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बहाल हो सकती है राहुल की सांसदी: अधीर रंजन बोले- यह खुशी का दिन; गहलोत ने कहा- ये सत्य और न्याय की जीत


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बहाल हो सकती है राहुल की सांसदी: अधीर रंजन बोले- यह खुशी का दिन; गहलोत ने कहा- ये सत्य और न्याय की जीत

Relief to Rahul Gandhi From Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 'यह खुशी का दिन है...

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ‘यह खुशी का दिन है… ‘मैं आज ही लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखूंगा और बात करूंगा।” कांग्रेस नेता ने कहा, “संसद परिसर में हर जगह आपको ‘सत्यमेव जयते’ दिखेगा। राहुल गांधी के खिलाफ साजिश आज नाकाम हो गई है। राहुल गांधी की जीत मोदी जी पर भारी पड़ेगी।”

कांग्रेस नेता और राहुल गांधी की छोटी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने राहुल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, “सत्यमेव जयते”।

वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने लिखा, “सत्यमेव जयते माननीय सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी जी की सजा पर रोक का फैसला करके लोकतंत्र की आवाज़ को मजबूत किया है। INDIA की आवाज़ अब फिर संसद में गूंजेगी…जनता के अधिकारों की आवाज़ को मजबूत करने के लिए माननीय न्यायालय का आभार।”

दूसरी ओर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिलने पर कहा कि यह सच्चाई और न्याय की जीत है। गहलोत ने ट्वीट किया, “राहुल गांधी पर मानहानि के मुकदमे में सजा पर रोक का सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। यह सच्चाई एवं न्याय की जीत है।”

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश पर की ये टिप्पणी

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ। मोदी’ उपनाम टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।

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