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जयपुर : क्या मुस्लिम विधायकों को हिन्दू वोट खिसकने का डर?:समाज की महापंचायत में मंत्रियों तक ने बनाई दूरी, 200 विधानसभाओं में कांग्रेस के विरोध की तैयारी


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जयपुर : क्या मुस्लिम विधायकों को हिन्दू वोट खिसकने का डर?:समाज की महापंचायत में मंत्रियों तक ने बनाई दूरी, 200 विधानसभाओं में कांग्रेस के विरोध की तैयारी

क्या मुस्लिम विधायकों को हिन्दू वोट खिसकने का डर?:समाज की महापंचायत में मंत्रियों तक ने बनाई दूरी, 200 विधानसभाओं में कांग्रेस के विरोध की तैयारी

जयपुर : राजस्थान में पहली बार बुलाई गई मुस्लिम महापंचायत में समाज का एक भी विधायक-मंत्री का नहीं पहुंचना चर्चा का विषय बन गया है। इससे पहले जाट, ब्राह्मण, दलित, राजपूत समेत जितनी भी महापंचायतें हुईं, केंद्रीय मंत्री से लेकर देशभर के कद्दावर नेताओं ने हाजिरी लगाई।

इसी से नाराज होकर महापंचायत करवाने वाले मुस्लिम नेता अब कांग्रेस का 200 विधानसभा सीटों पर विरोध करेंगे। अब तक एकतरफा वोटिंग करते आए मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे? कितनी सीटों पर मुस्लिम वोटर हार-जीत तय करते हैं और भाजपा में इस बार टिकटों को लेकर क्या स्टैंड है?

पढ़िए- इस स्पेशल रिपोर्ट में…

मुस्लिम महापंचायत के संयुक्त संघर्ष मोर्चा के सह-संयोजक यूनुस चोपदार और पप्पू कुरैशी ने मीडिया को बताया कि मुस्लिम विधायक समाज के लीडर बनने के बजाए डीलर बने हुए हैं। ट्रेन में मारे गए मोहम्मद असगर के परिवार की मदद के लिए या नासिर व जुनैद के हत्यारों को पकड़वाने के लिए भी कोई विधायक आगे नहीं आया। हमने महापंचायत में राजस्थान के सभी विधायकों को बुलाया था, लेकिन कोई भी नहीं आया।

रविवार को जयपुर में हुई मुस्लिम महापंचायत में जुटे मुस्लिम समाज के लोग।

हजारों की संख्या में लोग जुटे थे मुस्लिम समाज को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलाने सहित बहुत से मुद्दों के लिए। किसी भी विधायक का नहीं आने का मतलब है उन्हें हमारी परवाह ही नहीं है। जब वोटों का समय आता है, तो कांग्रेस के लिए कार्यकर्ताओं की तरह मुस्लिम नौजवान काम करते हैं।

हमने तय किया है कि आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। पश्चिमी बंगाल, उत्तरप्रदेश, बिहार में कांग्रेस तब तक सत्ता में थी, जब तक मुस्लिम वोट मिलते थे। जब से मुस्लिमों ने दूसरी पार्टियों को वोट देना शुरू किया है, तब से कांग्रेस वहां सत्ता में नहीं आ पाई है, यही हाल अब राजस्थान में भी होगा।

इस पर कांग्रेस के राजस्थान अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेशाध्यक्ष आबिद कागजी का कहना है कि हमारी 25 विधानसभा सीटों पर दावेदारी है। पार्टी कितनी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देगी इसका फैसला तो आलाकमान के स्तर पर होगा।

क्या मुस्लिम विधायकों को हिन्दू वोट खिसकने का डर?

मीडिया ने किशनपोल विधायक अमीन कागजी से इस बारे में बात करनी चाही तो उन्होंने बाद में बात करने की बात कह कर विषय को टाल दिया। वहीं आदर्श नगर से विधायक रफीक खान ने भी बात नहीं की।

मुस्लिम विधायक जहां से भी जीतते हैं, वहां हिन्दू मतदाताओं की संख्या 75-85% तक रहती है। ऐसे में मुस्लिम महापंचायत में जाने पर उन पर केवल मुस्लिमों का विधायक होने का टैग लगने की आशंका रहती है। राजनीतिक टिप्पणीकार एवं हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सन्नी सेबेस्टियन का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले यह खतरा उठाना किसी भी मुस्लिम विधायक ने उचित नहीं समझा।

कांग्रेस के पक्ष में रहती है 85-95 प्रतिशत वोटिंग

लगभग 85-95 प्रतिशत मुस्लिम वोटर कांग्रेस के पक्ष में ही वोटिंग करते आए हैं। कांग्रेस भी मुस्लिमों को राजस्थान में अपना कोर वोटर मानती आई है। जबकि अन्य बड़े वोट बैंक दलित, जाट, ब्राह्मण, मीणा, राजपूत, गुर्जर कई अलग-अलग पार्टियों में बंटे हुए हैं।

ऐसे में अगर मुस्लिम नाराज हुए तो कांग्रेस को बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। राजस्थान में मुस्लिम समुदाय की आबादी लगभग 85-90 लाख मानी जाती है, जो कुल आबादी सात करोड़ 50 लाख (अनुमानित) की करीब 12-13 प्रतिशत है। इस बार यह संख्या बढ़कर 60 लाख मतदाता होने का अनुमान है।

मुस्लिम समाज की महापंचायत में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं पहुंचा।

राजस्थान की वो सीटें जहां मुस्लिम समुदाय पहले या दूसरे नंबर के वोटर्स

टोंक, मसूदा, कामां, नगर, तिजारा, मालपुरा, पोकरण, जैसलमेर, शिव, सीकर, नागौर, मकराना, फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, झुन्झुनूं, मंडावा, चूरू, सरदारपुरा, बीकानेर पूर्व, अजमेर उत्तर, मांडल, सिविल लाइंस, किशनपोल, हवामहल, आदर्शनगर, सवाईमाधोपुर, रामगढ़, तिजारा, कोटा उत्तर, डीडवाणा, धौलपुर आदि सीटों पर मुस्लिम पहले-दूसरे नंबर के सबसे बड़े मतदाता हैं। वर्तमान में इन्हीं में से 9 सीटों पर सालेह मोहम्मद, अमीन खां, जाहिदा खान, साफिया जुबेर, दानिश अबरार, वाजिब अली, हाकम अली खान, अमीन कागजी, रफीक खान कांग्रेस के टिकट पर जीते हुए विधायक हैं।

इन विधानसभा सीटों पर भी मजबूत वोटर

जयपुर शहर के बीचों-बीच स्थित किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर में से किन्हीं दो सीटों पर कांग्रेस मुस्लिम को ही टिकट देगी। इनमें ज्यादा संभावना यही है कि किशनपोल और आदर्श नगर सीटों से मौजूदा विधायकों अमीन कागजी और रफीक खान को ही उम्मीदवार बनाया जाए। जयपुर में लगभग पिछले चार-पांच विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही है।

इनके अलावा लाडपुरा, मकराना, रामगढ़, पोकरण, शिव, मसूदा, फतेहपुर, नगर, कामां, तिजारा, सवाईमाधोपुर, नागौर आदि सीटों पर भी कांग्रेस मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है। टोंक में 2018 में सचिन पायलट को टिकट देने से पहले कांग्रेस मुस्लिम उम्मीदवार को ही टिकट देती रही है।

इन लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का खास असर

टोंक-सवाईमाधोपुर, अजमेर, जयपुर, बाड़मेर-जैसलमेर, चूरू, सीकर, दौसा भीलवाड़ा, कोटा, नागौर, अलवर, झुन्झुनूं आदि लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता दूसरे-तीसरे नंबर पर आने वाले सबसे बड़े वर्गों में से एक हैं। प्रदेश की अन्य लोकसभा सीटों पर भी उनका खास प्रभाव रहता है।

वर्ष 2014 में टोंक-सवाईमाधोपुर सीट से कांग्रेस ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को लोकसभा का टिकट दिया था, जबकि अजहरुद्दीन मूलत: हैदराबाद के रहने वाले थे और वर्ष 2009 में उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से सांसद चुने गए थे।

कांग्रेस जयपुर से सईद गुडएज, अजमेर से हबीबुर्रहमान और चूरू से रफीक मंडेलिया, झुंझुनूं से अय्युब खां आदि भी को टिकट दे चुकी है।

राजस्थान में कई सीटों पर मुस्लिम मतादाता संख्याबल में दूसरे, तीसरे, चौथे नंबर पर आते हैं।

केवल एक ही मुस्लिम उम्मीदवार बीजेपी से बन सका है सांसद

राजस्थान से लोकसभा चुनावों में पिछले सात-आठ दशकों में केवल एक व्यक्ति अय्यूब खां सांसद बन सके हैं। उन्हें कांग्रेस ने नब्बे के दशक में झुन्झुनूं से दो बार उम्मीदवार बनाया था और वे दोनों बार चुनाव जीते थे। उनके अलावा कभी कोई मुस्लिम उम्मीदवार सांसद नहीं बन सका है।

भाजपा को कितना नुकसान?

भाजपा को मुस्लिमों की नाराजगी का ज्यादा नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा, क्योंकि भाजपा अपनी हिंदुत्व की नीति को ही पूरी प्रतिबद्धता से लागू करने वाली है। सूत्रों के अनुसार भाजपा अगले विधानसभा चुनावों में संभ‌वत: 200 में से किसी एक सीट पर भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं देगी। राजस्थान में भाजपा ने कभी भी सांसदों के चुनाव में किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है।

क्या पूर्व मंत्री यूनुस खान को भी मिल सकेगा टिकट?

भाजपा ने वर्ष 2008 में यूनुस खान, हबीबुर्रहमान अशरफी और सगीर अहमद को क्रमश: डीडवाना, नागौर और धौलपुर से टिकट दिया था। पहली बार तीन मुस्लिमों को बीजेपी ने टिकट दिया था। जिनमें से हबीबुर्रहमान और सगीर जीते थे लेकिन खान चुनाव हार गए थे। वर्ष 2003 में केवल यूनुस खान को टिकट दिया थे, वे जीते थे। वर्ष 2013 खान और हबीबुर्रहमान को टिकट दिया था और वे दोनों जीते थे। वर्ष 2018 में हबीबुर्रहमान का टिकट भाजपा ने काट दिया था। उसके बाद वे कांग्रेस में चले गए थे।

केवल यूनुस खान को ही भाजपा ने टिकट दिया था। यह 200 में से एक मात्र टिकट था, जो किसी मुस्लिम को मिला था। लेकिन उन्हें भी मूल सीट डीडवाना से करीब 300 किलोमीटर दूर टोंक से सचिन पायलट के सामने उतारा गया था। यहां वे चुनाव हार गए थे।

हाल ही भाजपा ने 2022 में उत्तर प्रदेश व गुजरात और 2023 में हुए कर्नाटक के चुनावों में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। अगर बीजेपी इसी नीति पर राजस्थान में चली तो 2003 और 2013 में कैबिनेट मंत्री रहे यूनुस खान का टिकट कट सकता है।

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हामिद मेवाती ने भास्कर को बताया कि भाजपा के साथ मुस्लिमों का विश्वास तेजी से बढ़ रहा है। पार्टी ने जो वादे किए हैं, अब तक उन्हें सदा पूरा किया है। मुस्लिमों को केवल वोट बैंक नहीं समझा है। अगले विधानसभा चुनावों में भी अगर कोई मुस्लिम उम्मीदवार टिकट लेना चाहे तो उसकी बात हम शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाएंगे और उनकी पैरवी भी करेंगे। लेकिन कांग्रेस ने जो धोखा मुस्लिमों के साथ किया उसी का परिणाम है कि रविवार को जयपुर में हुई मुस्लिम महापंचायत में कांग्रेस का कोई मुस्लिम विधायक नहीं पहुंचा। अब समाज के गुस्से को तो उन्हें चुनावों में झेलना ही पड़ेगा।

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