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BJP के कैंडिडेट्स के खिलाफ अपनों की ही नारेबाजी:7 में से 6 सांसदों के खिलाफ मोर्चे खुले; राठौड़ परेशानी में, बैंसला का भी विरोध


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BJP के कैंडिडेट्स के खिलाफ अपनों की ही नारेबाजी:7 में से 6 सांसदों के खिलाफ मोर्चे खुले; राठौड़ परेशानी में, बैंसला का भी विरोध

BJP के कैंडिडेट्स के खिलाफ अपनों की ही नारेबाजी:7 में से 6 सांसदों के खिलाफ मोर्चे खुले; राठौड़ परेशानी में, बैंसला का भी विरोध

भाजपा से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे 6 सांसदों के सामने टिकट मिलते ही मुश्किल खड़ी हो गई है। इन्हें कांग्रेस या अन्य दल के प्रत्याशी पहले अपनी ही पार्टी के लोगों में उभर रहे विरोध और बगावत से पार पाना होगा।। इनमें बड़ा नाम सवाई माधेपुर से डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, तिजारा से बाबा बालकनाथ, किशनगढ़ से भागीरथ चौधरी, देवजी पटेल शामिल है, जो फिलहाल अपनों से ही घिरे रहे हैं।

मंगलवार को बीजेपी मुख्यालय पर राज्यवर्धन गो बैक और विजय बैंसला के लिए बाहरी भगाओ, देवली-उनियारा बचाओ के नारे लगे। वहीं, किशनगढ़ में भी पूर्व प्रत्याशी रहे डॉ. विकास चौधरी के घर के बाहर मंगलवार को सभा हुई। इस सभा में डाॅ. चौधरी रो पड़े। उन्होंने ये तक आरोप लगाए है कि सांसद ने टिकट खरीदा है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि दीयाकुमारी को छोड़कर 7 में से 6 सांसदों का असल इम्तिहान है। उधर, श्रीगंगानर, बांदीकुई, झुंझुनूं, कोटपूतली, बानसूर, सुजानगढ़ समेत 10 सीटों पर ऐसे प्रत्याशी हैं जिन्होंने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। अब पार्टी का निचले स्तर के संगठन और कार्यकर्तओं के समक्ष इनके लिए मांगने का टास्क है।

झोटवाड़ा राज्यवर्धन के संसदीय क्षेत्र में लेकिन चुनावी स्थिति अलग

भाजपा ने झोटवाड़ा सीट से कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को टिकट दिया है। यह विधानसभा क्षेत्र उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में आता है। इस सीट से भले ही राज्यवर्धन ने लोकसभा चुनाव में अच्छे वोट हासिल किए लेकिन विधानसभा चुनाव में हालात अलग हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यह सीट हारी थी। कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने हराया था और उनका वोट शेयर 49 प्रतिशत था। भाजपा प्रत्याशी राज्यपाल का वोट शेयर करीब 45 था।

लालचंद कटारिया यूपीए-2 में जयपुर ग्रामीण सांसद और बाद में मंत्री बने थे। हालांकि 2008 में राजपाल ने लालचंद कटारिया को हराया था और 2013 में राजपाल ने लालचंद परिवार की रेखा कटारिया को हराया था। इस सीट से राजपाल टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों ने भी पार्टी में खुलकर मोर्चा खोल दिया है।

देवली-उनियारा में मिल रही है कड़ी चुनौती

विजय बैंसला को देवली-उनियारा से कड़ी चुनौती मिल सकती है। उन्हें बाहरी बताकर विरोध शुरू हो गया है। इस सीट से हरीश मीणा विधायक है।, जिन्होंने 2018 में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर को 21476 वोेटों से हराया था। हालांकि 2013 में यह सीट भाजपा के खाते में थी।

दो चुनावों में डोटासरा का वोट ग्राफ बढ़ा

भाजपा में वापसी करने वाले सुभाष महरिया को सीकर के लक्ष्मणगढ़ से उतारा है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा यहीं से लड़ेंगे। डोटासरा 2018 में 22 हजार से ज्यादा मतों से जीते थे। जबकि 2013 में भाजपा की लहर में डोटासरा 10773 वोटों से जीते थे।

शाह के खिलाफ बोलने वाले उम्मीदवार सुर्खियों में

सहाड़ा से भाजपा प्रत्याशी लादूलाल पीतलिया के सामने कौन लड़ेगा, यह तय नहीं है। हालांकि उपचुनाव में उन्होंने जो विरोध किया, वह याद दिलाया जा रहा है। उन्होंने अमित शाह के नाम से धमकाने का आरोप लगाया था और कांग्रेस सरकार ने तो पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई थी। ये बातें अब पार्टी के अंदर और विधानसभा क्षेत्र में मुद्दा बन रही हैं।

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