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फर्जी महिला थानेदार बनकर 2 साल पुलिस सेंटर में ट्रेनिंग:अफसरों के साथ टेनिस खेलती, मंदिरों में वीआईपी ट्रीटमेंट, थानेदारों को धमकाया तो खुला राज


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फर्जी महिला थानेदार बनकर 2 साल पुलिस सेंटर में ट्रेनिंग:अफसरों के साथ टेनिस खेलती, मंदिरों में वीआईपी ट्रीटमेंट, थानेदारों को धमकाया तो खुला राज

फर्जी महिला थानेदार बनकर 2 साल पुलिस सेंटर में ट्रेनिंग:अफसरों के साथ टेनिस खेलती, मंदिरों में वीआईपी ट्रीटमेंट, थानेदारों को धमकाया तो खुला राज

जयपुर : ऊपर तस्वीर में पुलिस की वर्दी में नजर आ रही महिला का नाम मोना बुगालिया है। मोना ने बिना भर्ती परीक्षा पास किए 2 साल पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग तक ले ली। एडीजी के साथ टेनिस खेलती। पूर्व डीजीपी के बेटी की शादी में शरीक हुई। मंदिरों में वर्दी की धौंस दिखाकर वीआईपी दर्शन किए। सब-इंस्पेक्टरों के वॉट्सऐप ग्रुप में एक टॉपिक पर बहस के दौरान सब-इंस्पेक्टर को धमकाने से मोना के फर्जीवाड़े का खुलासा हाे गया। अब आरपीए ने मोना के खिलाफ शास्त्री नगर थाने में मामला दर्ज कर किया।

पढ़िए कैसे बिना भर्ती परीक्षा पास गए मोना पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी में दाखिल हो गई…

मोना पुलिस की वर्दी में सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियोज शेयर करती थी।
मोना पुलिस की वर्दी में सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियोज शेयर करती थी।

पहले गांव में खुद के सब-इंस्पेक्टर में सिलेक्शन की खबर फैलाई

नागौर जिले के निम्बा के बास में रहने वाली मोना बुगालिया सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी। मोना के पिता खेती करते थे और बाद में ट्रक ड्राइवर बन गए।

सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में मोना का चयन नहीं हो पाया था। तीन साल पहले जब अंतिम रिजल्ट आया तो मोना ने सोशल मीडिया पर खुद के सब-इंस्पेक्टर में चयनित होने की खबर फैलाई।

रिश्तेदारों और गांव के लोगों ने सिलेक्शन पर बधाई दी। मोना हर किसी को अपने संघर्ष की कहानी बताने लगी कि कैसे परिवार की आर्थिक हालात कमजोर होने के बावजूद उसने संघर्ष से मुकाम हासिल किया।

आरपीए में दो अलग-अलग के ट्रेनिंग के कन्फ्यूजन का फायदा उठाकर एंट्री ली

  • बैच 48 की ट्रेनिंग : राजस्थान पुलिस एकेडमी(आरपीए) में चयनित सब-इंस्पेक्टर के बैच 48 की ट्रेनिंग 9 जुलाई 2021 से शुरू हुई थी। इनकी पहले 52 सप्ताह की बेसिक ट्रेनिंग और फिर फील्ड ट्रेनिंग होती है। फील्ड में ट्रेनिंग के बाद सब-इंस्पेक्टर का आरपीए में वापस सैंडविच बैच में टेस्ट होता है। बैच 48 की बेसिक ट्रेनिंग 9 जुलाई 2021 से 4 सितंबर 2022 तक हुई थी। इसके बाद 5 सितंबर 2022 से 10 सितंबर 2023 तक फील्ड ट्रेनिंग हुई थी।
  • स्पोट्‌र्स कोटा : इसके साथ ही स्पोट‌्‌र्स कोटे से चयनित सब-इंस्पेक्टर के बैच की ट्रेनिंग फरवरी 2021 से शुरू हुई थी। स्पोट्‌र्स कोटे में बैच 51 में 63 सब-इंस्पेक्टर 17 अप्रैल 2023 से 26 जुलाई तक ट्रेनिंग कर रहे थे। इससे पहले 8 सब-इंस्पेक्टर 6 डिप्टी एसपी ने फरवरी 2021 से मई 2021 में ट्रेनिंग की थी।
  • दोनों जगह ट्रेनिंग ली : दोनों बैच राजस्थान पुलिस एकेडमी(आरपीए) में ट्रेनिंग कर रहे थे। आरपीए में दोनों बैच कुल 207 कैंडिडेट्स सब-इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग हुई थी। मोना ने स्पोर्ट्स कोटे के सब-इंस्पेक्टर के साथ भी ट्रेनिंग की थी।
  • दोनों जगह झूठ बोलती : सब-इंस्पेक्टर के साथ ट्रेनिंग कर रहे एक कैंडिडेट ने नाम न बताने की शर्त बताया कि मोना को जब बैच 48 के कैंडिडेट्स पूछते की तो वो खुद को स्पोट्‌र्स कोटे से बताती और स्पोर्ट्स कोटे वाले पूछते तो खुद को बैच 48 की सब-इंस्पेक्टर बताती।
मोना दो साल फर्जी तरीके से पुलिस सेंटर में ट्रेनिंग लेती रही, लेकिन न ही किसी अधिकारी न ही साथी सब-इंस्पेक्टरों को उस पर शक हुआ।
मोना दो साल फर्जी तरीके से पुलिस सेंटर में ट्रेनिंग लेती रही, लेकिन न ही किसी अधिकारी न ही साथी सब-इंस्पेक्टरों को उस पर शक हुआ।

खुद को आईबी की सब-इंस्पेक्टर भी बताती थी

मोना बुगालिया को पता लग गया था कि आरपीए में कई बैच के सब-इंस्पेक्टर ट्रेनिंग कर रहे थे। वो इस कंन्फयूजन का फायदा उठाने लग गई। आरपीए में आईबी के कैंडिडेट्स भी ट्रेनिंग करने आते थे। एक बार स्पोट्‌र्स कोटे सब-इंस्पेक्टर ने मोना से पूछा कि तुम कौनसे बैच से हो? मोना को पता था कि उस कैंडिडेट की बैच 48 में भी जान पहचान है। ऐसे में उसने खुद को आईबी की केंडिडेट बताया। मोना आरपीए ट्रेनिंग सेंटर में अलग-अलग बैच के कैंडिडेट्स के ट्रेनिंग करने के कन्फ्यूजन का फायदा उठाकर ट्रेनिंग करती रही।

अब समझिए फर्जी सब-इंस्पेक्टर बनने से मोना को क्या नाजायज फायदा मिला…

मोना की फर्जी सोशल मीडिया इमेज से प्रभावित होकर कई कोचिंग संचालक भी उसे मोटिवेशन स्पीच के लिए बुलाने लगे।
मोना की फर्जी सोशल मीडिया इमेज से प्रभावित होकर कई कोचिंग संचालक भी उसे मोटिवेशन स्पीच के लिए बुलाने लगे।

कोचिंग सेंटर वाले मोटिवेशन स्पीच के लिए बुलाने लगे

मोना अधिकतर जगहों पर थानेदार की वर्दी पहनकर जाती थी। अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी वर्दी पहने फोटो और वीडियो अपलोड करती थी। इससे प्रभावित होकर कई कोचिंग सेंटर संचालक मोना को स्टूडेंट्स को मोटिवेशन स्पीच देने के लिए बुलाने लगे।

वहां मोना स्टूडेंट्स को बताती कि उसके माता- पिता अनपढ़ है। पिता पहले खेती करते थे, फिर ट्रक ड्राइवर बन गए। उसके पिता ने उसे पढ़ाई छोड़ने के लिए कह दिया था। उसने हार नहीं मानी और उसकी बड़ी बहन ने 300 रुपए उधार लेकर 9वीं कक्षा में निमोद के सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाया। मोना बताती कि मैं रोज 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाती और 10वीं तक की पढ़ाई की।

उस समय पिता के साथ ट्रक के धंधे में धोखा हुआ तो आगे की पढ़ाई मुश्किल लगने लगी। फिर भी कुचामन के टैगोर स्कूल से 11वीं एवं 12वीं कक्षा रोजाना अप डाउन करके पास की। 2 महीने तक नरेगा में मेट का कार्य किया। जयपुर में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी करते समय एक हॉस्टल में नाइट ड्यूटी की और ट्यूशन पढ़ाकर खर्चा चलाती थी।

मोना की ऐसी संघर्ष की कहानी सुनकर स्टूडेंट्स प्रभावित हाे जाते और तालियां बजाकर उसका स्वागत करते थे।

मोना की पहचान कई बड़े अधिकारियों से हो गई थी। एडीजी रैंक अधिकारियों के साथ टेनिस खेलती थी।
मोना की पहचान कई बड़े अधिकारियों से हो गई थी। एडीजी रैंक अधिकारियों के साथ टेनिस खेलती थी।

एडीजी के साथ टेनिस खेलती, पूर्व डीजीपी के बेटी की शादी में गई

मोना ने सब-इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग के दौरान कई पुलिस अधिकारियों से जान पहचान बना ली। मोना एडीजी रैंक अधिकारियों के साथ टेनिस खेलती थी। पिछले साल हुई पूर्व डीजीपी एमएल लाठर की बेटी की शादी में शामिल हुई।

डीजी और एडीजी रैंक के अधिकारियों के समारोह में जाने से मोना की कई बड़े अधिकारियों से जान पहचान भी होने लग गई थी। मोना इन अधिकारियों के साथ फोटो खींचवाकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करती थी।

मोना पिछले साल हुई पूर्व डीजीपी एमएल लाठर की बेटी की शादी में शामिल हुई थी।
मोना पिछले साल हुई पूर्व डीजीपी एमएल लाठर की बेटी की शादी में शामिल हुई थी।

ट्रेनिंग सेंटर में कई महिला सब-इंस्पेक्टर को अपना दोस्त बनाया

ट्रेनिंग सेंटर में जाने के बाद मोना का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि उसकी अब कई महिला सब-इंस्पेक्टर दोस्त बन गई थीं। ट्रेनिंग के बाद वो उनके साथ मार्केट में घूमने जाती और शॉपिंग करती थी। इसे उसने कई सब-इंस्पेक्टर से गहरी दोस्ती कर ली थी।

वीआईपी बनकर मंदिरों में दर्शन करती

मोना के साथ ट्रेनिंग करने वाले सब-इंस्पेक्टर को फील्ड ट्रेनिंग के लिए अलग-अलग थानों में भेजा गया था। मोना इन सबके संपर्क में थी। मोना इन सब-इंस्पेक्टर के थाना क्षेत्रों के फेमस मंदिर में घूमने जाती थी। इससे मोना को वहां वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता था।

मोना जनवरी माह में नागौर के खरनाल में स्थित तेजाजी के मंदिर में वर्दी पहनकर गई थी। मोना को हर कोई थानेदार समझकर वीआईपी ट्रीट कर रहा था। मोना ने मंदिर में दर्शन किए और कई लोगों के साथ फोटो खींचवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किए।

मोना वर्दी की धौंस दिखाकर मंदिरों में भी वीआईपी ट्रीटमेंट लेती थी।
मोना वर्दी की धौंस दिखाकर मंदिरों में भी वीआईपी ट्रीटमेंट लेती थी।

गांवों में 26 जनवरी और 15 अगस्त के समारोह में गेस्ट बनती

मोना ने दो साल तक पुलिस की वर्दी का हर जगह फायदा उठाया। सोशल मीडिया पर मोना के ट्रेनिंग और पुलिस अधिकारियों के साथ फोटो देखकर हर किसी को यकीन हो गया कि वो सब-इंस्पेक्टर बन गई है।

नागौर जिले में भी मोना के गांव के आस-पास के गांवों में अब कोई भी बड़ा कार्यक्रम होता था तो मोना को गेस्ट के तौर पर बुलाया जाता था। 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रम में भी मोना गेस्ट बनकर जाती थी।

अधिकारी क्यों नहीं पकड़ पाए फर्जीवाड़ा….

1.इंडोर क्लास अटेंड नहीं करती थी मोना

मोना का मकसद आरपीए में घूमकर सब-इंस्पेक्टर और पुलिस अधिकारियों से जान पहचान और दोस्ती करने का था, ताकि वो अपने काम निकलवा सके।

मोना सब-इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग के दौरान इंडोर एक्टिविटी में पार्टिसिपेट नहीं करती थी। उसे पता था वहां जाते ही उसकी पोल खुल जाएगी।

इंडोर एक्टिविटी में कैंडिडेट्स की क्लास लगती थी। यहां उनकी रजिस्टर में अटेंडेंस होती थी। इन रजिस्टर में मोना का नाम नहीं था।

मोना ट्रेनिंग सेंटर में अधिकांश समय कैंटीन, स्वीमिंग पूल एरिया में ही बिताती थी।
मोना ट्रेनिंग सेंटर में अधिकांश समय कैंटीन, स्वीमिंग पूल एरिया में ही बिताती थी।

2. कैंटीन, स्विमिंग पूल में मिलती थी सब-इंस्पेक्टर से

मोना अधिकतर समय कैंटीन, स्विमिंग पूल और वहां बने फैमिली क्वाटर्स में जाती थी। मोना पुलिस की यूनिफॉर्म पहनकर आरपीए कैंटीन में जाती थी।

वहां वो नए कैंडिडेट से बात करके उनसे जान पहचान बनाती और खुद को अलग-अलग बेच की कैंडिडेट की बताकर दोस्ती करती थी।

इसके अलावा उसने फैमिली क्वाटर्स में रहने वाली महिला पुलिस अधिकारियों को अपना दोस्त बना लिया। उनसे मिलने जाती और उनके साथ अधिकतर समय बिताती थी।

3.क्वार्टर वाले गेट से एंटर होती थी मोना

आरपीए में प्रवेश करने के दो गेट है। एक मेन गेट है, जहां से प्रवेश करते समय गाड़ी के नंबर और आईडी की एंट्री होती थी। दूसरे रास्ता आरपीए में बने फैमिली क्वार्टर से प्रवेश करने का था। यहां से कोई भी आरपीए में प्रवेश कर सकता था। मोना यहीं से आरपीए में प्रवेश करती थी।

आरपीए में घुसने के लिए दो यूनिफॉर्म बनवाई

आरपीए में ट्रेनिंग के दौरान दो यूनिफॉर्म पहनी होती थी। इंडोर के लिए सब-इंस्पेक्टर को पुलिस की यूनिफॉर्म पहनी होती थी। वहीं आउटडोर के लिए सब इंस्पेक्टर को वाइट ड्रेस पहनी होती थी। मोना ने यह दोनाें यूनिफॉर्म बना रखी थी।

मोना ने 2 साल के दौरान कई महिला पुलिस अधिकारियों से दोस्ती कर ली थी।
मोना ने 2 साल के दौरान कई महिला पुलिस अधिकारियों से दोस्ती कर ली थी।

आखिर कैसे खुला मोना का राज…

आखिरी कोर्स के लिए वापस आई थी आरपीए

आरपीए में चयनित सब-इंस्पेक्टर की तीन चरणों में ट्रेनिंग होती है। पहली बेसिक, फिर फील्ड और आखिर में सैंडविच कोर्स है। सब-इंस्पेक्टर बेच की बेसिक ट्रेनिंग जुलाई 2021 से सितंबर 2022 तक हो गई थी। इसके बाद 10 सितंबर को इनकी फील्ड ट्रेनिंग हो गई थी।

फील्ड ट्रेनिंग के बाद सभी सब-इंस्पेक्टर 11 से 23 सितंबर तक सैंडविच कोर्स की ट्रेनिंग के लिए वापस आरपीए आए थे। इसके बाद सभी सब-इंस्पेक्टर को अब जॉइनिंग मिलने वाली थी। मोना भी सैंडविच कोर्स की ट्रेनिंग के लिए वापस आरपीए आई थी।

सब-इंस्पेक्टर को धमकी दी- तुम्हें सुबह तक ट्रेनिंग सेंटर निकलवा दूंगी

आरपीए में ट्रेनिंग कर रहे बैच 48 के सब-इंस्पेक्टर ने वॉट्सऐप पर (48 SI)गपशप नाम से ग्रुप बना रखा था। इस ग्रुप पर करीब चार दिन पहले किसी टॉपिक पर सब-इंस्पेक्टर के बीच डिसक्शन चल रहा था।

इस दौरान मोना की एक दूसरे सब-इंस्पेक्टर से बहस हो गई। मोना ने सब-इंस्पेक्टर और उसके साथियों को बहस के बाद वॉट्सऐप पर धमकी दी कि उन्हें वो आरपीए ट्रेनिंग सेंटर से बाहर निकलवा देगी।

सब-इंस्पेक्टर से कहा कि अभी तुम्हारी नौकरी चालू हुई है। तुम जिस दिन बड़े अधिकारी के लपेटे में आए हवा निकल जाएगी। अब तुम्हें यहां से निकलोगे, सुबह तक तुम्हे पता लग जाएगा।

सोशल मीडिया पर आरोपी लगातार पोस्ट करती रहती थी। इसमें से अधिकतर पोस्ट वर्दी में होते थे।
सोशल मीडिया पर आरोपी लगातार पोस्ट करती रहती थी। इसमें से अधिकतर पोस्ट वर्दी में होते थे।

बहस के बाद सब-इंस्पेक्टर ने शुरू की जांच

वॉट्सऐप ग्रुप में बहस हुई तो उस सब-इंस्पेक्टर ने मोना की जांच शुरू की। सब-इंस्पेक्टर सभी बैच के कैंडिडेट्स की लिस्ट ली और उनमें मोना का नाम ढूंढने लगे। मोना का नाम किसी भी बैच में नहीं था।

इस सब-इंस्पेक्टर को यकीन हो गया कि मोना कुछ छिपा रही है। उसने आरपीए के अधिकारियों से मोना की शिकायत की। शिकायत के बाद जांच हुई तो मोना के फर्जी सब इंसपेक्टर बनकर ट्रेनिंग करने के राज का खुलासा हो गया।

शास्त्रीनगर थाने में मोना के खिलाफ मामला दर्ज हुआ

राजस्थान पुलिस अकादमी (RPA)में मोना बुगालिया के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद आरपीए के संचित निरीक्षक (प्रशासन) रमेश सिंह मीणा ने 29 सितंबर को शास्त्री नगर थाने में मोना बुगालिया के खिलाफ मामला दर्ज करवाया।

मोना के खिलाफ 11 सितंबर से 23 सितंबर तक सैंडविच कोर्स में फर्जी सब-इंस्पेक्टर बनकर ट्रेनिंग करने पर आईपीसी धारा 419, 468, 469 व 66DIT ACT और धारा 61 राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 के तहत मामला दर्ज हुआ है।

फर्जी महिला थानेदार मोना के खिलाफ 28 सितंबर को मामला दर्ज हुआ, लेकिन अब तक वो पुलिस की गिरफ्त से दूर है।

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं कि एक लड़की कैसे बिना डरे इतना सब करती रही।
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं कि एक लड़की कैसे बिना डरे इतना सब करती रही।

नियम : दो साल में चार फेज की ट्रेनिंग करके बनते हैं सब-इंस्पेक्टर

सब-इंस्पेक्टर भर्ती में परीक्षा में चयनित कैंडिडेट की आरपीए में ट्रेनिंग होती है। आरपीए में यह ट्रेनिंग दो साल तक चार फेज में होती है। ट्रेनिंग के दौरान सब-इंस्पेक्टर को हर महीने 23 हजार 500 रुपए सैलरी मिलती है।

फाउंडेशन और बेसिक ट्रेनिंग : पहले फेज में फाउंडेशन ट्रेनिंग 12 वीक की होती है। इसके बाद बेसिक ट्रेनिंग 40 वीक की होती है। दोनों ट्रेनिंग मिलाकर 52 वीक की होती है।

इन दोनों ट्रेनिंग में इंडोर और आउटडोर एक्टिविटी होती है। इंडोर में क्लास लगती है। जहां पुलिस की कार्यप्रणाली और कानून संबंधी पढ़ाई करवाई जाती है।

आउटडोर में फिजिकल एक्टिविटी होती है। इसमें परेड, पीटी जैसी एक्टिविटी होती है। बेसिक और फाउंडेशन ट्रेनिंग में बैच 48, 49, आईबीए और ढाई महीने के लिए स्पोर्ट्स कोटे के बैच 51के कैंडिडेट की ट्रेनिंग साथ हुई थी। स्पोर्ट्स कोटे के बैच की ट्रेनिंग मात्र ढाई महीने के लिए ही हुई थी।

फील्ड ट्रेनिंग, प्रोबेशनर टाइम : इसके बाद कैंडिडेट्स को फील्ड ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। इसे प्रोबेशनर टाइम ट्रेनिंग कहते है, इसमें कैंडिडेट को थानों और पुलिस विभाग के कार्यालयों में 1 साल तक काम करना होता है। यहां कैंडिडेट पुलिस की रियल वर्किंग को एक्सपीरियंस करते है।

सैंडविच कोर्स : फील्ड ट्रेनिंग होने के बाद कैंडिडेट्स को वापस आरपीए बुलाया जाता है। यहां उनकी आखिरी ट्रेनिंग के लिए सैंडविच कोर्स कराया जाता है। इसमें फिर से सभी बैच की एक साथ ट्रेनिंग होती है।

यहां उन्हें बेसिक और फील्ड ट्रेनिंग के बाद उन्होंने अब तक कितना सिखा उसका टेस्ट और एक्सपीरियंस की शेयरिंग की जाती है। कैंडिडेट्स के टेस्ट होते हैं और फील्ड ट्रेनिंग में उनके पॉजिटिव और चेलेंज क्या रहे है, उनको शेयर करते है।

सैंडविच कोर्स करीब 15 दिनों का होता है। इसके बाद कैंडिडेट्स की ट्रेनिंग पूरी हो जाती है और वे सब-इंस्पेक्टर बन जाते हैं। इसके बाद उन्हें पुलिस मुख्यालय से आईजी रेंज और कमिश्नरेट के अनुसार पोस्टिंग दी जाती है।

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