15 महीने की बेटी को दीवार पर भिड़ाकर मारा:पिता को 7 साल की जेल, कोर्ट ने कहा- ये हत्या नहीं ‘मानव वध’ है
15 महीने की बेटी को दीवार पर भिड़ाकर मारा:पिता को 7 साल की जेल, कोर्ट ने कहा- ये हत्या नहीं 'मानव वध' है

झुंझुनूं : 15 महीने की बेटी को दीवार पर भिड़ाकर मारने वाले पिता को 7 साल की जेल हुई है। इसके साथ ही 10 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया गया है। झुंझुनूं सेशन कोर्ट ने आदेश में कहा है- यह हत्या नहीं, बल्कि ‘मानव वध’ का मामला है। पिता अपनी ही बेटी को दीवार पर भिड़ाकर उसकी मौत का कारण बना। ऐसे अपराध के प्रति सहानुभूति का रुख अपनाना न तो विधि सम्मत है और न ही समाज हित में। यदि हल्की सजा दी जाए तो समाज में न्याय व्यवस्था पर से विश्वास उठ जाएगा। सरकारी वकील रामावतार ढाका ने बताया- हत्यारे पिता कैलाश चंद निवासी गिरधरपुरा, थाना उदयपुरवाटी (झुंझुनूं) को सजा सुनाई गई है।
पत्नी से झगड़े के दौरान बच्ची की हत्या
सरकारी वकील रामावतार ढाका ने बताया- 26 मार्च 2023 को कैलाश की पत्नी कविता के मामा विजयपाल निवासी कैरू (थाना नवलगढ़) ने पुलिस को रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि भांजी कविता और उसकी 15 माह की बेटी ओजस्वी उसके घर आई हुई थी। उसी दिन सुबह करीब साढ़े 10 बजे कविता का पति कैलाशचंद, उसका भाई जीवन और नवीन मोटरसाइकिल से आए। घर पर पहुंचते ही कैलाश ने कविता के साथ झगड़ा शुरू कर दिया।
सिर में गंभीर चोट
मामा विजयपाल ने रिपोर्ट में बताया था कि कैलाश ने गाली-गलौज करते हुए कविता से मारपीट की। इस दौरान कविता की गोद में ओजस्वी थी, जिसे कैलाश ने जोर से खींच लिया और दीवार पर भिड़ा दिया। बच्ची के सिर में गंभीर चोट आने के बाद वह बेहोश हो गई। उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। कविता और उसके मामा विजयपाल ने घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने कैलाशचंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
15 गवाह पेश किए, इनमें 7 प्रत्यक्षदर्शी थे
मामले की सुनवाई सेशन कोर्ट झुंझुनूं में हुई। कुल 15 गवाहों को पेश किया गया, जिनमें मुख्य गवाह कविता और विजयपाल थे। अन्य 7 प्रत्यक्षदर्शी गवाहों में शामिल रहे।
कोर्ट में पत्नी बोली- मैं बेहोश हुई
कैलाश की पत्नी कविता ने अदालत में बताया कि उसकी शादी 22 नवंबर 2020 को कैलाश चंद से हुई थी। 17 दिसंबर 2021 को बेटी ओजस्वी का जन्म हुआ था। 18 मार्च 2023 को वह अपने मामा विजयपाल के घर कैरू गणगौर त्योहार मनाने आई थी। 26 मार्च की सुबह उसका पति कैलाश दोस्त नवीन और जीजा जीवन के साथ वहां पहुंचा। कैलाश आते ही गालियां देने लगा और मुझे मारने लगा। जब मैंने बेटी को बचाने की कोशिश की, तो उसने मेरी गोद से बच्ची छीन ली और दोनों पैर पकड़कर दीवार पर दे मारा। ओजस्वी की वहीं मौत हो गई और मैं बेहोश हो गई थी।
पिता बोला- मैं ही अस्पताल ले गया था
सरकारी वकील रामावतार ढाका ने बताया- कैलाश चंद ने कोर्ट को दिए अपने बयान में कहा था- यह एक दुर्घटना थी, हत्या नहीं। वह अपनी पत्नी को घर ले जाने आया था। दोनों के बीच झगड़ा और छीना-झपटी हुई। इस दौरान बच्ची कविता की गोद से फर्श पर गिर गई और सिर में लगने से उसकी मौत हो गई। कैलाश ने दावा किया था कि उसने खुद बच्ची को हॉस्पिटल पहुंचाया था।
कोर्ट ने कहा- यह मानव वध
अदालत ने माना कि कैलाश का अपनी ही बेटी को जानबूझकर मारने का इरादा नहीं था, लेकिन उसकी हरकत इतनी लापरवाह और क्रूर थी कि इससे बच्ची की मौत हो गई। फैसले में कोर्ट ने कहा है- 15 माह की मासूम बच्ची थी, जो कैलाश की अपनी संतान थी। झगड़े के दौरान आवेश में आकर कैलाश ने उसे जोर से दीवार पर मारा, जिससे सिर पर गंभीर चोट आई और उसकी मृत्यु हो गई।