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एथेलेटिक्स के ट्रेनिंग कैंप में अव्यवस्था:17-19 ऐज ग्रुप की फिमेल प्लेयर्स बोलीं- टॉयलेट लॉक नहीं कर सकते, कमरों के दरवाजे भी बंद नहीं होते


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एथेलेटिक्स के ट्रेनिंग कैंप में अव्यवस्था:17-19 ऐज ग्रुप की फिमेल प्लेयर्स बोलीं- टॉयलेट लॉक नहीं कर सकते, कमरों के दरवाजे भी बंद नहीं होते

एथेलेटिक्स के ट्रेनिंग कैंप में अव्यवस्था:17-19 ऐज ग्रुप की फिमेल प्लेयर्स बोलीं- टॉयलेट लॉक नहीं कर सकते, कमरों के दरवाजे भी बंद नहीं होते

नीमकाथाना : नीमकाथाना जिला स्तरीय स्कूली गेम्स के तहत आयोजित 17 और 19 वर्षीय बायज-गर्ल्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता की विजेता बालिका खिलाड़ियों को रात को ठहरने के लिए 2 कमरे दिए, लेकिन दोनों कमरे बदहाल हैं। उन कमरों को अंदर से बंद करने के लिए लॉक तक नही हैं। वहीं शौचालय के गेट भी बंद नहीं होते।

शिक्षा विभाग के 67वें जिलास्तरीय स्कूली खेलों की एथेलेटिक्स प्रतियोगिता में जिलास्तर पर विजेता छात्र-छात्रा खिलाड़ियों को जिस तरह मेडल और ट्राफी बांटने में बेक़दरी झेलनी पड़ी। उससे कोई सबक नहीं लिया गया। जिलास्तर पर विजेता होने के बावजूद नियमों के फेर में काफी खिलाड़ियों का स्टेट स्तर पर खेलने के लिए चयन ही नहीं हुआ है, जिनका चयन हुआ उनके लिए गजानंद मोदी सी.सै. स्कूल नीमकाथाना में 3 दिन का आवासीय ट्रेनिंग कैंप कहने को शनिवार से शुरू हुआ।

जिलास्तरीय प्रतियोगिता और ट्रेनिंग का संयोजक गजानंद मोदी सी.सै. स्कूल है। इसी स्कूल में ट्रेनिंग कैंप चल रहा है। स्टेट टीम में खेलनेवाली बालिकाओं ने बताया कि जब ट्रेनिग के लिए पहले दिन शनिवार को स्कूल आए तो शारीरिक शिक्षकों ने कहा कि आज रात को सभी घर जाओ, यहां रुकने की व्यवस्था नही हैं। बालिकाओं ने कहा करीब 40 से 50 किलोमीटर तक रात को घर कैसे जाएंगी। इसलिए कुछ बालिकाएं तो नीमकाथाना में रिश्तेदारों के पास रुकी तो किसी को धर्मशाला में रुकना पड़ा।

जिस कमरे में प्लेयर्स को रोका गया उसकी हालत काफी खराब है। खिड़कियां टूटी हुई हैं और बिस्तर की भी सही व्यवस्था नहीं है।
जिस कमरे में प्लेयर्स को रोका गया उसकी हालत काफी खराब है। खिड़कियां टूटी हुई हैं और बिस्तर की भी सही व्यवस्था नहीं है।

महरौली से आई छात्रा खिलाड़ी मोना यादव और अन्य खिलाड़ियों ने बताया कि स्टेट टीम की ट्रेनिंग के लिए गजानंद सीनियर सेकंडरी स्कूल में 3 दिन की ट्रेनिंग चल रही है। शनिवार को जब विद्यालय में आए और ट्रेनिंग शुरू की। उसके बाद शारीरिक शिक्षकों ने कहा कि रात को रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है। सभी बालिकाएं अपने-अपने घर चली जाएं।

बालिकाओं ने कहा कि इस समय घर जाने में करीब दो से ढाई घंटे लगते हैं और 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर घर है, लेकिन सभी बालिकाएं स्कूल से चली गई। रविवार को बालिकाएं ट्रेनिंग के लिए आई तो उनसे कहा गया कि रात को रुकने के लिए स्कूल में व्यवस्था कर ली गई है।

जब बालिकाओं ने उन दोनों कमरों में जाकर देखा तो कमरों की हालत बदतर थी। बालिका अश्मिता ने बताया कि कमरों के अंदर की कुंडी भी नहीं थी। दोनों कमरों की खिड़कियां टूटी हुई थी। गर्ल्स के शौचायल तक बदहाल हालात में पड़े हुए थे। बालिकाओं ने बताया कि इन जर्जर कमरों में रात को कैसे रुक सकते हैं।

खेल प्रभारी मीरा खर्रा ने बताया कि प्रतियोगिता संयोजक और फिजिकल टीचर्स को व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। यह उनका काम है बेटियों की सुरक्षा में कोताही नहीं बरती जाएगी। व्यवस्थाओं में जो भी कमी मिली, उन्हें दूर कर दिया गया है। कई छात्र-छात्राओं का आनलाइन डाक्यूमेंटेशन नहीं हो पा रहा था। इसलिए उन्हें भेजा गया था।

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