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फेसबुक और एक्स पर अश्लील पोस्ट लाइक करना अपराध है या नहीं? पढ़ें हाईकोर्ट की टिप्पणी


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फेसबुक और एक्स पर अश्लील पोस्ट लाइक करना अपराध है या नहीं? पढ़ें हाईकोर्ट की टिप्पणी

Allahabad High Court said Liking Obscene Post Not Offence: अदालत ने ये टिप्पणियां उस मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं। जिसमें एक व्यक्ति (याचिकाकर्ता) पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था।

Allahabad High Court said Liking Obscene Post Not Offence: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि फेसबुक या एक्स पर अश्लील पोस्ट लाइक करना कोई अपराध नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ऐसे पोस्ट शेयर करना या रीट्वीट करना अपराध है। अदालत ने कहा कि केवल फेसबुक या एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर किसी अश्लील पोस्ट को लाइक करना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी अधिनियम) की धारा 67 के तहत अपराध नहीं होगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि अश्लील पोस्ट साझा करना या रीट्वीट करना आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत प्रसारण माना जाएगा। अदालत ने ये टिप्पणियां उस मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं। जिसमें एक व्यक्ति (याचिकाकर्ता) पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने ये टिप्पणी तब की जब उन्होंने आगरा के मोहम्मद इमरान काजी के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया, जिस पर गैरकानूनी सभा से संबंधित पोस्ट को लाइक करने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 67 और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाया गया था.

उन्होने कहा, “हमें ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली जो आवेदक को किसी आपत्तिजनक पोस्ट से जोड़ सके क्योंकि आवेदक के फेसबुक और व्हाट्सएप अकाउंट में कोई आपत्तिजनक पोस्ट उपलब्ध नहीं है. इसलिए, आवेदक के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है.”

न्यायमूर्ति देशवाल ने स्पष्ट किया, ”यह आरोप लगाया गया है कि केस डायरी में ऐसी सामग्री है जो दर्शाती है कि आवेदक ने गैरकानूनी सभा के लिए फरहान उस्मान की पोस्ट को लाइक किया है. लेकिन किसी पोस्ट को लाइक करने का मतलब पोस्ट को प्रकाशित या प्रसारित करना नहीं होगा इसलिए, केवल किसी पोस्ट को लाइक करने पर धारा 67 आईटी अधिनियम लागू नहीं होगा.”

अदालत ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आईटी अधिनियम की धारा 67 अश्लील सामग्री से संबंधित है, न कि उत्तेजक सामग्री से. काज़मी को सोशल मीडिया पर उत्तेजक संदेशों को लाइक करने के लिए एक आपराधिक मामले का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप मुस्लिम समुदाय के लगभग 600-700 लोगों ने बिना अनुमति के जुलूस निकाला. आगरा में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने आरोप पत्र पर ध्यान दिया और 30 जून को उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.

सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का आरोप

बता दें कि न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, धारा 67 सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) के तहत दर्ज मामले और गैर-जमानती वारंट को रद्द करने के लिए दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में आवेदक के खिलाफ आरोप यह था कि उसने सोशल मीडिया पर कुछ उत्तेजक संदेश पोस्ट किए, जिसके परिणामस्वरूप मुस्लिम समुदाय से संबंधित लगभग 600-700 लोगों ने बिना अनुमति के जुलूस की व्यवस्था की, जिससे उल्लंघन का गंभीर खतरा पैदा हो गया।

अश्लील पोस्ट लाइक करना अपराध नहीं

हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुआ कहा कि अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करना अपराध है। किसी पोस्ट या संदेश को तब प्रकाशित कहा जा सकता है जब उसे पोस्ट किया जाता है, और किसी पोस्ट या संदेश को प्रसारित तब कहा जा सकता है जब उसे साझा किया जाता है या रीट्वीट किया जाता है। इसके अलावा, पीठ ने कहा कि केस डायरी में ऐसी सामग्री है जो दर्शाती है कि आवेदक ने गैरकानूनी सभा के लिए फरहान उस्मान की पोस्ट को पसंद किया है, लेकिन किसी पोस्ट को पसंद करने का मतलब पोस्ट को प्रकाशित या प्रसारित करना नहीं होगा, इसलिए, केवल लाइक करना है किसी पोस्ट पर आईटी धारा 67 लागू नहीं होगी।

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