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ड्राई फ्रूट्स की चमक में छिपा जहर:झुंझुनूं में काजू-बादाम सहित 86 खाद्य नमूने जांच में फेलसेहत से हो रहा खिलवाड़, मिलावट के खेल में सूखे मेवे भी शामिल


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ड्राई फ्रूट्स की चमक में छिपा जहर:झुंझुनूं में काजू-बादाम सहित 86 खाद्य नमूने जांच में फेलसेहत से हो रहा खिलवाड़, मिलावट के खेल में सूखे मेवे भी शामिल

ड्राई फ्रूट्स की चमक में छिपा जहर:झुंझुनूं में काजू-बादाम सहित 86 खाद्य नमूने जांच में फेलसेहत से हो रहा खिलवाड़, मिलावट के खेल में सूखे मेवे भी शामिल

झुंझुनूं : खाने की थाली में दिखने वाले बादाम और काजू अब सेहत के दुश्मन भी बनते जा रहे हैं। ये वही मेवे हैं जिन्हें हम पोषण और ताकत के लिए खाते हैं, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी की डाइट में शामिल करते हैं। लेकिन झुंझुनूं जिले में हुई जांचों ने जो सच्चाई उजागर की है, वह चौंकाने वाली है। चमकदार दिखने वाले काजू-बादाम सिर्फ बाहरी आकर्षण में चमकते हैं, लेकिन अंदर से ये स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकते हैं।

चिकित्सा विभाग की जांच में सामने आया है कि इस साल अब तक लिए गए 320 खाद्य नमूनों में से 86 नमूने फेल हो गए हैं। इनमें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अब तक केवल घी, मावा, पनीर और मसाले ही संदेह के घेरे में थे, लेकिन अब सूखे मेवे—खासतौर पर काजू और बादाम भी मिलावट की सूची में शामिल हो गए हैं।

काजू-बादाम में मिलावट: सिर्फ कड़वाहट नहीं, स्वास्थ्य को खतरा

इन दिनों बाजारों में मिलने वाले काजू और बादाम में कई तरह की मिलावट की जा रही है। कई नमूनों में पाया गया है कि बादाम में तेल की मात्रा कम है, यानी उसे रासायनिक तरीके से प्रोसेस किया गया है जिससे उसका पोषण खत्म हो चुका है। वहीं, कई काजू नमूनों में पॉलिश और चमक बढ़ाने के लिए हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल किया गया, जिससे वह देखने में आकर्षक लगे लेकिन खाने पर शरीर में जहर घोल दें।

विभागीय सूत्रों की मानें तो कुछ नमूनों में कीड़े तक मिले हैं। यानी बाजार में बिकने वाला मेवा अब ‘साफ-सुथरा ड्राई फ्रूट’ नहीं रहा, बल्कि वह एक ऐसे उत्पाद में बदल चुका है जिसमें मुनाफा कमाने की हवस ने लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है।

केस स्टडी 1: चिड़ावा की दुकान पर बादाम की जांच में खुलासा

फरवरी 2025 में चिड़ावा की एक दुकान से लिए गए बादाम के नमूने में तेल की मात्रा मानक से कम पाई गई। जांच में फेल होने के बाद मामला एडीएम कोर्ट में भेजा गया, जहां विक्रेता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। यह दिखाता है कि सूखे मेवों की गुणवत्ता पर पहले से ज्यादा सख्ती बरती जा रही है, लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि बाजार में मिलने वाले बादाम में भी अब पोषण नहीं, बल्कि मिलावट भर गई है।

केस स्टडी 2: कृषि मंडी में बादाम फेल, फूटला बाजार का काजू भी गैरमानक

11 फरवरी को कृषि उपज मंडी झुंझुनूं की एक दुकान से लिए गए बादाम का नमूना लैब में जांच के दौरान फेल हो गया। 8 अप्रैल को फूटला बाजार से काजू का नमूना लिया गया, जो कि भी जांच में फेल निकला। दोनों ही मामलों में रिपोर्ट बनाकर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।

केस स्टडी 3: 19 मई को फिर चिड़ावा से फेल हुआ काजू का नमूना

इसी तरह मई माह में एक बार फिर चिड़ावा से लिए गए काजू के नमूने भी जांच में फेल हो गए। इस प्रतिष्ठान के खिलाफ भी रिपोर्ट तैयार कर विभाग ने जुर्माने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो इस तरह के कई मामले जिला स्तर पर हर महीने सामने आ रहे हैं।

पनीर, मावा और मसालों में भी मिलावट का बोलबाला

खाद्य सुरक्षा की बात करें तो झुंझुनूं में सबसे अधिक मिलावट के मामले पनीर, मावा और घी जैसे उत्पादों में सामने आए हैं। गर्मी के मौसम में इन उत्पादों की खपत ज्यादा होती है और इसी का फायदा उठाकर मिलावटखोर घटिया क्वालिटी का माल लोगों तक पहुंचा रहे हैं। मसालों और अचार में भी नकली रंग और केमिकल्स का उपयोग तेजी से बढ़ा है।

सीएमएचओ का दावा: हर नमूने पर सख्त नजर, जुर्माना भी बढ़ाया

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. छोटे लाल गुर्जर ने बताया कि विभाग लगातार खाद्य सामग्रियों की जांच कर रहा है। अब तक 320 नमूने लिए गए हैं, जिनमें से 86 फेल हुए हैं। उन्होंने बताया कि मिलावट करने वालों पर कार्रवाई में कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही। पहले की तुलना में अब जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है और केसों को समय पर एडीएम कोर्ट में भेजा जा रहा है।

उन्होंने लोगों से अपील की है कि यदि किसी को भी खाद्य सामग्री में मिलावट की जानकारी है, तो वह विभाग को सूचित करें। विभाग हर शिकायत को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करेगा।

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