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गलत ऑपरेशन से गई आंख की रोशनी, उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल को ठहराया दोषी : आयोग ने कहा — आंख प्रकृति का अनमोल उपहार


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गलत ऑपरेशन से गई आंख की रोशनी, उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल को ठहराया दोषी : आयोग ने कहा — आंख प्रकृति का अनमोल उपहार

मउपभोक्ता आयोग ने माना चिकित्सकीय लापरवाही - अस्पताल और डॉक्टर पर 6.50 लाख का जुर्माना

जनमानस शेखावाटी संवाददाता :  रविन्द्र पारीक

नवलगढ़ : जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, झुंझुनूं ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में मरीज के पक्ष में निर्णय दिया है। आयोग ने नवलगढ़ स्थित सेठ आनंदराम जयपुरिया नेत्र हॉस्पिटल और चिकित्सक डॉ. ईसरत सदानी को संयुक्त रूप से मरीज को 6 लाख 50 हजार रुपये मुआवजा 45 दिन में अदा करने का आदेश दिया है।यह फैसला आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार मील और सदस्य प्रमेंद्र कुमार सैनी की बेंच ने सुनाया।

आयोग ने नवलगढ़ स्थित सेठ आनंदराम जयपुरिया नेत्र अस्पताल और उसके चिकित्सक डॉ. ईसरत सदानी को आदेश दिया कि वे यह मुआवजा 45 दिन के भीतर अदा करें। साथ ही, दस वर्ष की अवधि के छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित राशि देने के निर्देश दिए गए हैं।

गलत ऑपरेशन से गई आंख की रोशनी

यह मामला सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र के जोगियों का बास निवासी श्रीराम पुत्र नारायणराम बलाई से जुड़ा है। श्रीराम ने वर्ष 2012 में नवलगढ़ के जयपुरिया नेत्र अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था। ऑपरेशन के बाद उन्हें आंख में तेज दर्द, सूजन और दृष्टि संबंधी परेशानी बनी रही। कई बार इलाज कराने और दवाइयां लेने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

बाद में उन्होंने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जांच कराई, जहां चिकित्सकों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान आंख में लगाया गया लेंस गलत तरीके से फिट किया गया था, जिससे उनकी दृष्टि चली गई। इसके बाद श्रीराम ने अस्पताल और चिकित्सक के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया।

10 साल तक नहीं दे सके साक्ष्य

आयोग ने अस्पताल और चिकित्सक को अपने अनुभव और मेडिकल साक्ष्य पेश करने के लिए करीब 10 वर्ष (3426 दिन) का समय दिया, लेकिन कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और उपलब्ध चिकित्सा रिकॉर्ड की जांच के बाद आयोग ने माना कि ऑपरेशन के दौरान गंभीर लापरवाही बरती गई।

आयोग की सख्त टिप्पणी – “आंख प्रकृति का अनुपम उपहार”

आयोग ने अपने निर्णय में लिखा कि “प्रकृति ने मानव, पशु-पक्षी सभी को दो आंखों का अनमोल उपहार दिया है। जब कोई व्यक्ति अपनी पीड़ा लेकर चिकित्सक के पास जाता है, तो वह उसी विश्वास से जाता है जैसे अपने ईष्ट देवता के पास।”

आयोग ने कहा कि “मरीज का उपचार पूर्ण विश्वास पर आधारित होता है, और चिकित्सक का नैतिक व कानूनी दायित्व है कि वह हर संभव सावधानी बरते।” साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि चिकित्सक पर यह नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह मरीज के उपचार में पूरी सावधानी बरते।

ब्याज समेत देना होगा मुआवजा

आयोग ने आदेश दिया कि अस्पताल और डॉक्टर मरीज को 6.50 लाख रुपये मुआवजा 27 जनवरी 2015 से भुगतान की तिथि तक 6% वार्षिक ब्याज सहित दें।

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