श्रीराम कथा के सातवें दिन धर्मदास महाराज ने सुनाया सीता हरण और खर-दूषण वध प्रसंग
श्रीराम कथा के सातवें दिन धर्मदास महाराज ने सुनाया सीता हरण और खर-दूषण वध प्रसंग
जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रविन्द्र पारीक
नवलगढ़ : कस्बे में चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन व्यासपीठ पर विराजमान धर्मदास जी महाराज ने प्रभु श्रीराम के वन गमन, सीता हरण एवं खर-दूषण वध जैसे पावन प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया। महाराज ने कथा के दौरान बताया कि चित्रकूट स्थित वाल्मीकि आश्रम में भगवान श्रीराम ने वाल्मीकि जी को चतुर्भुज रूप में दर्शन दिए। जब भगवान ने वाल्मीकि जी से पूछा कि “मैं कहाँ रहूँ?”, तो वाल्मीकि जी ने कहा – “भगवान, आप उस स्थान पर रहें जहाँ सेवा करने वाले मनुष्य के कान समुद्र समान विशाल हों।”
धर्मदास जी महाराज ने कहा कि संत जन सदैव भगवान से प्रेम करते हैं, और भगवान ने अगस्त ऋषि को यह बताया कि उनका वन आगमन संतों को दर्शन देना और शबरी के झूठे बेर ग्रहण करना था। उन्होंने यह भी बताया कि तीन घूँट में समुद्र को पी जाने वाले ऋषि अगस्त्य मुनि ही हैं।
कथा के दौरान शिवकरण जानू, अभिनेश शर्मा, सुरेश शर्मा एवं नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन जुगलकिशोर सैनी का महाराज द्वारा सम्मान किया गया।
गुरुवार की कथा में मुख्य यजमान के रूप में राजू कोलसियावाला, पुष्कर कोलसियावाला, भरत मुरारका, विशाल पंडित, रमेश कुमार यादव, सज्जन जोशी, श्रीकांत पारीक, विश्वनाथ केरूवाला, प्रो. गिरधारी लाल वर्मा, किशनलाल शर्मा, सुरेश कुमावत, अभिनेश भारद्वाज, अखिलेश भारद्वाज, संतोष मुरारका, त्र्यंबकेश्वर त्रिपाठी, शकुंतला देवी, बनवारीलाल कोलसियावाला, सुरेंद्र खालिया, प्रमोद सेन, कन्हैयालाल सैनी, गोपीराम सैनी, सुरेश शर्मा, संतोष देवी, पंकज पांडे, लक्ष्मीकांत लोकपाल, शशिकांत शर्मा, शंकरलाल सैनी, सुनील समरा आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम का संचालन मुरली मनोहर चौबदार ने किया। कथा में बड़ी संख्या में महिलाएं एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे और भगवान श्रीराम के पावन प्रसंगों का श्रवण किया।
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