पहले अफसरों की लड़ाई में अटकी 50 इलेक्ट्रिक बसें, अब वित्त विभाग का रोड़ा, तर्क-36 लाख रुपए का हर माह भार
पहले अफसरों की लड़ाई में अटकी 50 इलेक्ट्रिक बसें, अब वित्त विभाग का रोड़ा, तर्क-36 लाख रुपए का हर माह भार

जयपुर : अफसरों की लड़ाई के चलते रोडवेज के बेड़े में साढ़े चार साल बाद भी इलेक्ट्रिक बसें शामिल नहीं हो पाईं। 3 साल पहले रोडवेज अधिकारी केंद्र सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक बसों के लिए लॉन्च की फेम योजना का लाभ नहीं उठा सके। केंद्र सरकार ने वापस से राज्यों में इलेक्ट्रिक बसों के लिए पीएम ई-बस सेवा योजना शुरू की तो इसका लेने से वित्त विभाग ने इनकार कर दिया है।
रोडवेज अधिकारियों ने शुरुआत में 20 इलेक्ट्रिक बसें लेने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिसे वित्त विभाग ने नामंजूर कर दिया है। ऐसे में सरकार का जयपुर से दिल्ली में राजस्थान हाउस तक बसें चलाने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। इससे पहले अधिकारी फेम योजना के तहत 50 इलेक्ट्रिक बसें खरीद का टेंडर कर चुके, लेकिन तत्कालीन रोडवेज एमडी और चेयरमैन की लड़ाई में टेंडर कैंसिल हो चुका।
यह थी केंद्र की पीएम ई-बस सेवा योजना
इस योजना के तहत राज्य सरकार की अनुमति के बाद केंद्र सरकार की ओर से बसें ली जाएंगी। इसमें रोडवेज को बसों की संख्या और रूट तय कर बताने होंगे। बसों पर प्रति किमी आने वाले खर्च मेंं से राजस्व के बाद वायबिलिटी गैप के भुगतान की सीधे खाते से राशि जमा होने की अनुमति केंद्र सरकार को देनी है। अनुमति मिलने के वीजीएफ की राशि सीधी राशि खाता से कट जाएगी। इसे पेमेंट सिक्योरिटी मैनेजमेंट (आरएसएम) कहते हैं और सरकार को (डीडीएम) डायरेक्ट डेबिट मैनडेड की स्वीकृति जारी करनी है।
सरकार इस वजह से नहीं दे रही स्वीकृति
रोडवेज अधिकारियों के अनुसार इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर प्रति किमी 65 रुपए खर्चा आने की संभावना है, जबकि रोडवेज प्रशासन जिन मार्गों पर बसों का संचालन करना चाहती है, उन मार्गों पर 55 रुपए प्रति किमी का राजस्व आया रहा है। ऐसे में 10 रुपए प्रति किमी वीजीएफ देनी होगी। बस हर दिन 600 किमी चलती है तो एक बस पर 6 हजार रुपए प्रति बस वीजीएफ बनता है। 20 बसों की एक दिन की यह राशि 1 लाख 20 हजार रुपए और महीने की 36 लाख रुपए होती है।
नुकसान: ISBT पर उतरकर करते हैं ऑटाे
इलेक्ट्रिक बसें नहीं हाेने से लाेग दिल्ली में राजस्थान हाउस तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्हें दिल्ली में आईएसबीटी ही उतरना पड़ रहा है। यहां से ऑटाे-कार टैक्सी के माध्यम से अतिरिक्त राशि खर्च करके सिटी में जाना पड़ता है। इलेक्टिक बसें आने से पॉल्यूशन में कमी हाेगी। वर्तमान में राेडवेज के बेड़े में यूराे-4 और यूराे-6 की बसें चल रही हैं।
राेडवेज की 3800 बसाें में कर रहे हैं 7 लाख 50 हजार यात्री : राेडवेज के पास वर्तमान में ठेके सहित 3 हजार 700 बसें हैं। इसमें से 840 बसें ठेके पर ले रखी हैं। इन बसाें के माध्यम से हर दिन करीब 9 लाख यात्री सफर करते हैं। इन यात्रियों से रोडवेज काे 5 कराेड़ 50 लाख का राजस्व आ रहा है। बसें हर दिन 13 लाख किमी का सफर तय कर रही हैं।
केंद्र सरकार की योजना के तहत वित्त विभाग को 20 इलेक्ट्रिक बसों का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन मना हो गया। अब 20 इलेक्ट्रिक बसें ठेके पर लेंगे। इसके लिए टेंडर डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। -नथमल डीडेल, एमडी रोडवेज