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इतिहास का खजाना : साढ़े चार हजार साल पुरानी सभ्यता होने का अनुमान


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इतिहास का खजाना : साढ़े चार हजार साल पुरानी सभ्यता होने का अनुमान

झुंझुनूं में फिर जागी प्राचीन सभ्यता की सांसें,4 साल से चल रहा था सर्वे का काम, अक्टूबर में शुरू हुआ था उत्खनन

खेतड़ी : जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर बांसियाल गांव में इतिहास की धड़कनें फिर सुनाई दी हैं। यहां लगभग साढ़े चार हजार साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। उत्खनन में लाइम पाउडर से बनी दीवारें, तांबे की रिंग, हड्डी के औजार और आभूषण जैसी सामग्री सामने आई है, जो एक उन्नत जीवन का संकेत देती है। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थल ताम्र पाषाणिक संस्कृति से जुड़ा है। यहां के लोग हड़प्पा सभ्यता से व्यापार करते थे। इसके साथ ही गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के अन्य इलाकों से भी रिश्ते थे। प्रारंभिक अंतर-सांस्कृतिक संपर्कों का यह केंद्र गणेश्वर सभ्यता का हिस्सा माना जा रहा है, यह हड़प्पा सभ्यता के समय के आस-पास की मानी जा रही है। गौरतलब है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की अनुमति से दीर्घकालिक अनुसंधान परियोजना के तहत उत्खनन किया जा रहा है। यहां 4 साल से सर्वे का काम चल रहा था। सर्वे पूरा होने के बाद अक्टूबर में उत्खनन शुरू किया गया था।

कचरे को गडडे् में दबा कर रखते थे

बस्ती के निकट ही गोलाकार गडडे् में कचरे का निस्तारण करते थे। इन गड्डों में हड्डी और मिट्टी के बर्तनों के अवशेष मिले हैं। खास बात यह है कि यह लोग कचरा पात्र को भी ढककर रखते थे। उत्खनन में कार्नेलियन पत्थर से बने मनके मिले हैं। ऐसे मनके गुजरात में मिलते थे। इससे साफ है कि ये लोग गुजरात से व्यापार करते थे।

पहली बार घर के अवशेष भी मिले

शोधकर्ता डॉ. ईशा प्रसाद और डॉ. श्वेता सिन्हा देशपांडे ने बताया कि बांसियाल में पहली बार बस्ती के भीतर की संरचनाओं के साक्ष्य मिले हैं, जहां स्पष्टकुटी (झोपड़ी) की रूपरेखा और उससे जुड़ा प्लेटफॉर्म सामने आया है। यह खोज प्राचीन घरेलू वास्तुकला और बस्ती संगठन की नई समझ देती है। तांबे की वस्तुएं, कार्नेलियन-स्टीटाइट के मनके व लाल रंग वाले मृद्भांड (सेरेमिक) मिले हैं। मिट्टी के बर्तनों पर हैंडल भी मिले हैं।

उत्खनन में मिले बोन पॉइंट व टूल्स। इनका उपयोग कलाकृति बनाने व शिकार में किया जाता था।
खेतड़ी के बांसियाल गांव में उत्खनन में मिले मनके। यह मनके गले व अंगुली में आभूषण के रूप में पहनने के काम लिए जाते थे।
उत्खनन में मिले मिट्टी के बर्तन व हड्डी के अवशेष। माना जा रहा है कि उस समय के मानव मिट्टी के बर्तनों का भी उपयोग करते थे।
झुंझुनूं के बांसियाल गांव में उत्खनन में मिली एक घर की दीवार। यह लाइम पावडर व अन्य मिश्रण से बनाई हुई है।
खेतड़ी के बांसियाल गांव में उत्खनन में मिली एक घर की दीवार। यह लाइम पावडर व अन्य मिश्रण से बनाई हुई है।

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