पांच साल में दोषियों के खिलाफ नहीं हुई कोई कार्रवाई
अब जिला प्रशासन आया हरकत में, दोषियों के खिलाब अब शिकंजे की तैयारी।
जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : प्रशासन ने पांच वर्ष पहले व्यावसायिक भूमि को आवासीय मानकर रजिस्ट्री करने का मामला सामने आने के बावजूद कार्रवाई नहीं की। इस मामले में जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। हाईकोर्ट आदेश के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है और टीम बनाकर जांच कराने की तैयारी की जा रही है। जिला कलेक्टर ने बताया कि डीआईजी स्टाम्प से जानकारी ली जाएगी कि वर्ष 2018 से 2020 के बीच हुई सभी रजिस्ट्री की जांच करानी है या केवल शिकायत वाले मामलों की ही जांच करनी है। इसमें तत्कालीन एडीएम ने भी जांच की थी। मामला पुराना है, अभी तक किसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई या नहीं हुई, इसकी भी जांच करवा रहे हैं। जल्द ही टीम बनाकर पूरे प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी जाएगी। जो भी दोषी होगा निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह की थी शिकायत
आरटीआई कार्यकर्ता अशोक मोदी व नईम अहमद ने दस्तावेजों के साथ शिकायत की थी। शिकायत में बताया था कि फैमिली ट्रस्ट की सम्पत्ति बेचान नहीं हो सकती, इस तथ्य के बावजूद शहर में दो नम्बर रोड पर राजकीय जेके मोदी स्कूल के पास जमीन बेच दी गई। यह जमीन उस समय व्यवसायिक थी जिसे कुछ भुमाफियाओ ने तत्कालीन उप पंजीयक से मिलीभगत कर व्यवसायिक कि जगह आकाशिय बता कर पंजीयन किया वहां दुकानें संचालित हो रही थी। उस समय वहां बिजली कनेक्शन भी व्यावसायिक था। इसके बावजूद करोड़ों की व्यवसायिक सम्पत्ति को आवासीय मानकर पंजीयन कर दिया गया। कलक्टर से दस्तावेजों के साथ
हाईकोर्ट ने तलब की रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की जनहित याचिका की तरफ से अभिव्यक्त पुनम चन्द भण्डारी, व टि एन शर्मा कि पैरवी पर विवादित प्रकरण की पूरी रिपोर्ट तलब की। वर्ष 2015 से 2020 के बीच झुंझुनूं जिले में कई व्यावसायिक जमीनों को मिलीभगत कर आवासीय बताया गया और करोड़ों रुपए राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया।
इनका कहना है
जिस समय इस भूमि का आवासीय के रूप में पंजीयन हुआ, उस समय वहां दुकानें संचालित थी। बिजली कनेक्शन भी व्यावसायिक था। हाई कोर्ट आदेश के बाद अब उम्मीद है न्याय मिलेगा।
अशोक मोदी, सदस्य, पब्लिक अगेंस्ट करप्शन
शिकायत करने पर 13 जनवरी 2020 को तत्कालीन अतिरिक्त जिला कलक्टर ने अपनी जांच में माना था कि जमीन व्यावसायिक थी, जिसका गलत तरीके से आवासीय मानकर पंजीयन किया गया। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ।