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मोबाइल से मिनटों में बनेगी पर्ची,साथ ही मिलेगा टोकन नंबर:बीडीके अस्पताल में ‘फास्ट-ट्रैक’ ओपीडी पर्ची सेवा शुरू, अब लंबी लाइनों से मिलेगी मुक्ति


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

मोबाइल से मिनटों में बनेगी पर्ची,साथ ही मिलेगा टोकन नंबर:बीडीके अस्पताल में ‘फास्ट-ट्रैक’ ओपीडी पर्ची सेवा शुरू, अब लंबी लाइनों से मिलेगी मुक्ति

मोबाइल से मिनटों में बनेगी पर्ची,साथ ही मिलेगा टोकन नंबर:बीडीके अस्पताल में 'फास्ट-ट्रैक' ओपीडी पर्ची सेवा शुरू, अब लंबी लाइनों से मिलेगी मुक्ति

झुंझुनूं : जिले के सबसे बड़े राजकीय बीडीके अस्पताल में अब ओपीडी पर्ची के लिए लंबी कतारों में खड़े होने की जरूरत नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने रोगियों की सुविधा के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए फास्ट-ट्रैक पर्ची काउंटर की शुरुआत की है। इस नई व्यवस्था के तहत, मरीज अपने घर बैठे ही टोकन जारी कर सकते हैं और अस्पताल पहुंचकर कुछ ही सेकंड में अपनी ओपीडी पर्ची प्राप्त कर सकते हैं। यह पहल न केवल समय की बचत कर रही है, बल्कि तकनीकी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को और भी सुलभ बना रही है।

ऐसे काम करती है यह नई व्यवस्था

इस नई सुविधा का लाभ उठाने के लिए मरीजों को अपने मोबाइल फोन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा समर्थित ‘hey doc ai’ ऐप डाउनलोड करना होगा।

  • ऐप में आभा नंबर या आधार नंबर का उपयोग करके रजिस्टर करें।
  • ओपीडी पर्ची के लिए जानकारी साझा करने की सहमति दें।
  • ऐप से जनरेट हुए टोकन को फास्ट-ट्रैक काउंटर पर दिखाएं।

यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद, कुछ ही सेकंड में आपको अपनी ओपीडी पर्ची मिल जाएगी। इस पर्ची का रिकॉर्ड आपके मोबाइल में भी सुरक्षित रहेगा, जिससे इसे खोने का डर खत्म हो जाएगा।

युवाओं और महिलाओं में उत्साह

इस पहल के प्रति युवाओं और महिलाओं में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। इसे समय बचाने और तकनीकी का बेहतर उपयोग करने वाला कदम बताया जा रहा है। फास्ट-ट्रैक पर्ची के लिए तीन काउंटर बनाए गए हैं, जहां पर्ची बनने में सिर्फ 30 सेकंड का समय लगता है, जबकि पारंपरिक कतारों में 15-20 मिनट तक का समय लग सकता है।

फायदे ही फायदे

यह व्यवस्था कई मायनों में मरीजों के लिए फायदेमंद है:

  • समय की बचत: लंबी कतारों में खड़े होने से मुक्ति मिलती है।
  • सुरक्षित रिकॉर्ड: पर्ची का रिकॉर्ड मोबाइल में रहता है, जिसे कभी भी देखा जा सकता है।
  • सुविधाजनक: गर्भवती महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के लिए यह बेहद उपयोगी है।
  • परिवार की पर्ची: एक ही व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों की पर्ची भी आसानी से बनवा सकता है।

जागरूकता बढ़ाने की चुनौती

हालांकि, इस नई तकनीक को अपनाने में कुछ समस्याएं भी आ रही हैं, जिनमें सबसे बड़ी चुनौती आमजन में जागरूकता की कमी है। कई लोग अभी भी पारंपरिक कतारों पर भरोसा करते हैं और मोबाइल का उपयोग करने में हिचकिचाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, अस्पताल ने फास्ट-ट्रैक काउंटर के पास पूरी प्रक्रिया और ऐप की जानकारी के पोस्टर चिपका दिए गए है। साथ ही, सहयोगी स्टाफ भी नियुक्त किया गया है जो मरीजों को आभा आईडी बनाने और ऐप का इस्तेमाल करने में मदद करता है।

PMO डॉ. जितेंद भाम्बू ने बताया कि कुछ ही दिनों में 5 मरीजों से शुरू हुई यह सेवा अब 200-300 मरीजों तक पहुंच चुकी है। आने वाले समय में अधिक से अधिक लोग इस सुविधा का लाभ उठाएंगे और अस्पताल की सेवाएं और भी बेहतर बनेंगी।

इस बार कोड से काट सकते है पर्ची
इस बार कोड से काट सकते है पर्ची

बढ़ती ओपीडी संख्या

राजकीय बीडीके अस्पताल में मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। जहां पिछले वर्षों में ओपीडी में 2000-2500 मरीज आते थे, वहीं अब चिकित्सा सेवाओं के विस्तार के कारण यह संख्या 3500-4000 तक पहुंच गई है। अस्पताल के पीएमओ और वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र भाम्बू ने बताया कि यह बढ़ोतरी अस्पताल के प्रति आमजन के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है।

डॉ. भाम्बू के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 6000 लोग चिकित्सा सेवाओं के लिए अस्पताल आते हैं। इस भीड़ को देखते हुए, पर्ची बनवाने में लगने वाले समय को कम करना एक बड़ी चुनौती थी। इसी समस्या को हल करने के लिए आभा आईडी (ABHA ID) का उपयोग करके ऐप के माध्यम से पर्ची बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

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