पत्रों की जांच होगी। ऐसे में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो वह प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ पाएगा। इस बीच राजस्थान में एक प्रत्याशी ऐसा भी है जो अपना 32वां चुनाव लड़ रहा है।

जी हां राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार तीतर सिंह इस बार अपना 32वां चुनाव लड़ रहे हैं। तीतर सिंह अब तक 31 चुनाव लड़ चुके हैं। हर चुनाव में उनकी जमानत जब्त हुई है लेकिन वे चुनाव लड़ना नहीं छोड़ते। तीतर सिंह ने बताया कि उनकी एक ही ख्वाहिश है जिस दिन वे चुनाव जीततें है उसके बाद वे जनप्रतिनिधि बनकर गरीबों को उत्थान करेंगे। उन्होंने कहा कि वे अधिक से अधिक चुनाव लड़कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में अपना नाम दर्ज कराना चाहते हैं।

राजस्थान में 1970 के दशक के बाद से इन्होंने हर चुनाव लड़ा है और हर बार इनकी जमानत जब्त हो गई। फिर भी 78 वर्षीय मनरेगा कार्यकर्ता तीतर सिंह निराश हैं क्योंकि वह 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाने के लिए तैयार हैं। करणपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतरे निर्दलीय उम्मीदवार से पूछा गया कि अब तक लगभग 20 चुनाव हारने के बाद भी वह क्यों चुनाव लड़ रहे हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे क्यों नहीं लड़ना चाहिए।

‘चुनाव अधिकारों को हासिल करने का हथियार है’
दिहाड़ी मजदूर ने बताया कि सरकार को जमीन और सुविधाएं देनी चाहिए, यह चुनाव अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि वह लोकप्रियता या रिकॉर्ड के लिए चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। तीतर सिंह ने दावा किया, यह अपने अधिकारों को हासिल करने का एक हथियार है, जिसकी धार उम्र के साथ धुंधली नहीं हुई है।

सत्तर साल के बुजुर्ग ने कहा कि उन्होंने पंचायत से लेकर लोकसभा तक हर चुनाव लड़ा है। लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर उसी जुनून और उत्साह के साथ तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इस महीने के अंत में ही विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है।

‘1970 के दशक से की गई मांग अब तक नहीं पूरी’
’25 एफ’ गांव के निवासी तीतर सिंह दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 1970 के दशक में पहली बार चुनाव लड़ने का फैसला किया। जब उन्हें लगा कि उनके जैसे लोग नहर कमांड क्षेत्र में भूमि आवंटन से वंचित हैं। उनकी मांग थी कि सरकार भूमिहीन और गरीब मजदूरों को जमीन आवंटित करे। इसके साथ ही जब भी मौका मिला, वे चुनाव मैदान में उतरने लगे।

सिंह ने कहा कि उन्होंने एक के बाद एक चुनाव लड़े। लेकिन जमीन आवंटन की उनकी मांग अब तक पूरी नहीं हुई है। उनके बेटे भी दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी तीन बेटियां और दो बेटे हैं। उनके पोते-पोतियों की भी शादी हो चुकी है। सिंह ने कहा कि उनके पास जमा पूंजी के रूप में 2,500 रुपये नकद हैं। लेकिन कोई जमीन, संपत्ति या वाहन नहीं है।

‘सामान्य दिनों में करते हैं दिहाड़ी मजदूरी’
तीतर सिंह ने कहा कि सामान्य दिनों में, वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। लेकिन जैसे ही चुनाव आते हैं, वह अपना ध्यान अपने लिए चुनाव प्रचार पर केंद्रित कर देते हैं। लेकिन नतीजे कभी भी उनके पक्ष में नहीं रहे और हर बार उन्हें जमानत गंवानी पड़ी। सिंह को 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में 938 वोट, 2013 के विधानसभा चुनाव में 427 और 2018 के विधानसभा चुनाव में 653 वोट मिले थे।

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