इंदिरा गांधी की जयंती पर विशेष : लोग चाहे जो कहे लेकिन आयरन लेडी इंदिरा गांधी का कोई मुकाबला नहीं था
इंदिरा गांधी की जयंती : 19 नवम्बर को भारत की दो विशिष्ट नारी शक्तियों का अवतरण दिवस है। प्रथम लक्ष्मीबाई झांसी की विरांगना जिसने अपने पीठ पर नन्हे बालक को बांधकर 1857 की अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ाई लड़ी और उनके दांत खट्टे कर दिए। यह संयोग ही कहा जाएगा कि 19 नवम्बर को ही भारत की दूसरी विरांगना शेरनी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी जन्म हुआ। जिन्होंने लंबे समय तक शायद अपने पिता पं. जवाहर लाल नेहरू के बाद सबसे लंबे समय तक भारत के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया। इस वीरांगना ने नारी के कोमल हृदय को ठुकराते हुए जिसे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दुर्गा का अवतार कहा था। घन्य है वह महिला जिसको विरोधी भी सम्मान देते हैं और दुर्गा की उपाधि से सम्मानित करते हैं। 1972 में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया तो इस शेरनी ने सेना को सम्पूर्ण अधिकार दे दिए और डू एंड डाई का नारा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि हमारी सेना लाहौर तक जा पहुंची। उस समय शेख मुजीब की अगुवाई में बंगला भाषी पाकिस्तान से अलग होना चाहते थे।
पाकिस्तान सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार करती थी। इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को वहां भेजकर बंगला निवासियों को पाकिस्तान से अलग धरती पर नया देश बंग्लादेश बना दिया। शेख मुजीब को नए देश बंग्लादेश का नया शासक नियुक्त कर दिया। १० हजार पाकिस्तानी सैनिक गिरफ्तार कर लिए गए। इंदिरा गांधी ने शिमला समझौते के अंतर्गत उन सैनिकों को ससम्मान वापस पाकिस्तान भेज दिया। इंदिरा गांधी ने दूसरा बड़ा कार्य सभी बैंकों का राष्ट्रीकरण कर देश के आर्थिक विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया। इससे पहले यह बैंक सारा मुनाफा समेटकर अपने शेयर होल्डरों में बांट देते थे। इनकी कमाई से हमारी जनता को कोई लाभ नहीं होता था। इसके साथ ही विश्व की महान शक्तियां जो भारत को गरीब और शक्तिहीन बताती थी इंदिरा गांधी ने राजस्थान में जैसलमेर के पोकरण में पहला परमाणु विस्फोट कर बता दिया कि भारत भी परमाणु शक्ति में किसी भी विकसित देश से पीछे नहीं है। भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में इंदिरा गांधी का बहुत बड़ा योगदान है। जब लोग सोकर उठते तो इंदिरा गांधी ने भारत में विकास की नई-नई योजनाएं लाकर गरीब देशों की श्रेणी से उठाकर सम्पन्न राष्ट्र की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
जब विपक्षी चक्रव्यूह में फंसकर वह पहली बार राजनारायण से रायबरेली से चुनाव हार गई तो विपक्ष की बल्ले-बल्ले हो गई। लेकिन वह कनर्नाटक के चिरमगंलूर से पुनः जीतकर सांसद बन गई। उस समय सुषमा स्वराज को उनके विरूद्ध विपक्ष ने चुनाव लड़ाया। चिकमंगलूर में नारा दिया कि एक शेरनी सौ लंगूर फिर भी जीतेंगे चिकमंगलूर। चुनाव हारने के बाद इंदिरा गांधी जयपुर दौरे पर आई। उन्होंने रामलीला मैदान में जनता को संबोधित किया। पूर्व भाजपा नेता एवं संघ परिवार के भंवरलाल शर्मा भी उनका भाषण सुनने से अपने आपको नहीं रोक पाए। उन्होंने नेहरू बाजार के कंगूरें पर बैठकर इंदिरा गांधी का भाषण सुना। इंदिरा गांधी के सामने किसी भी बड़े-बड़े नेताओं की जुबान नहीं खुलती थी। जब खालिस्तान को लेकर सिखों का आंदोलन चल रहा था तब लोगों ने उन्हें राय दी थी कि वे अपने सुरक्षाकर्मियों में से सरदारों को हटा दें। परंतु इंदिरा गांधी ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि वे मेरे परिवार के अभिन्न अंग है। मुझे उनसे कोई खतरा नहीं है। जब 31 अक्टूबर को उन्हीं सुरक्षाकर्मियों ने उन पर दनादन गोलियों की बरसात की तो उन्होंने उनको आवाज देकर कहा अरे बेडन्त संभलो यह क्या कर रहे हो। इसी सादगी और विश्वास ने ही इस महान नेता को हमारे बीच से छीन लिया।
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