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राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे:चिड़ावा में सामूहिक गायन हुआ, वक्ता बोले-यह गीत सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक


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राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे:चिड़ावा में सामूहिक गायन हुआ, वक्ता बोले-यह गीत सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक

राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे:चिड़ावा में सामूहिक गायन हुआ, वक्ता बोले-यह गीत सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक

चिड़ावा : चिड़ावा शहर के श्री विवेकानंद चौक स्थित राष्ट्र ध्वज स्थल पर राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया गया। इस अवसर पर प्रतिदिन होने वाले राष्ट्रगान और ध्वजारोहण की परम्परा के साथ सामूहिक रूप से राष्ट्रगीत भी गाया गया।

यह गीत जन-जन में राष्ट्रप्रेम की भावना भरता है- मनोज मान

श्री विवेकानंद मित्र परिषद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने राष्ट्रगीत के लंबे सफर और उसके महत्व पर विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता रोहिताश्व महला ने कहा कि राष्ट्रगीत केवल एक गीत नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। संरक्षक मनोज मान ने बताया कि यह गीत जन-जन में राष्ट्रप्रेम की भावना भरता है और इसे गाते हुए देशभक्ति का प्रवाह महसूस होता है। इस दौरान महेश शर्मा धन्ना ने सभी स्कूलों में राष्ट्रगीत से शुरुआत करने के फैसले की सराहना की। उन्होंने सभी सरकारी दफ्तरों में भी दिन की शुरुआत राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत से करने की मांग की।

ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में परिषद के अमर सिंह कोकचा, आचार्य पंडित मुकेश पुजारी, मयंक मंड्रेलिया, राजहंस शर्मा, सांवरमल जांगिड़, राजेंद्र शर्मा, किशन लाल शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, संदीप फतेहपुरिया, रमेश कोतवाल, सुभाष धाबाई, सुभाष मेघवाल, बुधराम वर्मा, राजेंद्र कोतवाल, महेंद्र वर्मा, सूर्यकांत दायमा, सुभाष पंवार, संजय डालमिया, सुरेश डालमिया, विनय, पवन टेलर लाला और मनोज सोनी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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