डाडा फतेहपुरा के आराध्य देव श्री खाखी बाबा – गोविन्द राम हरितवाल
डाडा फतेहपुरा के आराध्य देव श्री खाखी बाबा - गोविन्द राम हरितवाल

राजस्थान प्रांत में शेखावाटी की धरा को वीर प्रसूता, सेठ साहूकारो की जन्म भूमि तथा संत महात्माओं की पुण्य तपोस्थली के रूप में जाना जाता है। शेखावाटी के खेतड़ी उपखंड क्षेत्र के डाडा फतेहपुरा मे खाखी बाबा, गाड़राटा में सुंदर दास, खेतड़ी में बाबा मक्खन दास, भोपालगढ़ के संत रसिक मोहनदास, जसरापुर में कानडदास, टीबा बसई में रामेश्वर दास और नालपुर में भक्त पूरणमल चौरंगी नाथ जैसे अनेक संत महात्माओं ने इस भूमि को अपनी कठिन तपस्या से तपोभूमि बनाया है। खाखी बाबा महाराज के संदर्भ में संत खाखी बाबा महाराज ने तपस्या के लिए अपना ठिकाना खेतड़ी के ग्राम डाडा फतेहपुरा को चुना और वह यही पर वर्षों तक तपस्या कर अंतर्ध्यान हो गए।
बताया जाता है कि खाखी बाबा महाराज सन्यासी बनकर यह अनेक जगह का भ्रमण करते हुए खेतड़ी ठिकाने के ग्राम डाडा फतेहपुरा में आकर तपस्या करने लगे। इन्होंने ॐ नमः शिवायः नाम जप से अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त की थी। खाखी बाबा महाराज 12 महीने अपने शरीर पर भभूत लगाए रहते थे, इसीलिए वह खाखी महाराज के नाम से विख्यात हुए।
सन 1889 में खाखी महाराज घूमते हुए डाडा फतेहपुरा आये। बाबा ने इसी जगह पर अपना धुन्ना जमा रखा था। जब बांध अजीत सागर का काम शुरू हो रहा था तब सिपाही इनसे विनती की गई कि आप यहां से यह धुन्ना उठा लें, लेकिन वह राजी नहीं हुए। इस पर सेनिको ने इन्हें बलपूर्वक उठाने की कोशिश की, किंतु वह टस से मस नहीं हुए। तभी अचानक मधुमक्खियां के झुंड ने सिपाहियों पर हमला बोल दिया। यह देखकर सिपाही भाग गए। इसके पश्चात राजा अजीत सिंह ने अनुनय विनय कर इन्हें वहां से उठाया और पाहाडी पर जगह दी ओर मण्डी का निर्माण कराया ।
आज जहां श्री खाखी धाम बना हुआ है वहां पर आए और अपना धुन्ना लगाकर रहने लगे। ग्राम वासियों का कहना है कि यह संत खाखी महाराज थे। इन्हें चोला बदलने की सिद्धि प्राप्त थी। बताया जाता है कि खेतड़ी के राजा अजीत सिंह एक बार शिकार खेलने के लिए इसी जगह पर आए हुए थे। उन्होंने देखा कि एक शेर झाड़ियां के बीच बैठा हुआ है। जिसका शिकार करने के लिए जैसे ही उन्होंने अपने घोड़े को शेर के पीछे लगाया, शेर के भेष में यह वहां से भाग कर अपने स्थान पर आ गए और अपना वास्तविक स्वरूप धारण कर लिया। जब राजा शिकार के लिए इनका पीछा कर रहे थे तब अचानक से उनके घोड़े को दिखाई देना बंद हो गया था और उन्हें दूसरा घोड़ा लेकर इनका पीछा करना पड़ा था। इस बीच वह शेर अपना चोला बदलकर संयासी बन गया था। जब राजा उनके पास पहुंचे तब उनके सीपाहीयो ने आकर कहा कि राजा घोड़ा ठीक हो गया है, उसे दिखने लग गया है। यह सुनकर बाबा मुस्कुरा दिए। राजा अजीत सिंह इनके भाव को समझ गए और उन्हें एकाएक वास्तविकता का ज्ञान हो गया। इसके पश्चात राजा अजीत सिंह उनके शिष्य बन गए। इन्हीं के आशीर्वाद से राजा अजीत सिंह के पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। खाखी महाराज के इन्हीं चमत्कारों को सुनकर क्षेत्र के आसपास के गांव के लोग उनके शिष्य बन गए। उनके प्रमुख शिष्यों में मनसा राम सेडमल मोहनलाल महाजन और रामुजी शर्मा का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। मोहनलाल ने कुए का निर्माण कार्य कराया । इनही शिष्यों के परिजन आज भी श्री खाखी धाम की सेवा में जान से जुड़े हुए हैं। श्री खाखी बाबा बिना किसी को बताए अपना चिमटा, खड़ाऊ और कमंडल फाल्गुन बदी अमावस्या को छोड़कर अंतर्ध्यान हो गए।
खाखी बाबा के रहते मोहनलाल ने वर्ष 1949 मे मेले का आयोजन कीया , तभी से खाखी बाबा सेवा संघ भाग्य नगर हैदराबाद द्वारा प्रतिवर्ष फाल्गुन बदी अमावस्या को मेला लगता रहा है और मेला मे आस-पास के गाव से दुकानदार आकर अपनी दुकाने लगाते है अवसर पर कुश्ती का विशाल आयोजन किया जाता है। इस मेले में गांव के नागरिकों सहित प्रवासी ग्रामवासी भी मेला अवसर पर आते हैं खाखी बाबा महाराज के दर्शन प्रसाद आशीर्वाद से अपना जीवन धन्य बनाते है। जात जड़ूले करते हैं और मनोती मांगते हैं।
खाखी बाबा महाराज के अंतर्ध्यान होने के बाद से रामु शर्मा ने मंण्डी पर धुने की पुजा का कार्य संभाला । वर्ष 1969 मे तिबारा व सीडीओ का निर्माण हुआ । वर्ष 1975 मे भगवान भोलेनाथ व भगवान हनुमान जी के मंदिर और हाल का निर्माण हुआ । खाखी बाबा धाम पर भक्तो का आगमन बढने पर किसी योग्य संत को विराजमान कराने के लिए खाखी बाबा सेवा संघ हैदराबाद के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने खंडेला के महन्त विशंभर दास महाराज से कई बार निवेदन करने के बाद उन्होंने रामचरण दास महाराज को इस स्थान पर वर्ष 1982 मे भेजा। संत रामशरण दास महाराज के रहने के लिए मंदिर परिसर से हट कर दो कमरे का निर्माण हुआ व समय समय पर ऑर कमरो का निर्माण हुआ। खखी बाबा सेवा संघ हैदराबाद ओर संत रामशरण दास के संयुक्त प्रयासों धाम की दिव्यता भव्यता और प्रसिद्धि के लिए अनेक प्रकार के जतन किए गए जिसमे धाम परिसर में नाना प्रकार के वृक्ष लगाकर पर्यावरण शुद्धि की वृद्धि में एक अभिनव प्रयास किया। श्री खाखी बाबा सेवा संघ हैदराबाद के सौजन्य से वर्ष 2014 मे मंदिर परिसर के हाल को भव्य रूप दे कर फिर से निर्माण कार्य हुआ । श्री खाखी धाम आज उत्तरी भारत का एक प्रमुख आस्था व श्रद्धा स्थल के रूप में अपनी यश कीर्ति की पताका को फहरा रहा है। संत रामशरण दास महाराज का वर्ष 2024 स्वर्गवास हुआ। “परहित सरस ही धर्म भाई” रामशरण दास महाराज का प्रमुख देव वाक्य था। – लेखक क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार और इतिहासकार, संपादक