बड़ाऊ के सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था चरम पर: सात डॉक्टर तैनात, ओपीडी में मिलते केवल दो
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, बीसीएमओ को सौंपा ज्ञापन - महिला डॉक्टर, एंबुलेंस, सोनोग्राफी और नियमित ड्यूटी की मांग

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : विजेन्द्र शर्मा
खेतड़ी : बड़ाऊ के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त भारी अव्यवस्थाओं और डॉक्टरों की मनमानी के खिलाफ शुक्रवार को ग्रामीणों ने जमकर विरोध जताया। ग्रामीणों ने अस्पताल में महिला डॉक्टर की नियुक्ति, डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति, सोनोग्राफी सुविधा और एंबुलेंस की उपलब्धता जैसी बुनियादी मांगों को लेकर बीसीएमओ डॉ. हरीश यादव को ज्ञापन सौंपा। इस विरोध प्रदर्शन में बड़ाऊ सरपंच जितेन्द्र सिंह चावरिया ने भी ग्रामीणों के साथ भाग लेकर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर चिंता जताई और अधिकारियों से ठोस कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो वे अस्पताल के सामने धरना देंगे।
सात डॉक्टर तैनात, ओपीडी चल रही दो के भरोसे
स्वास्थ्य विभाग ने बड़ाऊ अस्पताल में पांच पुरुष व दो महिला डॉक्टरों की नियुक्ति कर रखी है, लेकिन हकीकत यह है कि ओपीडी के दौरान मौके पर केवल दो डॉक्टर ही मौजूद होते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि डॉक्टर विभागीय नियमों की अनदेखी कर 24 घंटे की ड्यूटी करने के बाद तीन-चार दिन अस्पताल नहीं आते, और जब आते हैं तो अपनी सुविधा अनुसार हाजिरी रजिस्टर में दस्तखत कर निकल जाते हैं। इससे मरीजों की संख्या भी घट गई है — जहाँ पहले रोज़ 400 से अधिक मरीज़ ओपीडी में आते थे, अब मुश्किल से 100 पहुँचते हैं।
महिला डॉक्टर की माँग वर्षों से लंबित, महिलाएं हो रही परेशान
ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल में महिला डॉक्टर की लंबे समय से मांग की जा रही है, लेकिन अब तक चिकित्सा विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। नतीजतन महिलाओं को इलाज के लिए झुंझुनूं, नीमकाथाना, चिड़ावा जैसे शहरों में जाना पड़ता है, जिससे आर्थिक व मानसिक दोनों तरह की परेशानी होती है।
सोनोग्राफी मशीन बेकार, डिजिटल एक्स-रे सुविधा भी नहीं चालू
अस्पताल में वर्षों पहले आई सोनोग्राफी मशीन ऑपरेटर के अभाव में दो साल से धूल फांक रही है। डिजिटल एक्स-रे मशीन भी निष्क्रिय है। आंखों की स्पेशलिस्ट डॉक्टर भले ही मौजूद हों, लेकिन जांच के लिए केवल एक बैटरी है — बाकी कोई आवश्यक उपकरण मौजूद नहीं हैं। सर्जन, मेडिसिन व एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की भी तैनाती नहीं है, जिससे गंभीर मरीजों को रेफर करना मजबूरी बन गया है।
एंबुलेंस के नाम पर महज़ दिखावा, हादसों में जान जोखिम में
बड़ाऊ अस्पताल में एंबुलेंस नहीं होने से हादसों या आपातकालीन स्थिति में मरीजों को खेतड़ी या जसरापुर से एंबुलेंस मंगवानी पड़ती है, जिससे समय पर उपचार नहीं मिल पाता। कई बार ग्रामीणों को निजी साधनों से घायलों को अस्पताल लाना पड़ता है।
स्टाफ का व्यवहार रूखा, इलाज नहीं मिलता समय पर
ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल स्टाफ का व्यवहार सहयोगी नहीं है। मरीजों को इलाज के लिए बार-बार भटकना पड़ता है। डॉक्टरों ने अपनी मनमानी के अनुसार ड्यूटी का शेड्यूल बना रखा है। दंत चिकित्सक डॉ. अनीता छह महीने से छुट्टी पर हैं, जबकि डॉ. राम कला भी एक माह से ड्यूटी पर नहीं आ रही हैं।
12 गांवों की बड़ी आबादी है निर्भर, लेकिन सुविधाएं न के बराबर
बड़ाऊ अस्पताल पर रसूलपुर, रामनगर, गढ़ला, ताल, झेरवा, बीलवा, बांकोटी, मोड़की, कृष्ण नगर, कुम्हार की ढाणी, बसंत विहार, भिंटेरा व श्यामपुरा जैसे दर्जनों गांवों की आबादी निर्भर है, लेकिन सुविधाएं नगण्य हैं। न तो विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हैं, न जांच सुविधाएं – जिससे रोगियों को मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है।
अधिकारी मौके पर पहुंचे, कार्रवाई का आश्वासन
घटना की सूचना मिलते ही बीसीएमओ डॉ. हरीश यादव मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से चर्चा की। उन्होंने जल्द सभी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। इस मौके पर सरपंच जितेन्द्र सिंह चावरिया, पूर्व सरपंच फतेह सिंह शेखावत, गजेन्द्र सिंह, रामसिंह, अर्जुन सिंह, विक्रम सिंह, कुंदन सिंह, महेश कुमार, राजेन्द्र सिंह, दाताराम, भवानी सिंह, नवीन, सुनील, प्रदीप सिंह, श्याम सिंह, अशोक कुमार, नरेंद्र सिंह, सिकंदर अली, ताबिर अली सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।