पुलवामा आतंकी हमले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होः सत्यपाल मलिक
इससे पहले अप्रैल में मलिक ने किये थे सनसनीखेज दावे
इससे पहले 14 अप्रैल को द वायर न्यूज पोर्टल को दिए एक साक्षात्कार में, भी सत्यपाल मलिक ने सनसनीखेज दावा किया था। उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल के रूप में, इस पर बोला तो प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा था, “तुम अभी चुप रहो। हालांकि अब तक न तो पीएमओ और न ही किसी अन्य सरकारी विंग ने उस साक्षात्कार में मलिक के दावों का जवाब दिया है। द टेलीग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट कहती है कि सत्यपाल मलिक के आरोपों के बाद, सीबीआई ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में एक कथित स्वास्थ्य बीमा घोटाले के संबंध में पूछताछ के लिए उन्हें समन जारी किया था।
मोदी सरकार जवाबदेही तय करने में विफल रही है
पुलवामा हमला 2019 के लोकसभा चुनाव से आठ हफ्ते पहले हुआ था। इसके बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में बुधवार को पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव के पहले 40 सीआरपीएफ जवानों की हुई हत्या और बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले का राजनीतिकरण किया था और यहां तक कि पहली बार मतदाताओं से अपना वोट बालाकोट में हवाई हमले को अंजाम देने वाले बहादुर सैनिकों को समर्पित करने के लिए कहा था।
हवाई परिवहन की अनुमति क्यों नहीं दी गई ?
द टेलीग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट बताती है कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा नरसंहार में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। अधिकारियों ने कहा था कि विस्फोट में जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी अब्दुल अहमद डार भी मारा गया था। डार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कई बार गिरफ्तार किया था लेकिन हर बार रिहा कर दिया गया था।
सूद ने कहा कि सीआरपीएफ के कारवां (78 वाहन) के आकार को देखते हुए पूरे मार्ग को सैनिटाइज क्यों नहीं किया गया? जम्मू-कश्मीर में अत्यधिक आक्रामक सुरक्षा निगरानी की मौजूदगी के बावजूद आरडीएक्स सहित 300 किलोग्राम से अधिक वजन वाले विस्फोटक देश के सबसे सुरक्षित राजमार्ग तक कैसे पहुंच गए? ये सवाल है जो कि बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि देश और लोगों को पीएम मोदी और उनकी सरकार से स्पष्ट जवाब मांगना चाहिए जिसकी जरूरत है। उन्हें पुलवामा में हुई चूक के लिए जवाबदेही तय करनी चाहिए। हम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करते हैं ताकि जनता को सच्चाई का पता चले।